यह ‘ग्राउंड रिपोर्ट’ के डेली मॉर्निंग पॉडकास्ट का 69वां एपिसोड है। बुधवार, 19 नवंबर को देश भर की पर्यावरणीय ख़बरों के साथ पॉडकास्ट में बात होगी भारत के नए एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंट प्लान और भोपाल में पेड़ों की कटाई पर हालिया आदेश के बारे में।
मुख्य सुर्खियां
ब्राज़ील में हो रहे COP30 में भारत के केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव शिरकत कर रहे हैं। सोमवार को भारत ने आगामी ग्लोबल बिग कैट सम्मिट 2026 की मेजबानी करने की इक्षा जताई है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने वर्ल्ड एएमआर जागरूकता सप्ताह 2025 के अवसर पर एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंट (AMR) पर भारत के नेशनल प्लान का दूसरा वर्जन लॉन्च किया। यह प्लान 2025 से 2029 के लिए विकसित किया गया है।
क्लाइमेट चेंज परफोर्मेंस इंडेक्स में भारत 13 स्थान नीचे खिसककर 23वें स्थान पर पहुंच गया है। इससे पहले लगातार 6 साल तक भारत टॉप 10 हाई परफोर्मिंग कंट्रीज में से एक रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने 16 मई को अपने एक आदेश में केंद्र सरकार की पर्यावरण मंज़ूरी से जुड़ी हुई एक अधिसूचना को निरस्त कर दिया था। अब अपने हालिया फैसले में 2-1 के बहुमत से कोर्ट ने अपना ही फैसला पलट दिया है। दरअसल सरकार ने एक अधिसूचना लाई थी कि किसी भी प्रोजेक्ट के शुरू होने के बाद भी उसे पर्यावरण मंज़ूरी दी जा सकती है। मगर कोर्ट ने 16 मई को इसे निरस्त कर दिया। बाद में इस पर फिर सुनवाई हुई और अब कोर्ट ने अपने पुराने फैसले को पलट दिया। भारत के मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन ने इस फैसले को वापस लेने का समर्थन किया, जबकि न्यायमूर्ति उज्जल भुयान ने असहमति जताते हुए कहा कि बहुमत का फैसला “पर्यावरण न्यायशास्त्र के मूल सिद्धांतों की अनदेखी करता है”।
चेन्नई से नई दिल्ली प्रदर्शन के लिए जा रहे तमिलनाडु के 225 किसानों को मंगलवार शाम नर्मदापुरम और इटारसी रेलवे स्टेशन पर रोक लिया गया। पुलिस और रेलवे सुरक्षा बल ने उन्हें जीटी एक्सप्रेस और तमिलनाडु एक्सप्रेस से उतारा। इस दौरान कई किसानों ने अर्धनग्न होकर प्रदर्शन किया और नारेबाजी की।
उज्जैन के लैंड पूलिंग वाले फैसले को वापस लेने के एक दिन बाद प्रदेश सरकार ने ममलेश्वर लोक प्रोजेक्ट को भी निरस्त कर दिया है।
मध्य प्रदेश में नई रोड ट्रांसपोर्ट सेवा अगले साल अप्रैल से इंदौर में शुरू होगी। पहले चरण में 32 रूटों पर बसें चलेंगी। दूसरे चरण में यह विस्तार 771 रूटों तक होगा, जिन पर 1706 नई बसें निजी निवेशकों द्वारा चलाई जाएंगी। इंदौर, भोपाल और उज्जैन में कुल 73 रूटों का सर्वे पूरा हो चुका है, जिसके आधार पर नई बस सेवाएं चरणबद्ध तरीके से शुरू होंगी। सरकार कोई बसें नहीं खरीदेगी, बल्कि पूरे मॉडल को निजी निवेश और PPP ढांचे पर संचालित किया जाएगा, जिसमें कम्पनियां डिपो और चार्जिंग स्टेशन भी बनाएंगी।
मंगलवार को कैबिनेट की मीटिंग में प्रधानमंत्री कृषक मित्र योजना में संशोधन को मंजूरी दी गई। इसके तहत, किसानों को पहले से स्थापित सोलर पंप के अलावा उच्च क्षमता का सोलर पंप लेने का विकल्प दिया जाएगा। अब, 3 एचपी के अस्थायी कनेक्शनधारकों को 5 एचपी और 5 एचपी के अस्थायी कनेक्शनधारकों को 7.5 एचपी के सोलर पंप का विकल्प मिलेगा। योजना के पहले चरण में, बिना बिजली कनेक्शन वाले या अस्थायी बिजली कनेक्शन वाले किसानों को सोलर पंप का लाभ दिया जाएगा।
विस्तार से चर्चा
एएमआर पर भारत का राष्ट्रीय प्लान (पल्लव जैन के साथ)
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने वर्ल्ड एमआर अवेयरनेस वीक 2025 के अवसर पर एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) पर भारत के नेशनल प्लान का दूसरा वर्जन लॉन्च किया है। यह प्लान 2025 से 2029 की अवधि के लिए विकसित किया गया है। यह पहली बार नहीं है; AMR को लेकर भारत का पहला एक्शन प्लान 2017 में लॉन्च हुआ था।
AMR क्या है?: AMR तब होता है जब बैक्टीरिया, वायरस, फंगस और पैरासाइट जैसे माइक्रो-ऑर्गेनिज़्म उन दवाओं (जैसे एंटीबायोटिक्स, एंटीवायरल, एंटीफंगल) के प्रति रेजिस्टेंस हो जाते हैं जो उन्हें मारने या उनकी वृद्धि को रोकने के लिए बनाई गई हैं। इस स्थिति के कारण इंफेक्शन का इलाज करना मुश्किल हो जाता है, जिससे बीमारी फैलने, गंभीर बीमारी और मौत का खतरा बढ़ जाता है।
कारण और प्रभाव: AMR प्राकृतिक रूप से जेनेटिक बदलावों से हो सकता है, लेकिन यह इंसानों, जानवरों और खेती में एंटी-माइक्रोबियल दवाओं के ज्यादा और गलत इस्तेमाल से बढ़ जाता है। भारत में एंटीबायोटिक्स का उपयोग और दुरुपयोग बहुत अधिक है, क्योंकि लोग अक्सर मेडिकल स्टोर पर खुद से दवाएं लेने लगते हैं।
AMR एक बड़ा पब्लिक हेल्थ संकट है, जो मॉडर्न मेडिसिन के लिए खतरा है क्योंकि इससे मौत की दर ज्यादा हो जाती है और इसके गंभीर आर्थिक नतीजे भी होते हैं। चूंकि बीमारी को ठीक होने में समय लगता है, इसलिए लोगों का खर्च बढ़ जाता है, जिसका असर देश की जीडीपी पर भी पड़ता है।
भारत के लिए AMR प्लान आवश्यक है क्योंकि देश में संक्रामक बीमारियों की दर अधिक है, एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल ज्यादा है, और खराब सफाई/सैनिटेशन जैसी समस्याओं के कारण AMR का बोझ भारत पर अधिक है।
ड्रग-रेजिस्टेंट इंफेक्शन की वजह से भारत में हर साल लाखों लोगों की जान चली जाती है। AMR उन जरूरी मेडिकल इलाजों (जैसे सर्जरी, कैंसर का इलाज, या ऑर्गन ट्रांसप्लांट) को भी खतरे में डाल देता है, जो इंफेक्शन को रोकने के लिए असरदार एंटीबायोटिक्स पर निर्भर करते हैं। यह ट्यूबरक्लोसिस, मलेरिया और निमोनिया जैसी पहले से ही मुश्किल संक्रामक बीमारियों के असर को और खराब कर देता है।
यह एक्शन प्लान WHO द्वारा बनाए गए ग्लोबल एक्शन प्लान को ध्यान में रखकर बनाया गया है। हालांकि, एक्शन प्लान का दूसरा वर्जन अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है।
पेड़ों की कटाई पर NGT का आदेश (चंद्र प्रताप तिवारी के साथ)
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) की भोपाल स्थित सेंट्रल बेंच ने पिछले 15 सालों में भोपाल में कितने पेड़ कटे हैं, इसकी जांच का आदेश दिया है।
जांच का आदेश: यह इन्वेस्टिगेशन मध्य प्रदेश पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (MPPCB) और मध्य प्रदेश का वन विभाग एक सर्वे के माध्यम से करेंगे। इस सर्वे में सेटेलाइट इमेजरी का इस्तेमाल किया जाएगा। इसका उपयोग करके यह आकलन किया जाएगा कि कितना ग्रीन कवर कम हुआ है, जिसकी तुलना पिछले 15 सालों के नतीजों से की जाएगी। यह रिपोर्ट अगले चार सप्ताह में पेश करनी है।
याचिका और आंकड़े: यह आदेश पर्यावरण कार्यकर्ता सुभाष चंद्र पांडे की याचिका पर दिया गया था। याचिका में ‘ग्लोबल अर्थ सोसाइटी फॉर एनवायरमेंटल एनर्जी एंड डेवलपमेंट’ (GSEED) की रिपोर्ट को जगह दी गई थी। इस रिपोर्ट के अनुसार, 2009 से 2019 तक भोपाल में 225 एकड़ ग्रीन कवर का नुकसान हुआ। पांडे जी ने अनुमान लगाया कि यह नुकसान 4 लाख से अधिक कटे हुए पेड़ों के बराबर था, और 2019 के बाद भी स्थिति बिगड़ी है।
NGT के निर्देश: NGT ने भोपाल म्युनिसिपल कॉरपोरेशन को भी यह निर्देश दिया है कि वे 225 एकड़ के ग्रीन कवर के नुकसान को वापस रिस्टोर करने के लिए एक एक्शन प्लान प्रदान करें। पेड़ों की कटाई अक्सर सड़कों को चौड़ा करने के लिए हुई है, और कई बार ये कटाई बिना किसी परमिट के भी हुई है।
प्रभावित क्षेत्र: यद्यपि सर्वे पूरे भोपाल का होगा, GSEED ने 13 सैंपल पॉइंट्स की पहचान की है। इनमें टीटी नगर का स्मार्ट सिटी एरिया, बीआरटीएस होशंगाबाद रोड, कलियास डैम की ओर जाने वाली सड़क, हबीबगंज रेलवे स्टेशन के दोनों ओर की सड़कें, और जागरण लेक सिटी के आसपास का क्षेत्र शामिल है। टीटी नगर शहर का सबसे व्यस्त इलाका है, जहां स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत बड़ी संख्या में पेड़ काटे गए थे। टीटी नगर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) सबसे ज्यादा रहता है। जागरण लेक सिटी के आसपास का क्षेत्र बाघ मूवमेंट के लिहाज से महत्वपूर्ण वन क्षेत्र है।
स्टडी में यह भी पाया गया कि बरकतुल्लाह यूनिवर्सिटी और स्वर्ण जयंती पार्क में पेड़ों की संख्या बढ़ी है, जबकि एकांत पार्क और शाहपुरा हिल्स के पेड़ 2009 और 2019 के बीच लगभग बराबर बने रहे।
यह था हमारा डेली मॉर्निंग पॉडकास्ट। ग्राउंड रिपोर्ट में हम पर्यावरण से जुडी हुई महत्वपूर्ण खबरों को ग्राउंड जीरो से लेकर आते हैं। इस पॉडकास्ट, हमारी वेबसाईट और काम को लेकर आप क्या सोचते हैं यह हमें ज़रूर बताइए। आप shishiragrawl007@gmail।com पर मेल करके, या ट्विटर हैंडल @shishiragrawl पर संपर्क करके अपनी प्रतिक्रिया दे सकते हैं।
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