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बाघों के बाद शेरों का नया ठिकाना बनेगा मध्य प्रदेश

बाघों के बाद शेरों का नया ठिकाना बनेगा मध्य प्रदेश
बाघों के बाद शेरों का नया ठिकाना बनेगा मध्य प्रदेश

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मध्य प्रदेश में बाघों की तर्ज पर शेरों को भी बसाने की योजना चल रही है। जिसके लिए गुजरात के गिर जंगल से शेरों का जोड़ा लाया गया है। इन्हें 21 दिसम्बर को भोपाल के वन विहार में ही 11 जनवरी 2025 तक के लिए क्वारेंटाइन रखा गया था। इसके बाद इन्हें मध्य प्रदेश के जंगलों में छोड़ने का निर्णय लिया जाना है।   

शेरों का जोड़ा गुजरात के जूनागढ़ के सक्करबाग चिड़ियाघर से लाए गए हैं। इनकी उम्र 3 से 4 साल के बीच है। शेरों के इस जोड़े को एनीमल एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत लाया गया है। इनके बदले में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से 2 बाघों को गुजरात भी भेजा गया है। वन विहार में पहले से ही नर शेर सत्या, मादाएं गंगा और नंदी रह रहे थे। अब एक और जोड़े के आने से वन विहार में शेरों की कुल संख्या 5 हो गई है।

जल्द ही इन पांचों को वन विहार के बाड़े में छोड़ दिया जाएगा। इन शेरों से ब्रीडिंग कराकर ही इन्हें पुनर्वासित किया जाएगा। वन विहार में पहले से उपस्थित तीनों शेरों के पेरेंटल सिंह चिड़ियाघर में ही पैदा हुए थे। इसलिए इनके साथ ब्रीडिंग प्रोग्राम आगे नहीं बढ़ पाया। लेकिन गुजरात से लाए गए जोड़े में वाइल्ड डीएनए पाया गया है जिससे कि ब्रीडिंग सम्भव है। इन्हें जंगल में एक रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान पकड़ा गया था। इसलिए इनसे पैदा होने वाले शावकों को ट्रेंड कर जंगल में छोड़ा जाएगा।

बाघों से मिली प्रेरणा

पन्ना टाइगर रिजर्व में साल 2009 से 2014 तक फील्ड डायरेक्टर रहे आर श्रीनिवास मूर्ति के अनुसार इस पार्क में साल 2008 में बाघों की संख्या शून्य हो चुकी थी। जिसके बाद सरकार ने इस पार्क को बाघों से पुनर्वासित करने का निर्णय लिया था। कान्हा टाइगर रिजर्व से एक बाघिन हेलीकाॅप्टर से पन्ना लाई गयी थी, साथ ही पेंच से एक नर बाघ टी-3 को लाया गया था। इसके बाद कान्हा से दो और बाघिनों को पन्ना लाया गया था। बाघों के पुनर्वासन के बाद फिलहाल पन्ना में बाघों की संख्या 90 हो चुकी है जिनमें से 48 वयस्क हैं। अब इसी तरीके से मध्य प्रदेश में शेरों के पुनर्वासन को लेकर सरकार प्रयासरत दिख रही है।

सुप्रीम कोर्ट में लड़ी गई थी लड़ाई 

भारत में बब्बर शेर सिर्फ गुजरात के गिर नेशनल पार्क में ही पाए जाते हैं। इन शेरों को मध्य प्रदेश में लाने के लिए साल 1992 में ही कूनो नेशनल पार्क में सिंह परियोजना की शुरूआत कर दी गई थी। लेकिन लम्बे समय तक शेरों का आगमन रूका रहा। फिर पर्यावरण कार्यकर्ता अजय दुबे ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने साल 2013 में भारत सरकार को 6 महीने के भीतर शेरों को कूनो नेशनल पार्क भेजने का आदेश दिया था। इसके बावजूद साल 2014 तक भी शेर मध्य प्रदेश नहीं आए तो अजय दुबे ने अवमानना की याचिका लगाई थी। तब साल 2018 में भारत सरकार की तरफ से निश्चित किया गया कि जल्द ही शेरों को कूनो भेजा जाएगा।

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