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असम में रेलवे ट्रैक से प्रभावित हो रही भारत की इकलौती एप प्रजाति, हुलॉक गिब्बन

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असम में रेलवे ट्रैक से प्रभावित हो रही भारत की इकलौती एप प्रजाति, हुलॉक गिब्बन
असम में रेलवे ट्रैक से प्रभावित हो रही भारत की इकलौती एप प्रजाति, हुलॉक गिब्बन

भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) की एक रिपोर्ट ने हुलॉक गिब्बन (Hoolock gibbon) पर बड़े ही चिंताजनक निष्कर्ष निकले हैं। असम (Asam) के हॉलोंगापार गिब्बन अभयारण्य (HGS) में हुलॉक गिब्बन की आबादी इसके बीच से निकलने वाले रेलवे ट्रैक के कारण खंडित हो गई है। इस रेलवे लाइन के विद्युतीकरण और विस्तार ने इन लुप्तप्राय जीवों की आबादी पर और भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। 

हुलॉक गिब्बन भारत की एकलौती एप (Apes) प्रजाति है। डब्लूआईआई की इस रिपोर्ट में हुलॉक की आबादी, शिकार, प्रभावित हैबिटैट, और विखंडन पर विस्तार से चर्चा की गई है। एचजीएस के वर्तमान फोकस एरिया में 26 समूहों में बंटे 125 हुलॉक की आबादी रहती है। इन गिब्बन की आबादी मारियानी-डिब्रूगढ़ रेल्वे ट्रैक द्वारा खंडित है, हालांकि यह रेल्वे ट्रैक अभी भी अविद्युतीकृत है। 

गिबन हैबिटैट पर पड़ने वाले इन प्रभावों के मद्देनजर रिपोर्ट सिफारिश करती है कि, रेलवे ट्रैक का मार्ग दोबारा बदला जाए ताकि हैबिटैट पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव कम हो सकें। यह इस दृष्टि से आवश्यक है की, एचजीएस हुलॉक के अलावा अन्य 6 प्राइमेट प्रजातियों का भी आवास है। यह क्षेत्र देश में प्राइमेट प्रजातियों का हॉटस्पॉट है, इसलिए इसका संरक्षण जरूरी है।  

यह रिपोर्ट कैमरा ट्रैप्स और बेहेवरल डाटा कलेक्शन के माध्यम से गिब्बन आबादी की निगरानी का सुझाव देती है। ऐसी साइंटिफिक निगरानियों और अनुवांशिक अध्ययनों से यह आकलन किया जा सकता है कि गिब्बनों के संरक्षण के कौन से उपाय अधिक कारगर होंगे। इसके अलावा बिहेवरल और साइंटिफिक डाटा कलेक्शन के लिए स्थानीय समुदायों, वन कर्मियों, और रेंजरों को प्रशिक्षण देने का सुझाव भी इस रिपोर्ट में दिया गया है।  

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  • Journalist, focused on environmental reporting, exploring the intersections of wildlife, ecology, and social justice. Passionate about highlighting the environmental impacts on marginalized communities, including women, tribal groups, the economically vulnerable, and LGBTQ+ individuals.

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