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किसानी के व्यवसाय को सुगम बनाने में मध्य प्रदेश सबसे आगे

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हाल ही में आयी नेशनल असोशियेशन फाॅर फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन (NAFPO) की रिपोर्ट से पता चलता है कि मध्य प्रदेश देश में किसानों के व्यवसाय को सरल बनाने में सबसे अव्वल है। इस रिपोर्ट में एफपीओ पर ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (EODBF) को लेकर एक सूचकांक जारी किया गया है। जिसमें मध्य प्रदेश 86.7 अंकों के साथ पहले स्थान पर है। इसके बाद महाराष्ट्र 85.6 और उत्तर प्रदेश 85 अंकों के साथ क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। 

क्या है NAFPO?

नेशनल असोशियेशन फाॅर फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन (NAFPO) एक गैर लाभकारी संगठन है जो किसान उत्पादक संगठनों (FPO) के संस्थागत विकास और व्यवसाय स्थिरीकरण के लिए काम करता है। यह ट्रांसफाॅर्म रूरल इंडिया का सहयोगी संगठन है जिसने भारत में एफपीओ सेक्टर की स्थिती पर रिपोर्ट जारी की है।

इस रिपोर्ट के सूचकांक के मुख्य आधार नीतियां, लाइसेंस में सरलीकरण, योजनाओं व बिना योजनाओं के लाभ, खेती के लिए आसानी से कर्ज, उपच बेचने खरीदने की सहूलियत और एफपीओ संगठनों की मौजूदगी जैसे मूल्यांकन शामिल हैं। यह रैंकिंग हर राज्य के 30 से ज्यादा हितधारकों के प्राथमिक डेटा और द्वितीयक शोध के आधार पर की जाती है। इंडेक्स ये भी उजागर करता है कि मजबूत नेतृत्व, एफपीओ के लिए कारगर नीतियां और राज्य स्तरीय उत्पादक कंपनियों जैसी सक्रिय संस्थाएं मध्य प्रदेश को आगे लाकर खड़ा करती हैं।

क्या होते हैं एफपीओ? 

एफपीओ (Farmer Producer Organisation) वे छोटे संगठन होते हैं जो किसानों को उनके उत्पाद को बाजार में बेचने से लेकर कर्ज मुहैया कराने और संसाधनों का सही इस्तेमाल करने में मदद करते हैं। इसी रिपोर्ट के मुताबिक भारत में मार्च 2024 तक 42000 से अधिक पंजीकृत एफपीओ हैं।

इस रिपोर्ट ‘स्टेट ऑफ द सेक्टर’ के संपादक और इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट के प्रोफेसर आशीष अरगड़े कहते हैं

एनएएफपीओ किसान उत्पादक संगठनों के तंत्र को जानकारी और व्यवहार के आधार पर किसानों के लिए प्रभावशील काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।

प्रोफेसर अरगड़े इस बात पर भी जोर देते हैं कि यह रिपोर्ट एफपीओ तंत्र के विकास का गहन विश्लेषण करती है। जो भारतीय कृषि के लिए एक अधिक स्थायी और समावेशी भविष्य के लिए चुनौतियों, अवसरों और समाधानों को उजागर करती है।

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  • Manvendra Yadav, an IIMC Dhenkanal alumnus with a Post Graduate Diploma in English Journalism, brings stories from Bundelkhand to life. His deep connection to the region fuels his passion for amplifying untold regional narratives.

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