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सुबनसिरी नदी की पारिस्थितिकी को संरक्षित करने के लिए अरुणाचल और एनएचपीसी का संयुक्त प्रयास

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सुबनसिरी नदी की पारिस्थितिकी को संरक्षित करने के लिए अरुणाचल और एनएचपीसी का संयुक्त प्रयास
सुबनसिरी नदी की पारिस्थितिकी को संरक्षित करने के लिए अरुणाचल और एनएचपीसी का संयुक्त प्रयास

6 जून को मत्स्य पालन विभाग, अरुणाचल प्रदेश सरकार और एनएचपीसी लिमिटेड के बीच मत्स्य प्रबंधन योजना को लेकर हुए समझौते को औपचारिक रूप दिया गया। असम में स्थित 2000 मेगावाट की सुबनसिरी लोअर हाइड्रो इलेक्ट्रिक परियोजना (Subansiri Lower Hydroelectric Project) में एक व्यापक मत्स्य प्रबंधन योजना के कार्यान्वयन के लिए एक एमओए पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मत्स्य प्रबंधन योजना के इस एमओए पर मत्स्य पालन निदेशक जॉयशिल तबा और एनएचपीसी लिमिटेड के महाप्रबंधक (पर्यावरण) श्री मनमीत सिंह चौधरी ने हस्ताक्षर किए। इस दौरान एसएलपी, एनएचपीसी लिमिटेड के कार्यकारी निदेशक राजेंद्र प्रसाद भी उपस्थित थे।

इस मत्स्य प्रबंधन योजना का उद्देश्य गोल्डन महसीर, स्नो ट्राउट और इंडियन मेजर और माइनर कार्प जैसी प्रजातियों के मछली के बीज पालन के लिए हैचरी विकसित करके नदी पारिस्थितिकी का संवर्धन करना है।

इस समझौते के अनुसार अरुणाचल प्रदेश सरकार का मत्स्य पालन विभाग इस पहल की देखरेख करेगा। जिसमें एसएलपी बांध के ऊपर सुबनसिरी नदी में फिंगरलिंग का पालन-पोषण शामिल है। इस पहल को शुरू करने के लिए, भारतीय मेजर कार्प्स की लगभग 6000 फिंगरलिंग को बांध के नीचे की ओर सुबनसिरी नदी में छोड़ा गया है। इस कार्यक्रम में एसएलपी, एनएचपीसी लिमिटेड और अरुणाचल प्रदेश सरकार के मत्स्य पालन विभाग के अधिकारियों ने भाग लिया।

यह परियोजना सुबनसिरी नदी के निरंतर पारिस्थितिक स्वास्थ्य को सुनिश्चित करते हुए के लिए मत्वपूर्ण मानी जा रही है। इसे नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित और बनाए रखने के लिए एक सहयोगात्मक प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है।

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  • Journalist, focused on environmental reporting, exploring the intersections of wildlife, ecology, and social justice. Passionate about highlighting the environmental impacts on marginalized communities, including women, tribal groups, the economically vulnerable, and LGBTQ+ individuals.

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