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स्वच्छ पानी के लिए बढ़ाना होगा भूजल स्तर

स्वच्छ पानी के लिए बढ़ाना होगा भूजल स्तर
स्वच्छ पानी के लिए बढ़ाना होगा भूजल स्तर

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सुदर्शन सोलंकी |  स्रोत विज्ञान एवं टेक्नॉलॉजी फीचर्स | पानी की कमी दुनिया की प्रमुख पर्यावरणीय समस्याओं में से एक है। दुनिया की अधिकांश आबादी ऐसे क्षेत्रों में रहती है जहां पानी सीमित है या अत्यधिक प्रदूषित है। जल प्रदूषण स्वास्थ्य की गंभीर समस्याओं को जन्म दे सकता है।

नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित अध्ययन ने इस ओर ध्यान दिलाया है कि पानी की कमी पर शोध प्रमुखत: पानी की मात्रा पर केंद्रित होते हैं, जबकि पानी की गुणवत्ता को नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्यों की प्रदूषण निगरानी एजेंसियों के एक विश्लेषण से पता चला है कि हमारे प्रमुख सतही जल स्रोतों का 90 प्रतिशत हिस्सा अब उपयोग के लायक नहीं बचा है।

प्रदूषित होने के साथ ही जल स्रोत तेज़ी से अपनी ऑक्सीजन खो रहे हैं। इनमें नदियां, झरने, झीलें, तालाब व महासागर भी शामिल हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक जब पानी में ऑक्सीजन का स्तर गिरता है, तो यह प्रजातियों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है और पूरे खाद्य जाल को बदल सकता है।

सेंट्रल वॉटर कमीशन और सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड के पुनर्गठन की कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार भारत की कई प्रायद्वीपीय नदियों में मानसून में तो पानी होता है लेकिन मॉनसून के बाद इनके सूख जाने का संकट बना रहता है। देश के ज़्यादातर हिस्सों में भूजल का स्तर बहुत नीचे चला गया है, जिसके कारण कई जगहों पर भूमिगत जल में फ्लोराइड, आर्सेनिक, आयरन, मरक्यूरी और यहां तक कि युरेनियम भी मौजूद है।

दुनिया भर में लगभग 1.1 अरब लोगों के पास पानी की पहुंच नहीं है, और कुल 2.7 अरब लोगों को साल के कम से कम एक महीने पानी की कमी का सामना करना पड़ता है। अपर्याप्त स्वच्छता भी 2.4 अरब लोगों के लिए एक समस्या है – वे हैजा और टाइफाइड जैसी बीमारियों और अन्य जल जनित बीमारियों के संपर्क में हैं। हर साल बीस लाख लोग, जिनमें ज़्यादातर बच्चे शामिल हैं, सिर्फ डायरिया से मरते हैं।

बेंगलुरु जैसे बड़े शहर जल संकट से जूझ रहे हैं, जहां इस साल टैंकरों से पानी पहुंचाना पड़ा। दिल्ली की झुग्गियों में रहने वाले लोगों को रोज़मर्रा के कामों के लिए भी पानी की किल्लत झेलनी पड़ती है। राजस्थान के कुछ सूखे इलाकों में तो हालात और भी खराब रहते हैं।

भारत, दुनिया में सबसे ज़्यादा भूजल का इस्तेमाल करने वाला देश है। प्राकृतिक कारणों के अतिरिक्त भूजल स्रोत विभिन्न मानव गतिविधियों के कारण भी प्रदूषित होते हैं। और यदि एक बार भूजल प्रदूषित हो गए तो उन्हें उपचारित करने में अनेक वर्ष लग सकते हैं या उनका उपचार किया जाना संभव नहीं होता है। अत: यह अत्यंत आवश्यक है कि किसी भी परिस्थिति में भूमिगत जल स्रोतों को प्रदूषित होने से बचाया जाए। भूमिगत जल स्रोतों को प्रदूषण के खतरे से बचाकर ही उनका संरक्षण किया जा सकता है।

जलवायु परिवर्तन दुनिया भर में मौसम और बारिश के पैटर्न को बदल रहा है, जिससे कुछ इलाकों में बारिश में कमी और सूखा पड़ रहा है और कुछ इलाकों में बाढ़ आ रही है। जल संरक्षण की उचित व्यवस्था न होने के कारण भी कभी बाढ़, तो कभी सूखे का सामना करना पड़ सकता है। यदि हम जल संरक्षण की समुचित व्यवस्था कर लें, तो बाढ़ पर नियंत्रण के साथ ही सूखे से निपटने में भी बहुत हद तक कामयाब हो सकेंगे। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि संचित वर्षा जल से भूजल स्तर भी बढ़ जाएगा और जल संकट से बचाव होगा। और साथ ही स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता की स्थिति भी बेहतर हो जाएगी। (स्रोत फीचर्स) 

इस लेख में छपे विचार लेखक के निजी विचार हैं, एकलव्य या ग्राउंड रिपोर्ट का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है। 

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  • Climate journalist and visual storyteller based in Sehore, Madhya Pradesh, India. He reports on critical environmental issues, including renewable energy, just transition, agriculture and biodiversity with a rural perspective.

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