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चीतों का तीसरा घर नौरादेही तेज़ी हो रहा तैयार, बाघ भी रहेंगे साथ

यह “ग्राउंड रिपोर्ट का डेली मॉर्निंग पडकास्ट” पर्यावरण आज है, जिसे चंद्र प्रताप तिवारी द्वारा प्रस्तुत किया गया है, और यह गुरुवार, 6 नवंबर को पर्यावरण से जुड़ी महत्वपूर्ण खबरों पर केंद्रित है।


Headlines

तूफान कालमेगी/तालमेगी से फिलीपींस में भारी नुकसान: फिलीपींस के मध्य भाग में आए तूफान ‘तालमेगी’ (Calmegi) से कम से कम 85 लोगों की मौत हो चुकी है और 75 लोग लापता हैं। भारी बाढ़ के कारण वहां राहत और पुनर्वास की बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है।


जलवायु फंड का रोड मैप जारी: यूनाइटेड नेशन कॉप 30 देशों ने पाकू से बेलम रोड मैप जारी किया है। इसका लक्ष्य 2035 तक हर साल 1.3 ट्रिलियन डॉलर का जलवायु फंड जुटाना है। हालांकि, पैसे के स्रोत और निवेश के तरीकों को लेकर अब भी चुनौतियां शामिल हैं।


चीन ने अमेरिकी टेरिफ हटाए, पर सोयाबीन पर शुल्क जारी: चीन ने कुछ अमेरिकी कृषि आयातों पर टैरिफ हटाने का फैसला किया है। लेकिन, अमेरिकी सोयाबीन पर अब भी 13% शुल्क जारी है, जिसके कारण चीनी खरीदारों के लिए ब्राजील के सोयाबीन सस्ते पड़ रहे हैं।


दिल्ली में बिजली आपूर्ति के लिए चार बैटरी सिस्टम को मंजूरी: दिल्ली विद्युत नियामक आयोग ने दक्षिण पश्चिमी दिल्ली में चार ग्रिड स्तर बैटरी स्टोरेज सिस्टम को मंजूरी दी है। इनसे 65.5 मेगावाट अतिरिक्त बैकअप मिलेगा, जिससे बिजली की कटौती कम होगी और भरोसामंदी बढ़ेगी।


दिल्ली में लैंड फिल का बोझ घटाने की नई योजना: दिल्ली नगर निगम चार नए कचरा प्रोसेसिंग प्लांट (हलसवा, सिंघोला, ओखला, और नरेला बवाना में) लगाने जा रहा है। ये प्लांट रोजाना 8000 टन से ज्यादा कचरे को प्रोसेस करेंगे ताकि लैंड फिल का दबाव घटे।


पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं घटी: अनियमित बारिश के कारण पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं 2020 के बाद सबसे कम रही हैं। दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स सुधर कर 202 पर पहुंच गया है, लेकिन प्रदूषण अभी भी चिंता का विषय है।


चर्चा का सारांश

1. नौरादेही अभ्यारण्य: चीतों का तीसरा घर और चुनौती

Antelope in wilds of Madhya Pradesh
मध्य प्रदेश रीवा स्थित वनों में घूमती नीलगाय, तस्वीर ग्राउंड रिपोर्ट

मध्य प्रदेश के नौरा देही अभ्यारण्य को भारत के तीसरे चीता स्थल के रूप में तैयार किया जा रहा है। चुनौती यह है कि यहां पहले से ही 25 बाघ, 100 से ज्यादा मगरमच्छ, इंडियन वुल्फ्स, वाइल्ड डॉग्स और लेपर्ड्स मौजूद हैं। इससे शिकार और क्षेत्र को लेकर प्रतिस्पर्धा बढ़ने की चिंता है। यह पहला मौका होगा जब चीतों को इन अन्य शिकारियों के साथ प्रतिस्पर्धा करनी पड़ेगी, क्योंकि कूनो और गांधी सागर “क्लीन स्लेट” की तरह थे (वहां पहले कोई बड़े शिकारी नहीं थे)।

हालांकि, अधिकारियों का मानना है कि नौरादेही की ग्रासलैंड क्वालिटी और प्रे बेस (चीतल, एंटीलोप, चिंकारा की आबादी) काफी बेहतर है। यह क्षेत्र 25 चीतों को वर्तमान में और भविष्य में लगभग 70 चीतों को सपोर्ट कर सकता है। यह सतपुड़ा और पन्ना टाइगर रिजर्व के बीच एक कॉरिडोर का काम करता है, जो सेंट्रल इंडिया में चीतों के पुनरुत्थान में मदद करेगा।

तैयारियां तेजी से चल रही हैं, और रीलोकेशन पर ₹80 करोड़ खर्च किए गए हैं। हालांकि, यहां चुनौतियां भी हैं, जैसे 30 फॉरेस्ट गार्ड की पोस्ट खाली होना, अवैध कटाई, और फॉरेस्ट फायर। एनटीसीए (NCTA) का मानना है कि यदि प्रे बेस पर्याप्त मात्रा में मौजूद है, तो ये सभी प्रजातियाँ जंगली वातावरण में एक साथ सर्वाइव कर सकती हैं। यह एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि डिपुटी डायरेक्टर के अनुसार, प्रीडेटर्स को नौरादेही से रीलोकेट करने की कोई योजना नहीं है

2. मध्य प्रदेश में कृषि फीडर का बिजली संकट

Lack of electricity connection, power cuts delay wheat sowing in MP
बिजली आधारित पंप से अपने खेत में सिंचाई करते किसान, ओबेदुल्लागंज, जिला रायसेन, तस्वीर ग्राउंड रिपोर्ट

मध्य प्रदेश विद्युत विभाग ने पहले एक सर्कुलर जारी किया था, जिसमें कृषि फीडरों को 10 घंटे से अधिक बिजली आपूर्ति न करने का नियम था, और ऐसा होने पर कर्मचारियों के वेतन काटने की बात थी। मुख्यमंत्री द्वारा संज्ञान लेने के बाद विभाग ने बुधवार को इस आदेश को वापस ले लिया और आदेश जारी करने वालों पर सख्त कार्रवाई की बात कही।

हालांकि, चर्चा के अनुसार, इस आदेश को वापस लेने के बाद भी किसानों की स्थिति में जमीनी स्तर पर कोई बदलाव नहीं आया है। किसान पहले से ही 10 घंटे बिजली आपूर्ति न होने की समस्या झेल रहे हैं। फर्क सिर्फ इतना पड़ा है कि अब बिजली अधिकारियों की सैलरी नहीं कटेगी। इस समय रबी की फसल की बोनी चल रही है, और 10 घंटे बिजली देने का वादा कई क्षेत्रों में “धोखा” साबित हो रहा है।


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Author

Support Ground Report to keep independent environmental journalism alive in India

We do deep on-ground reports on environmental, and related issues from the margins of India, with a particular focus on Madhya Pradesh, to inspire relevant interventions and solutions. 

We believe climate change should be the basis of current discourse, and our stories attempt to reflect the same.

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