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क्यों मध्य प्रदेश सरकार नहीं करना चाहती गेहूं और धान की ख़रीदी?

यह ‘ग्राउंड रिपोर्ट’ का डेली मॉर्निंग पॉडकास्ट का 55वां एपिसोड है। सोमवार, 3 नवंबर को देश भर की पर्यावरणीय ख़बरों के साथ पॉडकास्ट में बात दिल्ली में यमुना की सफाई की अड़चनों और मध्य प्रदेश सरकार के गेहूं और धान न खरीदने के लिए लिखे गए पत्र पर।


मुख्य सुर्खियां 

वियतनाम आपदा एवं डाइक management authority ने सोमवार को बताया कि वियतनाम के मध्य क्षेत्र में भारी बारिश और बाढ़ से मरने वालों की संख्या बढ़कर 37 हो गई है, पांच लोग लापता हैं और 78 अन्य घायल हैं।


अफ़ग़ानिस्तान में सोमवार सुबह आए 6.3 तीव्रता के भूकंप में कम से कम सात लोगों की मौत हो गई। स्थानीय स्वास्थ्य निदेशालय के हवाले से रॉयटर्स ने बताया कि मज़ार-ए-शरीफ़ शहर में आए शक्तिशाली भूकंप में 150 लोग घायल भी हुए हैं।


केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा विकसित समीर ऐप के आंकड़ों के अनुसार, सोमवार को दिल्ली की वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ रही, सुबह 6:05 बजे समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 324 दर्ज किया गया। हालांकि अब तक कमीशन फोर एयर क्वालिटी मनेजमेंट द्वारा अब तक GRAP के अगले चरण को लागू नहीं किया गया है।


हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में संजय विद्युत परियोजना के वांगटू बांध के पास शनिवार को एक हिम तेंदुआ फंस गया। हालंकि वन विभाग ने रामपुर से विशेष टीम बुलाकर तेंदुए को बचा लिया।


तेलंगाना के रंगारेड्डी जिले में हैदराबाद-बीजापुर नेशनल हाईवे पर सोमवार सुबह गिट्टी से लदे डंपर ने आरटीसी बस को टक्कर मार दी। हादसे में बस सवार 17 लोगों की मौत हो गई। कई घायल हैं। बस तंदूर से हैदराबाद जा रही थी।


राजस्थान के फलोदी में रविवार शाम करीब 6.30 बजे भीषण सड़क हादसे में 15 श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जबकि 2 महिलाएं घायल हैं। मरने वालों में 4 बच्चे, ड्राइवर और 10 महिलाएं शामिल हैं। 


महाराष्ट्र वन विभाग (एमएफडी) ने रविवार को पुणे जिले के शिरुर इलाके में एक 13 वर्षीय लड़के को मारने वाले तेंदुए को मारने के लिए आपातकालीन गोली मारने का आदेश जारी किया है। पीसीसीएफ, वन्यजीव द्वारा रविवार मध्यरात्रि को जारी किया गया यह आदेश जुन्नार वन प्रभाग में इस तरह का पहला मामला है। जो लंबे समय से मानव-तेंदुए संघर्षों के लिए जाना जाता है, लेकिन जहाँ अधिकारी अब तक केवल जाल लगाने और अन्यत्र स्थानांतरित करने पर ही निर्भर रहे हैं।


जिला अस्पतालों में डे केयर कैंसर सेंटर (डीसीसीसी) स्थापित करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा चुने गए राज्यों में मध्य प्रदेश को शामिल नहीं किया गया है। 30 केंद्रों को मंजूरी दी गई है, जिनमें सबसे अधिक डीसीसीसी उत्तर प्रदेश में खोले जाएँगे, उसके बाद महाराष्ट्र और तेलंगाना का स्थान है। सरकार की योजना अगले तीन वर्षों के भीतर देश भर के सभी जिला अस्पतालों में ये केंद्र स्थापित करने की है।


प्रदेश में पहली बार जबलपुर के नर्मदाघाटों पर वाटर चैनल बनाया जाएगा ताकि पूजन सामग्री और नहाने के बाद दूषित होने वाला पानी नर्मदा की मुख्य धारा में न मिले। हालांकि यह भी ध्यान देना ज़रूरी है कि जबलपुर में नर्मदा नदी में रोजाना लगभग 136 मिलियन लीटर अनट्रीटेड सीवेज छोड़ा जाता है। 


Oil manufacture companies ने इस साल मध्य प्रदेश के 24 एथेनाल प्लांट से कुल उत्पादन का केवल 44% एथेनोल ही खरीदा है जिससे इन प्लांट के बंद होने की आशंका बढ़ गई है।


दिल्ली की यमुना नदी में प्रदूषण और सीएससी की रिपोर्ट

जब भी प्रदूषित नदी की बात होती है, तो सबसे पहले दिल्ली की यमुना का नाम आता है। करोड़ों का पैसा खर्चा होने के बावजूद दिल्ली की यमुना अभी भी गंदी है।


सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएससी) की रिपोर्ट: दिल्ली स्थित थिंक टैंक सीएसी ने ‘यमुना: द एजेंडा फॉर क्लीनिंग द रिवर’ शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है। सीएसी के डायरेक्टर जनरल सुमिता नारायण के अनुसार, यमुना को साफ करना कोई समस्या नहीं है, लेकिन केवल पैसा लगाने से नदी साफ नहीं होगी—इसके लिए नई सोच और नए तरीकों से काम करने की आवश्यकता है। 2017 से 2022 तक, दिल्ली सरकार ने यमुना की सफाई पर ₹6856 करोड़ खर्च किए हैं। दिल्ली में 37 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (STPs) हैं, जिनकी क्षमता 80 से 100% तक सीवेज को ट्रीट करने की है, फिर भी नदी गंदी है। यमुना बेसिन का सिर्फ 2% स्ट्रेच (22 कि.मी.) ही 80% प्रदूषण लोड वहन करता है, और लगभग 9 महीने तक नदी में असल पानी नहीं, बल्कि सिर्फ सीवेज और कचरा फ्लो करता है। सीएसी के वाटर प्रोग्राम के डायरेक्टर के अनुसार, जैसे ही यमुना दिल्ली में वजीराबाद से एंटर करती है, उसकी ‘एग्ज़िस्टेंस खत्म’ हो जाती है।

समस्या के तीन बड़े कारण (गलत प्लानिंग): रिपोर्ट के अनुसार, प्रदूषण की समस्या हल न होने के तीन प्रमुख कारण हमारी पुरानी और गलत प्लानिंग हैं: अवास्तविक डेटा: दिल्ली को यह पता ही नहीं है कि कितना वेस्ट वाटर उत्पन्न होता है, क्योंकि प्रदूषण का वास्तविक डेटा नहीं है। सेंसस बहुत पुराना है, और लोग कितना भूजल या टैंकर का पानी इस्तेमाल करते हैं, इसका कोई उचित रिकॉर्ड नहीं है। सीवर लाइनों की कमी और डंपिंग: कई क्षेत्रों में सीवर लाइनें उपलब्ध नहीं हैं। लोग टैंकरों से सीवेज निकालते हैं और बिना ट्रैक रिकॉर्ड के इसे अक्सर नदियों या ड्रेनेज में ही डंप कर देते हैं।

अनट्रीटेड सीवेज से भरी ड्रेनेज: साफ पानी को यमुना तक पहुंचाने के लिए बनाई गई 22 ड्रेनेज, अनट्रीटेड सीवेज से भरी हुई हैं। अनधिकृत कॉलोनियों का सीवेज और टैंकरों का सीवेज इन्हीं ड्रेन्स में जाता है। दिल्ली के पास 84% तक सीवेज ट्रीट करने की क्षमता है, लेकिन दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी (डीपीसीसी) की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार 37 में से 23 एसटीपी प्लान इमिशन स्टैंडर्ड को पूरा नहीं करते हैं। सीपीसीबी ने अपने रिपोर्ट में इन 37 ट्रीटमेंट प्लांट्स को निर्धारित डिस्चार्ज स्टैंडर्ड में फेल बताया था, जबकि डीपीसीसी ने जून में क्लीन चिट दे दी थी। इस विरोधाभास से बाहर निकलना आवश्यक है। ट्रीट किए गए पानी का केवल 10 से 14% ही पुन: उपयोग होता है। सीएसी की रिपोर्ट कहती है कि अगर साफ किए गए पानी को वापस ड्रेनेज में ही डाल दिया जाए, तो प्रदूषण वापस आ जाता है; इसलिए हर एसटीपी के लिए ट्रीटेड पानी के उपयोग का प्लान बनना चाहिए।

दिल्ली से निकलने वाली यमुना डाउनस्ट्रीम के शहरों तक जाती है और उनके पानी को प्रदूषित करती है। इससे उन शहरों पर साफ पानी का बोझ धीरे-धीरे और तेज़ी से बढ़ता जाता है, जिसके परिणामस्वरूप भूजल की खपत भी तेज़ी से होने लगती है।


मध्य प्रदेश सरकार द्वारा गेहूं और धान की खरीदी पर रोक

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी को पत्र लिखकर गेहूं और धान की सरकारी खरीदी करने से मना कर दिया है।

रोक का कारण: मुख्यमंत्री ने बताया है कि मध्य प्रदेश सरकार के नागरिक आपूर्ति निगम (NAN) पर ₹77,000 करोड़ से अधिक का कर्ज है, जिसके लिए निगम को प्रतिदिन ₹11 करोड़ का ब्याज भुगतान करना पड़ता है। मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि भारतीय खाद्य निगम (FCI) के माध्यम से किसानों के गेहूं की खरीदी केंद्र सरकार ही करे और उन्हें भुगतान करे।

कुप्रबंधन के आरोप: रिटायर्ड कर्मचारी और अधिकारी संघ सरकार के इस तर्क से सहमत नहीं है। संघ के संयोजक अनिल वाजपेई के अनुसार, नान की बर्बादी के लिए कुप्रबंधन जिम्मेदार है। नान में कभी भी सेकंड लाइन लीडरशिप तैयार नहीं की गई। अधिकारी रिटायर होते गए, और काम संविदा या निजी कर्मचारियों के भरोसे चलता रहा। आज निगम की हालत परिवहन निगम और तिलहन संघ जैसी हो गई है, जो प्रतिदिन ₹1 करोड़ से अधिक का ब्याज चुका रहा है। यह भी ध्यान देना आवश्यक है कि विभाग का प्रभार कहीं न कहीं निजी हाथों में चला गया है।

किसानों पर संभावित प्रभाव: गेहूं और धान मध्य प्रदेश के किसानों की प्रमुख फसलें हैं, जिनका उपयोग वे साल भर का खर्च मैनेज करने के लिए करते हैं। यदि एफसीआई अगले सत्र से खरीदी करेगा, तो वह गुणवत्ता और मानकों पर कोई समझौता नहीं करेगा। इससे पहले जब किसान नान को फसल बेचते थे, तो गुणवत्ता पर कुछ समझौता कर लिया जाता था और उनकी सुनवाई भी होती थी। यदि सरकार खरीदी नहीं करती है, तो किसानों को मजबूर होकर अपनी फसलें व्यापारियों को ओने-पौने दाम में बेचनी पड़ सकती हैं। इस निर्णय का सबसे बुरा प्रभाव किसानों पर आएगा, खासकर तब जब मौसम की मार (जैसे धान की फसलें खराब होना) पहले ही उन्हें प्रभावित कर चुकी है।


ऐसे में राज्य सरकार को अपनी प्राथमिकताओं को निर्धारित करना होगा कि वे कौन सी ऐसी योजनाएं और कदम हैं जिन पर अपना सीमित पैसा इन्वेस्ट करना चाहती है।यह था हमारा डेली मॉर्निंग पॉडकास्ट। ग्राउंड रिपोर्ट में हम पर्यावरण से जुडी हुई महत्वपूर्ण खबरों को ग्राउंड जीरो से लेकर आते हैं। इस पॉडकास्ट, हमारी वेबसाईट और काम को लेकर आप क्या सोचते हैं यह हमें ज़रूर बताइए। आप shishiragrawl007@gmail.com पर मेल करके, या ट्विटर हैंडल @shishiragrawl पर संपर्क करके अपनी प्रतिक्रिया दे सकते हैं।


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We do deep on-ground reports on environmental, and related issues from the margins of India, with a particular focus on Madhya Pradesh, to inspire relevant interventions and solutions. 

We believe climate change should be the basis of current discourse, and our stories attempt to reflect the same.

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