यह ‘ग्राउंड रिपोर्ट’ का डेली मॉर्निंग पॉडकास्ट का 56वां एपिसोड है। मंगलवार, 4 नवंबर को देश भर की पर्यावरणीय ख़बरों के साथ पॉडकास्ट में बात ग्वालियर में सल्फास से मासूम की मौत और गिद्धों का हिस्टोरिकल नेस्टिंग साईट से गायब होना।
मुख्य सुर्खियां
नेपाल के उत्तर-पूर्वी हिस्से में यालुंग री नाम की चोटी पर सोमवार को बर्फ का पहाड़ टूटने से 7 लोगों की मौत हो गई जबकि 4 लोग घायल हो गए। यह हादसा उस समय हुआ जब हिमस्खलन 5,630 मीटर ऊंची चोटी के बेस कैंप पर आ गया। हादसे के बाद 4 लोग लापता हैं।
अफगानिस्तान में भूकंप में मरने वालों की संख्या 20 पहुँच गई है वहीं 640 लोग घायल बताए जा रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने छतरपुर रिज में dda द्वारा बिना अनुमति के पेड़ काटने से सम्बंधित एक केस पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया है कि DDA को शहर के 18 अलग अलग इलाकों में कुल 185 एकड़ ज़मीन सौंपनी होगी। वहीं 1.67 लाख पेड़ों के पौधे 31 मार्च 2026 तक लगाने होंगे।
केंद्रीय कृषि, किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से संबंधित किसानों की परेशानियां दूर करने और क्लेम के बारे में उनकी शिकायतों के समाधान के लिए सोमवार को दिल्ली में उच्च स्तरीय बैठक की। उन्होंने कहा कि एक, दो, पांच या 21 रुपये का फसल बीमा क्लेम मिलना किसानों के साथ मजाक है। शिवराज ने कहा कि अब सरकार ऐसा नहीं होने देगी. उन्होंने इस संबंध में जांच के आदेश दिए।
दिल्ली में मंगलवार सुबह AQI 309 यानि बेहद ख़राब श्रेणी में रहा।
नॉयडा में अपने ही घर में बने सेप्टिक टैंक में गिरने से २ लोगों की मौत हो गई।
मध्यप्रदेश में अगले 2 दिन तक बूंदाबांदी, आंधी, गरज-चमक की स्थिति रहेगी। फिर 6 अक्टूबर से मौसम साफ हो जाएगा। उत्तरी हवाएं आने से रात के तापमान में 2 से 3 डिग्री तक गिरावट रहेगी, लेकिन दिन में पारा 30 डिग्री के पार ही रहेगा।
ग्वालियर में गेहूं में रखी सल्फास की गोली से बनी ज़हरीली गैस के चलते एक 4 वर्षीय मासूम की मौत हो गई।
रायसेन में कृषि उपज मंडी में सोमवार को अब तक की धान की रिकॉर्ड आवक दर्ज की गई। रविवार की छुट्टी के बाद मंडी खुलने पर दशहरे मैदान स्थित अस्थायी मंडी में 15,752 क्विंटल धान पहुंची। किसान नीलामी के लिए 12 से 15 घंटे का इंतजार करने के बावजूद कम दाम में अपनी उपज बेचने को मजबूर हैं।
भोपाल में मौजूद कुछ गार्बेज कलेक्शन पॉइंट्स बिना सर्टिफिकेट टू स्टैब्लिश (CTE) और सर्टिफिकेट टू ऑपरेट (CTO) के चल रहे हैं। इस पर सुनवाई करते हुए NGT की सेन्ट्रल बेंच ने राज्य सरकार से पूछा है कि क्या गार्बेज पॉइंट्स बिना CTE और CTO के चल सकते हैं।
ग्वालियर में सल्फास गैस से हुई चार वर्षीय मासूम की मौत
ग्वालियर में गेहूं में रखी सल्फास की गोली से बनी जहरीली गैस के चलते एक चार वर्षीय मासूम (वैभव) की मौत हो गई। एक परिवार किराए के मकान में रहता था। उनके पास लगभग 250 क्विंटल गेहूं की बोरियां थीं। घुन से बचाने के लिए मकान के मालिक ने गेहूं के साथ 50 सल्फास की गोलियां रखी थीं।
सल्फास की गोलियां नमी में आने के कारण जहरीली गैस बनाने लगीं, जिससे परिवार के सभी लोग बेहोश हो गए और चार वर्षीय बेटे की मृत्यु हो गई।
विशेषज्ञों की राय: दैनिक भास्कर में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार सल्फास की गोलियां नमी या पानी के संपर्क में आने पर फास्फिन गैस (Phosphine gas) छोड़ती हैं। यह गैस सांस लेने, हृदय और फेफड़ों पर गंभीर असर डालती है। यह बच्चों और बुजुर्गों के लिए विशेष रूप से घातक है। इसके संपर्क में आने से उल्टी, पेट दर्द, सांस लेने में कठिनाई, बेहोशी और मौत तक हो सकती है। सल्फास का कोई एंटीडोट (विषाक्तता निवारक) नहीं है; केवल अस्पताल में सपोर्टिव इलाज संभव है। इसे बच्चों की पहुंच से दूर रखना और खुली हवा में उपयोग करना जरूरी है।
प्रशासनिक चूक: सल्फास की गोलियां सीधे तौर पर किसानों को बेचना प्रतिबंधित है; यह केवल वेयर हाउस संचालकों को दी जाती है। इसके बावजूद, यह खुले तौर पर बीज भंडार से खरीदी गई, जो प्रशासनिक नियमों के उल्लंघन का संकेत है। यह बताया गया कि कृषि विभाग की जिम्मेदारी है कि वह किसानों को समझाए कि उन्हें किस तरह के कीटनाशकों का इस्तेमाल करना चाहिए, कितनी मात्रा में और कैसे करना चाहिए, ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
गिद्धों की ऐतिहासिक नेस्टिंग साइट्स से गायब होने पर अध्ययन
अध्ययन स्रोत: वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूशन ऑफ़ इंडिया (WII) ने एक नई रिपोर्ट जारी की है। प्रमुख निष्कर्ष: 72% वल्चर (गिद्ध) अपनी पुरानी नेस्टिंग साइट्स (घोंसले बनाने की जगहों) से गायब हो चुके हैं।
आंकड़े: देश भर में 425 ऐतिहासिक नेस्टिंग साइट्स रिकॉर्ड की गई थीं। 2023 से 2025 के बीच किए गए फील्ड सर्वे में सिर्फ 120 साइट्स पर ही सक्रिय घोंसले (एक्टिव नेस्टिंग) मिले। 93 नई साइट्स मिलने के बावजूद, कुल मिलाकर गिद्धों की नेस्टिंग आधे से भी कम हुई है। सर्वाधिक उपस्थिति: सबसे ज्यादा नेस्टिंग मध्य प्रदेश और राजस्थान में पाई गई है। ये दोनों राज्य देश के 63% वल्चरों का संरक्षण कर रहे हैं। इनमें से 7% घोंसले संरक्षित क्षेत्रों (नेशनल पार्क/सेंचुरीज) के अंदर मौजूद हैं।
भारत में चार प्रजातियां सबसे ज्यादा खतरे में हैं: वाइट वल्चर, इंडियन वल्चर, बिल्ट वल्चर और रेड हेड वल्चर। बिल वल्चर (Billed Vulture) पर सबसे बुरा असर पड़ा है। इस प्रजाति के लगभग 47 पुराने नेस्टिंग साइट पूरी तरह खत्म हो गए हैं, और अब यह सिर्फ ऊपरी असम तक सीमित है। मुख्य कारणों में क्लाइमेटिक चेंज, ग्लोबल वार्मिंग, बड़े पेड़ों का कटना (क्योंकि वे ऊंची जगहों पर घोंसले बनाते हैं), और खाने-पीने से संबंधित कारक शामिल हैं।
उम्मीद के क्षेत्र: सेंट्रल और नॉर्थवेस्ट इंडिया (मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों) में गिद्ध अब भी टिके हुए हैं, जहाँ इकोलॉजिकल हालात बेहतर हैं और मानवीय हस्तक्षेप (ह्यूमन डिस्टरबेंस) कम है। वैज्ञानिक का मत: लीड साइंटिस्ट आर राकेश कुमार के अनुसार, यह सर्वे एक बेस लाइन है, जिससे पता चलता है कि घोंसले कहाँ हैं और उन्हें बचाने के लिए आगे क्या कदम उठाने की जरूरत है।
यह था हमारा डेली मॉर्निंग पॉडकास्ट। ग्राउंड रिपोर्ट में हम पर्यावरण से जुडी हुई महत्वपूर्ण खबरों को ग्राउंड जीरो से लेकर आते हैं। इस पॉडकास्ट, हमारी वेबसाईट और काम को लेकर आप क्या सोचते हैं यह हमें ज़रूर बताइए। आप shishiragrawl007@gmail.com पर मेल करके, या ट्विटर हैंडल @shishiragrawl पर संपर्क करके अपनी प्रतिक्रिया दे सकते हैं।




