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मध्य प्रदेश बजट 2025: 242 करोड़ रूपए से विकसित होंगे जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान

मध्य प्रदेश बजट 2025: 242 करोड़ रूपए से विकसित होंगे जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान
मध्य प्रदेश बजट 2025: 242 करोड़ रूपए से विकसित होंगे जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान

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मध्य प्रदेश सरकार डिंडोरी जिले के घुघवा जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान को फिर से विकसित करने वाली है। आने वाले दिनों में घुघवा सहित धार जिले के डायनासोर जीवाश्म नेशनल पार्क में पर्यटन बढ़ाने के लिए बदलाव किए जाएगें। सरकार ने आगामी वित्त वर्ष से लिए पेश किए गए बजट में जीवाश्म नेशनल पार्कों के लिए कुल 242 करोड़ की अनुमानित राशि आवंटित की है। आइए जानते हैं क्यों महत्वपूर्ण हैं यह दोनों नेशनल पार्क।

घुघवा नेशनल पार्क: पत्थर के पेड़ों का अभ्यारण्य

घुघवा नेशनल पार्क जबलपुर से लगभग 80 किलोमीटर दूर है। यह पार्क लगभग 75 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है, जो दो भागों- संग्रहालय और मुख्य पार्क में बंटा हुआ है। यहां 6.5 करोड़ साल पुराने पेड़ों के जीवाश्म रखे हुए हैं। यह इतने कठोर हैं कि लोग इन्हें पत्थर के पेड़ भी कहते हैं। यहां यूकेलिप्टिस सहित पत्तियों, फलों, पेड़ों और पौधों के जीवाश्म रखे हुए हैं। इनमें खजूर, नीम, जामुन, केला, रुद्राक्ष, कटहल और आंवला के पेड़ों के अत्यंत प्राचीन जीवाश्म शामिल हैं। यहां खारे पानी के पास पाए जाने वाले सीप और घोंघे के जीवाश्म भी बड़ी संख्या में हैं। सबसे खास आकर्षण यहां कांच में रखा डायनासोर का अंडा है। 

घुघवा में मिली चीजों के हिसाब से अनुमान है कि महाद्वीपीय स्थानांतरण के समय घुघवा समुद्र के किनारे रहा होगा या समुद्र का कोई हिस्सा यहां आकर मिलता रहा होगा। इस प्रकार के बड़े बदलाव भूकंप, ज्वालामुखी जैसी लंबी सतत प्रक्रिया से गुजरे होंगे तब लावा और राख ने भूमि के बड़े हिस्से को ढंक लिया होगा। जिसमें जीव-जंतु, पेड़-पौधे दबकर जीवाश्म में बदल गए होंगें। इसलिए करोड़ों साल बाद ये जीवाश्म घुघवा में मिल रहे हैं।

साल 2017 में किए गए एक शोध से पता चला था कि यहां वनस्पतियों के 80 परिवारों की 452 प्रजातियां पायी जाती है। लगभग 6.5 करोड़ साल पहले यह क्षेत्र भारत के पश्चिमी और उत्तरी पूर्वी घाटों की तरह सदाबहार और अर्ध सदाबहार वनों से घिरे हुए थे। यहां मध्यम से बड़े आकार के पेड़ थे, जिनके नीचे छोटे पेड़ और झाड़ियां भी उगा करती  थीं। मध्यम आकार के पेड़ ताड़ जैसे हुआ करते थे। इस प्रकार जैव विविधता की मानव जाति के इतिहास को समझने की दृष्टि से घुघवा जीवाश्म नेशनल पार्क महत्वपूर्ण स्थान है।

देश का पहला जीवाश्म नेशनल पार्क?

यह देश का पहला जीवाश्म नेशनल पार्क है। इसकी स्थापना साल 1970 में मंडला जिले के सांख्यिकी अधिकारी और पुरातत्व इकाई के मानद सचिव डॉ धर्मेंद्र प्रसाद ने की थी। डॉ प्रसाद ने ही घुघवा के आस-पास इन जीवाश्मों की खोज भी की थी। इस पार्क में रखे गए जीवाश्म डिंडोरी जिले के घुघवा, उमरिया, देवराखुर्द, बर्बसपुर, चंटी पहाड़ी, चरगांव और देवरी कोहनी गांव में पाए गए हैं। डॉ प्रसाद ने इन जीवाश्मों के विधिवत अध्ययन के लिए इन्हें लखनऊ स्थित बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पोलियो बॉटनी भेज दिया। यहां डॉ एमबी बांधे और डॉ एसआर इंगले (साइंस कॉलेज जबलपुर) ने इनका विधिवत अध्ययन किया।

फिर साल 1980 में मध्य प्रदेश सरकार ने घुघवा को नेशनल पार्क घोषित कर दिया। तब डिंडोरी मंडला जिले की एक तहसील हुआ करता था। साल 1998 के बाद डिंडोरी को नया जिला बनाया गया।

बीते साल यानि 2024 में ही अशोका यूनिवर्सिटी, पानीपत की एक पुरातत्वविद टीम ने बांधवगढ़ नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व में रिसर्च की। इस दौरान टीम को पुराने जीवाश्म पर प्रागैतिहासिक काल में बनाई गई कलाकृतियां भी मिली हैं। टीम ने इन आकृतियों को लगभग 10 हजार साल पुराना बताया। मध्य प्रदेश में जीवाश्म पर कलाआकृतियों की यह पहली खोज है। 

Ghughwa Fossil Park images
लगभग 6.5 करोड़ साल पुराने पेड़ का जीवाश्म। picture – india.gov.in

साथ ही इस खोज से पता चला कि प्राचीन शिकारी समुदाय (hunter-gatherers) में औजार और कलाकृतियां बनाने के लिए कच्चे माल के रूप में पेड़ के तने का इस्तेमाल किया जाता था। इस तरह लकड़ी के बने औजारों के जीवाश्म का पाया जाना इसलिए भी दुर्लभ है क्योंकि इससे पहली ऐसी खोज केवल तमिलनाडु, त्रिपुरा और राजस्थान में हुई थी।

वहीं डायनासोर जीवाश्म नेशनल पार्क धार जिले में स्थित है। जो डायनासोर के 6.5 करोड़ साल पुराने जीवाश्मों की वजह से वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इसे साल 2011 में नेशनल पार्क का दर्जा दिया गया था। यह पार्क लगभग 89 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है। इस नेशनल पार्क में 6.5 करोड़ साल पुराने शाकाहारी डायनासोर के अंडों के जीवाश्म मिले हैं। यहां सॉरोपॉड (Sauropoda) और एबिलेसॉरस (Abelisaurus) डायनासोर की 6.5 से 10 करोड़ साल पुरानी हड्डियों के अवशेष मिले हैं। साथ ही नर्मदा घाटी में पायी जाने वाली 7.4 से 10 करोड़ साल पुरानी शार्क मछली के अवशेष, 8.5 करोड़ साल पुराने नर्मदा में पाए जाने वाले समुद्री जीवों के अवशेष और 7 करोड़ साल पुराने लंबे पेड़ों के भी जीवाश्म मिले हैं। 

अव्यवस्था से जूझते पार्क

कई मीडिया रिपोर्ट और गूगल पर लिखे गए रिव्यूज से पता चलता है कि घुघवा जीवाश्म नेशनल पार्क में खासी समस्याएं हैं। यहां बिजली को कोई उचित व्यवस्था भी नहीं है। वहीं लगभग 12 सालों से टेंडर न लगने से कैंटीन भी बंद पड़ी हुई है। घुघवा के रेस्ट हाउस की हालत भी ठहरने लायक नहीं है। इन सब कारणों से पर्यटन के लिए लोग इस जगह को छोड़ बांधवगढ़ और कान्हा टाइगर रिजर्व होकर ही वापस चले जाते हैं। 

मगर इस पार्क की हालत भी घुघवा जैसी ही है। साल 2018 में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक धार के डायनासोर जीवाश्म नेशनल पार्क की देखरेख नहीं की जा रही है। साल 2011 में पार्क के बनते ही इसे नलछा जनपद पंचायत को सौंप दिया गया था। साथ ही इसकी देखरेख धार में रहने वाले भूवैज्ञानिक भी कर रहे थे। फिर साल 2018 में इसकी बदतर स्थिति और पर्यटकों को आकर्षित न कर पाने की वजह से इसे पर्यटन विभाग को सौंप दिया गया। यहां जीवाश्मों के विवरण वाली अधिकांश पट्टियां फट या हट चुकी हैं। 

Dinosaur Fossil National Park Bagh
यह दोनों पार्क मनुष्य और प्रकृति के इतिहास को समझने के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं, मगर अव्यवस्थाओं के चलते दोनों पर्यटकों को आकर्षित नहीं कर सके हैं। Picture- facebook.com/DinosaurNationalParkBaghDharMP

हालिया बजट को पेश करते हुए प्रदेश के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने घुघवा जीवाश्म नेशनल पार्क और डायनासोर जीवाश्म नेशनल पार्क को महत्वपूर्ण पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की बात कही है। यह दोनों पार्क पर्यटन के लिहाज से कितने आकर्षण के केंद्र बनते हैं यह तो समय ही बता पाएगा। मगर भारत और विश्व के इतिहास को समझने के लिए यह दोनों पार्क बेहद महत्वपूर्ण हैं। इसलिए इनकी हालत में सुधार होना बेहद ज़रूरी है। 

घुघवा और डायनासोर जीवाश्म नेशनल पार्कों को मध्य प्रदेश के बजट में 242 करोड़ की राशि मिली है। इससे होने वाले नए कामों के लिए हमने डिंडोरी के ज़िला वनमंडलाधिकारी साहिल गर्ग से बात की लेकिन उनकी तरफ से कोई उत्तर प्राप्त नहीं हुआ। जवाब मिलने पर स्टोरी अपडेट कर दी जाएगी।

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