Skip to content

इंदौर में लगाए जाएंगे 51 लाख पौधे, कितने पेड़ काटे यह भी जान लें

REPORTED BY

इंदौर में लगाए जाएंगे 51 लाख पौधे, कितने पेड़ काटे यह भी जान लें
इंदौर में लगाए जाएंगे 51 लाख पौधे, कितने पेड़ काटे यह भी जान लें

रविवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव और शहरी विकास मंत्री, कैलाश विजयवर्गीय ने इंदौर में 20 करोड़ की लागत से 51 लाख पेड़ लगाने का लक्ष्य बनाया है। उन्होंने ‘एक पेड़ मां के नाम’, अभियान के तहत इंदौर को हरा-भरा बनाने का लक्ष्य ऱखा है। आइये जानते हैं कि इंदौर में ग्रीन कवर की क्या स्थिति है।

लगातार घट रहा है इंदौर का फॉरेस्ट कवर 

इंदौर जिले के कुल क्षेत्र में से सिर्फ सिर्फ 17.31 फीसदी क्षेत्र में ही वन हैं। इस वन क्षेत्र में सघन वन बिलकुल नहीं है। इसके अलावा वन स्थिति रिपोर्ट के मुताबिक इंदौर का ग्रीन कवर इसके पिछले सर्वे की तुलना में लगातार गिरता आ रहा है। वन स्थिति रिपोर्ट 2021 के अनुसार, 2019 की तुलना में इंदौर का 4 फीसदी से अधिक ग्रीन कवर कम हुआ है। हाल की भीषण हीटवेव का अनुभव करने के बाद ये सवाल वाजिब है कि, क्या इंदौर को हरा-भरा करने में देर तो नहीं कर दी गई है। 

क्या है इंदौर में हुए पेड़ों के ‘ट्रांसलोकेशन’ की हकीकत 

इंदौर में ही 2 साल पहले सिरपुर तालाब के नजदीक कई पेंड़ ट्रांसलोकेट किये गए थे। हाल की मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इन में से एक भी पेंड़ जीवित नहीं बचा है। इन सभी पेंड़ो के तने काले पड़ गए हैं, और पेड़ सूख कर मुरझा गए हैं।  

साल 2023 की गर्मी के वक्त इंदौर के खजराना चौक के पास फ्लाईओवर के निर्माण के लिए 1300 पेड़ों को ट्रांसलोकेट किया गया था। एक्सपर्ट्स ने इस प्रक्रिया पर उसी वक्त सवाल खड़े किये थे। उनका मानना था कि चूंकि यह प्रक्रिया गर्मी के दौरान की जा रही है, इसके सफल होने की संभावना सीमित है। 

ट्रांसप्लांट करते वक्त कई बुनियादी चीजों का ख्याल रखना आवश्यक होता है। मसलन की ट्रांसलोकेशन सही मौसम में किया जा रहा है या नहीं, प्रक्रिया के समय पेड़ की जरूरी जड़ें सुरक्षित हैं की नहीं, और ट्रांसप्लांट के बाद इनका सही से ख्याल रखा जा रहा है कि नहीं। गत वर्ष की CAG की रिपोर्ट के अनुसार मुंबई में कुल 54 प्रतिशत ही वृक्ष ही दूसरी जगह पनप पाए थे। ये एक आबादी के लिए उपलब्ध ग्रीन कवर की दृष्टि से एक बड़ा नुकसान है     

पेड़ों का ट्रांसलोकेशन एक ऊपरी तौर ग्रीन कवर को यथावत रखने का एक विकल्प हो सकता है। लेकिन जिस स्थान से पेड़ों को हटाया जा रहा है, वहां की आब-ओ-हवा में इसका कैसा प्रभाव पड़ता है यह भी एक बड़ा प्रश्न है। उदाहण के तौर पर किसी स्थान के 30 हजार पेड़ काट कर अगर वहां सीमेंट का ढांचा खड़ा कर दिया जाता है तो क्या वहां का तापमान बढ़ेगा या नहीं? विकास परियोजनाओं की होड़ के बीच इन जरूरी आयामों पर विचार भी आवश्यक है। 

सरकार कहीं 51 लाख पेड़ लगा रही है और दूसरी जगह कई पेड़ काट या हटा रही है। वहीं दूसरी ओर शिफ्ट किये गए पेड़ों की बदतर हालत के प्रति भी कोई जवाबदेही अब तक देखने को नहीं मिली है। पेड़ों को एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट करने की प्रक्रिया और उसके नतीजों को देखने के बाद यह महज एक औपचारिकता ही प्रतीत होता है। 

यह भी पढ़ें

पर्यावरण से जुड़ी खबरों के लिए आप ग्राउंड रिपोर्ट को फेसबुकट्विटरइंस्टाग्रामयूट्यूब और वॉट्सएप पर फॉलो कर सकते हैं। अगर आप हमारा साप्ताहिक न्यूज़लेटर अपने ईमेल पर पाना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें।

Author

  • Journalist, focused on environmental reporting, exploring the intersections of wildlife, ecology, and social justice. Passionate about highlighting the environmental impacts on marginalized communities, including women, tribal groups, the economically vulnerable, and LGBTQ+ individuals.

    View all posts

Support Ground Report

We invite you to join a community of our paying supporters who care for independent environmental journalism.

When you pay, you ensure that we are able to produce on-ground underreported environmental stories and keep them free-to-read for those who can’t pay. In exchange, you get exclusive benefits.

mORE GROUND REPORTS

Environment stories from the margins

LATEST