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सरकार ने दिखाई सख्ती, भारत में बायोस्टिमुलेंट्स का अस्थायी पंजीकरण हुआ खत्म

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Shivraj Singh Chouhan

भारत सरकार ने बायोस्टिमुलेंट्स (Biostimulants) की अस्थायी पंजीकरण की व्यवस्था को समाप्त कर दिया है। कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय की अधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार बायोस्टिमुलेंट्स का अनंतिम यानी अस्थायी पंजीकरण एक अस्थायी प्रावधान था। इस प्रावधान के तहत 8000 से अधिक बायोस्टिमुलेंट उत्पादों के लिए G3 (अनंतिम प्रमाणपत्र) जारी किए गए थे l  ताकि निर्माताओं/आयातकों को जैव-प्रभावकारिता, विषाक्तता, रसायन विज्ञान आदि पर डेटा तैयार करने के लिए पर्याप्त समय मिल सके l 

गौरतलब है कि पौधों की वृद्धि प्रभावित करने वाले उत्पादों आदि जैसे बायोस्टिमुलेंट्स को फर्टिलाइजर कंट्रोल ऑर्डर (FCO), 1985 के अन्तर्गत पूरी तरह मान्यता देना आवश्यक है। लेकिन 16 जून 2025 के बाद कोई भी उत्पाद अस्थायी अनुमति नहीं पाएगाl इसके साथ ही जिन अधिकांश उत्पादों को अस्थायी अनुमति मिली हुई थी उन अस्थायी उत्पादों का पंजीकरण रद्द कर दिया गया है। 

अब भारत में सिर्फ 146 बायोस्टिमुलेंट उत्पाद FCO के तहत स्वीकृत है, जो कि अनुसूची-VI के अंतर्गत सूचीबद्ध हैंl अर्थात ये उत्पाद सरकारी मानकों, सुरक्षा और गुणवत्ता परीक्षणों से पूरी तरह से गुजर चुके है।

 नियमों का विकास, अस्थायी पंजीकरण और उसके विस्तार

बायोस्टिमुलेंट्स को नियंत्रित करने की पहल की शुरुआत इसलिए हुई क्योंकि भारत में इन उत्पादों की संख्या बहुत बढ़ गई थी l उनके बाजार में आने-जाने के लिए स्पष्ट नियामक ढांचा नहीं था। इस तरह की लगभग 30,000 उत्पाद बिना स्पष्ट मानक या नियंत्रण के बिक रहे थे। 

इन स्थितियों को सुधारने के लिए सरकार ने 23 फरवरी 2021 को नोटिफिकेशन जारी किया, जिसमें FCO में नया प्रावधानों में क्लॉज़ 20C को शामिल किया गया। इसके तहत यह सुनिश्चित किया गया कि जिन बायोस्टिमुलेंट्स को अनुमति दी जाए, वे पौधे में पोषण अवशोषण, उपज, गुणवत्ता और तनाव सहनशीलता बढ़ाने में सक्षम हों, और उनकी विषाक्तता आदि परीक्षणों से गुजरी हो ।

इन्हें नौ श्रेणियों में बांटा गया है, जिनमे  वनस्पति अर्क, जैव-रासायनिक उत्पाद, प्रोटीन हाइड्रो लाइट, विटामिन, सूक्ष्म जीव उत्पाद, एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-ट्रांस पाइरेट्स, ह्यूमिक और फुलविक एसिड, और जीवित सूक्ष्म जीव है l 

अस्थायी पंजीकरण (G3 सर्टिफिकेट) की वैधता शुरू में दो साल के लिए थी। यानी यह 23 फरवरी 2021 से लेकर 23 फरवरी 2023 तक थी l पहले 22 फरवरी 2024 तक, फिर 22 फरवरी 2025 तक, और अंत में 16 जून 2025 तक इसे बढ़ाया गया। यह अंतिम विस्तार था, लेकिन अब कोई और विस्तार नहीं होगा। 

सरकार का फैसला 16 जून 2025 से लागू हो गया है और अस्थायी पंजीकरण वाले सारे उत्पाद अब मान्य नहीं रहेंगे। सरकार का कहना है कि इस कदम का उद्देश्य पारदर्शिता बढ़ाना, किसानों का भरोसा जीतना और कृषि-उत्पादों में गुणवत्ता सुनिश्चित करना है।

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  • Sayali Parate is a Madhya Pradesh-based freelance journalist who covers environment and rural issues. She introduces herself as a solo traveler.

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