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हर घर नल जल योजना: बिहार में लक्ष्य तक पहुंचने की चुनौती

हर घर नल जल योजना: बिहार में लक्ष्य तक पहुंचने की चुनौती
हर घर नल जल योजना: बिहार में लक्ष्य तक पहुंचने की चुनौती

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प्रिया रानी, पटना, बिहार | केंद्र सरकार की हर घर नल जल योजना ने शहरों से लेकर गांवों तक लोगों के जीवन को सरल बना दिया है। इस योजना का उद्देश्य हर घर तक स्वच्छ जल की आपूर्ति सुनिश्चित करना है, जिससे लोगों का जीवन सुगम हो और जल जनित बीमारियों में कमी आए। देश के कई राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में शत-प्रतिशत घरों को नल के माध्यम से जल आपूर्ति की सुविधा मिल रही है, लेकिन बिहार सहित कुछ राज्यों में इस परियोजना के क्रियान्वयन में चुनौतियां बनी हुई हैं। इसके कारण यह योजना अब तक अपने उद्देश्यों को पूरी तरह सफल नहीं कर पाई है। राजधानी पटना स्थित अदालतगंज का स्लम इलाका भी ऐसा ही क्षेत्र है, जहां लोगों को समय पर स्वच्छ पानी उपलब्ध नहीं हो रहा। हालांकि प्रशासन और संबंधित विभाग इन चुनौतियों के समाधान के लिए लगातार प्रयासरत हैं।

पानी की समस्या का सबसे अधिक प्रभाव महिलाओं पर पड़ता है। अदालतगंज के ईंख मोहल्ले की निवासी मेहर देवी कहती हैं कि

“मोहल्ले में सुबह छह बजे पानी आता है और दस बजे बंद हो जाता है, फिर शाम को तीन बजे से रात दस बजे तक जल आपूर्ति होती है। कई बार पानी समय पर नहीं आता, जिससे हमें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।”

वहीं, करुणा देवी बताती हैं कि “अक्सर निर्माण कार्य के चलते नालियां जाम हो जाती हैं, जिससे गंदा पानी पाइपलाइन में मिलकर नलों से निकलने लगता है।” कुसुम देवी के अनुसार, “नल जल योजना के तहत जो पानी आता है, वह कई बार बहुत गंदा और बदबूदार होता है। कोई भी स्वस्थ व्यक्ति इस पानी को पीकर बीमार पड़ सकता है, इसलिए हम कहीं और से साफ पानी लाकर पीते हैं। पाइपलाइन क्षतिग्रस्त होने पर दस से पंद्रह दिनों तक जलापूर्ति ठप हो जाती है, जिससे हमें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।” गायत्री देवी कहती हैं कि 

“नल जल योजना के क्रियान्वयन के बावजूद कई स्थानों पर खुली नालियों का दूषित पानी पेयजल पाइपलाइन में चला जाता है, जिससे अक्सर शाम को गंदा और बदबूदार पानी आता है।”

पटना सचिवालय और पटना जंक्शन के निकट स्थित इस स्लम बस्ती की आबादी लगभग 1,000 है, जिसमें 60% ओबीसी और 20% अल्पसंख्यक समुदाय के लोग निवास करते हैं। अदालतगंज, ईंख कॉलोनी और ड्राइवर कॉलोनी नामक तीन मोहल्लों में विभाजित इस क्षेत्र के निवासी आज भी बुनियादी सुविधाओं के अभाव में जीने को मजबूर हैं। ड्राइवर कॉलोनी की पुष्पा कुमारी कहती हैं,

“नल जल योजना के बाद भी यहां स्वच्छ पानी की भारी कमी है। कई बार शाम को भी गंदा पानी आता है।”

आशा देवी के अनुसार, “नल से दूषित पानी आने के कारण हम पीने के लिए हैंडपंप के पानी का इस्तेमाल करते हैं।” वहीं, इंदु कुमारी बताती हैं कि “यहां हर पखवाड़े पानी की पाइपलाइन फट जाती है, जिससे नालियों का गंदा पानी उसमें मिल जाता है। अक्सर इस पानी को पीने से बच्चे बीमार हो जाते हैं।”

स्थानीय समाजसेवी सिद्धनाथ के अनुसार, “हर घर नल जल योजना बिहार में जल संकट को दूर करने के लिए एक महत्वाकांक्षी परियोजना है। इसका उद्देश्य हर घर तक स्वच्छ पेयजल पहुंचाना है, ताकि जल जनित बीमारियों को कम किया जा सके और लोगों को सुरक्षित जल उपलब्ध हो। लेकिन योजना के क्रियान्वयन में गंभीरता की कमी के कारण यह अपनी पूरी क्षमता से सफल नहीं हो पा रही है। हालांकि, नगर निगम और संबंधित विभाग कई बार नागरिकों की शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई करते हैं, लेकिन समस्या के स्थायी समाधान के लिए सुनियोजित रखरखाव की आवश्यकता है। इसके लिए एक निगरानी तंत्र बनाना जरूरी है, जो समस्या उत्पन्न होने से पहले ही उसका समाधान निकाल सके।”

Nal Jal Yojana Bihar

जल जीवन मिशन की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2025 तक बिहार के 95.71% घरों में स्वच्छ पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराई जा चुकी है। खगड़िया, मधेपुरा और शेखपुरा जिलों में 100% लक्ष्य प्राप्त हो चुका है, जबकि राजधानी पटना में 96.61% लक्ष्य हासिल किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त, राज्य सरकार द्वारा भी स्वच्छ जल योजना के तहत गांवों से लेकर शहरों तक स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करने पर ध्यान दिया जा रहा है। राज्य सरकार 1.63 करोड़ परिवारों को नल के माध्यम से जलापूर्ति कर रही है, जिससे ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों को लाभ मिल रहा है। कई जिलों में प्रतिदिन छह घंटे जलापूर्ति की जा रही है, जिससे जल संकट की समस्या काफी हद तक हल हुई है।

फिर भी, कई घरों को नियमित रूप से स्वच्छ जल उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। इसके पीछे रखरखाव की कमी एक बड़ी समस्या मानी जा सकती है। इसके समाधान के लिए कुछ ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। जैसे पाइपलाइन और जलाशयों की नियमित निगरानी एवं रखरखाव सुनिश्चित किया जाए, मोबाइल जल परीक्षण प्रयोगशालाएं शुरू की जाए, ताकि मौके पर पानी की गुणवत्ता की जांच और सुधार किया जा सके। इसके अलावा प्रशासन और विभागों के साथ-साथ सामाजिक स्तर पर भी जल संरक्षण, स्वच्छता और जल उपयोग के प्रति लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है। वहीं इस अभियान में स्थानीय स्तर पर संचालित स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों को भी जोड़ा कर बहुत हद तक समस्या का समाधान निकाला जा सकता है।

बहरहाल, चुनौतियों के बावजूद हर घर नल जल योजना बिहार के ग्रामीण और अदालतगंज जैसी स्लम बस्तियों में रहने वाले लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। यह सच है कि अभी भी कुछ क्षेत्रों में जल आपूर्ति और गुणवत्ता को लेकर समस्याएं बनी हुई हैं, लेकिन सरकार और स्थानीय एजेंसियां इनके समाधान के लिए लगातार प्रयास कर रही हैं, जो सराहनीय है। यदि सुधारों को सही तरीके से लागू किया जाए, तो न केवल हर घर को स्वच्छ जल उपलब्ध कराने का लक्ष्य आसानी से प्राप्त किया जा सकता है, बल्कि स्वस्थ बिहार की परिकल्पना भी साकार हो सकती है। (चरखा फीचर्स)

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  • Climate journalist and visual storyteller based in Sehore, Madhya Pradesh, India. He reports on critical environmental issues, including renewable energy, just transition, agriculture and biodiversity with a rural perspective.

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