...
Skip to content

प्रदेश के बाघों पर शिकारियों का साया, फॉरेस्‍ट ने जारी किया रेड अलर्ट

प्रदेश के बाघों पर शिकारियों का साया, फॉरेस्‍ट ने जारी किया रेड अलर्ट
प्रदेश के बाघों पर शिकारियों का साया, फॉरेस्‍ट ने जारी किया रेड अलर्ट

REPORTED BY

Follow our coverage on Google News

देशभर में टाइगर और अन्‍य वन्‍य प्राणियों का शिकार करने वाले बावरिया और पारधी जाति के कुख्‍यात शिकारियों ने एक बार फिर से मध्‍य प्रदेश में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। इसकी सूचना मिलते ही वन्‍य प्राणियों, खासकर बाघ की सुरक्षा को लेकर मप्र वन विभाग भी अलर्ट मोड में काम कर रहा है। 

मुख्‍य रूप से बाघों का शिकार कर, उनके अंगों को चाइना में एक्‍सपोर्ट करने वाले बावरिया समुदाय के पूर्व में भी दो सदस्‍य विदिशा से गिरफ्तार किए गए थे। फिलहाल ये दोनों नर्मदापुरम जेल में बंद हैं। इन्‍हीं शिकारियों का गैंग वर्तमान में राज्‍य के विभिन्‍न टाइगर रिजर्व और वन मंडलों के आसपास बाघ सहित अन्‍य प्राणियों के शिकार की फिराक में सक्रिय है। खासकर के यह नर्मदापुरम, सिवनी, छिंदवाड़ा, बैतूल, भोपाल, जबलपुर, कटनी और बालाघाट वन वृत्त (फॉरेस्‍ट सर्किल) के आसपास सक्रिय हैं। 

ऐसे में वन्‍य प्राणियों की सुरक्षा को लेकर पीसीसीएफ (वाइल्‍ड लाइफ) शुभरंजन सेन ने अलर्ट जारी किया है। प्रदेश भर के सभी सीसीएफ, एडीजी एसटीएफ, सभी टाइगर रिजर्व के सभी क्षेत्र संचालक, डीएफओ और स्‍टेट टाइगर फोर्स के अधिकारियों को गश्‍ती बढ़ाने और सर्तक रहने के निर्देश दिए गए हैं। 

इसके अलावा पीसीसीएफ (वाइल्‍ड लाइफ) ने अपने आदेश में फोर्स और डॉग स्‍क्वाॅड को घुमक्‍कड़ जनजातियों के डेरों पर सर्चिग करने के निर्देश भी दिए हैं। सर्चिंग के दौरान बावरिया और पारधी समुदाय की उपस्थिति मिलने पर पूछताछ कर थाने में उपस्थिति दर्ज कराई जाएगी। 

साथ ही टाइगर रिजर्व क्षेत्र और उसके आसपास के इलाकों में किसी भी घुमक्‍कड़ और बाहरी आदमी के मिलने पर प्‍लास्टिक की थैलियां, चादर कंबल, जड़ी-बूटी, ड्रायफ्रूट के बॉक्‍स की चेकिंग करने और नजर रखने के आदेश भी दिए गए हैं। 

कुख्‍यात शिकारी से मिली सूचना 

महाराष्‍ट्र, मेघालय, तमिलनाडु और असम के बाद राज्‍य में सक्रिय हुए शिकारी, कल्‍ला बावरिया को स्‍टेट टाइगर स्‍ट्राइक फोर्स ने अगस्‍त 2023 में विदिशा से गिरफ्तार किया था। कल्ला की गिरफ्तारी के बाद उसके सहयोगी पुजारी बावरिया को भी फोर्स ने अपनी गिरफ्त में ले लिया था। 

वर्तमान में दोनों नर्मदापुरम (होशंगाबाद) जेल में सजा काट रहे हैं। इन्‍हीं दाेनों से मिली सूचना के आधार पर 11 सालों से फरार कुख्‍यात शिकारी अजीत पारधी को जुलाई 2024 में कटनी से गिरफ्तार किया था। 

हालांकि, अजीत पारधी को सितंबर 2024 में ही जबलपुर उच्च न्यायलय से जमानत मिल गई थी, लेकिन इसे एक अन्‍य मामले में महाराष्‍ट्र वन विभाग द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया है और यह अभी जेल में है। अजीत से मिली जानकारी के आधार पर ही स्‍टेट फॉरेस्‍ट डिपार्टमेंट अलर्ट हुआ है। 

इस तरह करते हैं बाघ का शिकार

घुमक्‍कड़ जनजातियों में से एक बावरिया जनजाति को आपराधिक जनजाति में गिना जाता है। इस जनजाति के लोग क्‍लच वायर का इस्‍तेमाल कर बाघ का शिकार करने के लिए जाने जाते हैं। यह क्‍लच वायर के फंदे लगाते है, इन फंदों में बाघ की गर्दन फंस जाती है। बाघ गंभीर रूप से जख्‍मी हो जाता है और बाघ की मौके पर ही मौत हो जाती है। बाघ की मौत के बाद बिकने वाले अंगों को काट कर तस्‍करी की जाती है। 

भारतीय बाघ के अंगों के अलावा अन्‍य वन्‍यजीवों की भी भारत के साथ ही चीन में भी काफी मांग है। ऐसे में बाघ की मूंछ के बाल, जननांग, नाखून और अन्‍य अंग तस्‍करी के जरिए बड़े कॉरपोरेट के माध्‍यम से विदेशों तक भेजे जाते हैं। इन्हीं बातों को देखते हुए इन पर लगाम लगाने के लिए वन विभाग पुलिस समय-समय पर छापामार कार्रवाई और सघन गश्‍ती जैसे अभियान चला रही है। 

भारत में स्वतंत्र पर्यावरण पत्रकारिता को जारी रखने के लिए ग्राउंड रिपोर्ट का आर्थिक सहयोग करें। 

पर्यावरण से जुड़ी खबरों के लिए आप ग्राउंड रिपोर्ट को फेसबुकट्विटरइंस्टाग्रामयूट्यूब और वॉट्सएप पर फॉलो कर सकते हैं। अगर आप हमारा साप्ताहिक न्यूज़लेटर अपने ईमेल पर पाना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें।

पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी जटिल शब्दावली सरल भाषा में समझने के लिए पढ़िए हमारी क्लाईमेट ग्लॉसरी   

यह भी पढ़ें

निजी कंपनियों को जंगल देने की तैयारी में मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश में किंग कोबरा लाने की तैयारी, क्या सर्पदंश कम हो सकेंगे?

नेशनल पार्क बने सालों बीत गए मगर सीमाएं तय नहीं कर पाई मध्य प्रदेश सरकार

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने कछुए की कथित तांत्रिक हत्या पर जांच के लिए वन विभाग को दिया निर्देश

 

Author

  • Based in Bhopal, this independent rural journalist traverses India, immersing himself in tribal and rural communities. His reporting spans the intersections of health, climate, agriculture, and gender in rural India, offering authentic perspectives on pressing issues affecting these often-overlooked regions.

    View all posts

Support Ground Report to keep independent environmental journalism alive in India

We do deep on-ground reports on environmental, and related issues from the margins of India, with a particular focus on Madhya Pradesh, to inspire relevant interventions and solutions. 

We believe climate change should be the basis of current discourse, and our stories attempt to reflect the same.

Connect With Us

Send your feedback at greport2018@gmail.com

Newsletter

Subscribe our weekly free newsletter on Substack to get tailored content directly to your inbox.

When you pay, you ensure that we are able to produce on-ground underreported environmental stories and keep them free-to-read for those who can’t pay. In exchange, you get exclusive benefits.

Your support amplifies voices too often overlooked, thank you for being part of the movement.

EXPLORE MORE

LATEST

mORE GROUND REPORTS

Environment stories from the margins