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बागेश्वर के चंद्रशेखर पांडे ने मुंबई से गांव लौटकर शुरु की ऑरगेनिक फार्मिंग

बागेश्वर के चंद्रशेखर पांडे ने मुंबई से गांव लौटकर शुरु की ऑरगेनिक फार्मिंग
बागेश्वर के चंद्रशेखर पांडे ने मुंबई से गांव लौटकर शुरु की ऑरगेनिक फार्मिंग

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43 साल की उम्र में चंद्रशेखर पांडे ने मुंबई की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी छोड़कर उत्तराखंड के बागेश्वर में स्थित अपने छोटे से गांव लौटने का फैसला लिया। विरासत में मिली ज़मीन पर उन्होंने ऑरगैनिक फार्मिंग की शुरुवात की। आज चंद्रशेखर पांडे का 20 एकड़ में फैला ऑर्गेनिक फार्म देश के कई किसानों के लिए एक मिसाल बन चुका है।

चंद्रशेखर बताते हैं कि उनके लिये मुंबई से अपने बीवी और बच्चों को लेकर वापस गांव आने का फैसला आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने एक सपना देखा था जिसे वो पूरा करना चाहते थे। शुरुवात में उन्हें कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ा लेकिन उनका ईरादा मज़बूत था इसलिए सभी कठिनाईयां धीरे-धीरे समाप्त होती चली गई। उन्होंने यहां बिजली, पानी और सड़क की व्यवस्था खुद ही की, इससे पहले यहां कोई सुविधा उपलब्ध नहीं थी।

उन्होंने ग्राउंड रिपोर्ट को बताया की पहाड़ी ईलाका होने की वजह से यहां खेती करना मैदानी इलाकों से कठिन है, हमने यहां की ज़मीन को खेती योग्य बनाया और यहां की मिट्टी की अहमियत को समझते हुए तरह तरह के फल सब्ज़ी उगाना शुरु किया। हमारा उद्देश्य मार्केट में 100 फीसदी ऑरगेनिक प्रोडक्ट उगाना है। फल सब्ज़ियों के अलावा, हमारे यहां कई तरह की जड़ी बूटियां उगाई जाती हैं, जिनसे गांव के लोगों का स्वास्थ्य भी ठीक रहता है।

अश्वगंधा, कैमोमाइल, लेमनग्रास, लेमनबाम, डेंडेलियन, रोजमेरी, भूमि आंवला, आंवला, रिठा, हरड़, वनतुलसी, रामातुलसी, श्यामा तुलसी और कई जड़ी-बूटियां चंद्रशेखर के फार्म में उगाई जा रही हैं।

खेती के काम में चंद्रशेखर के परिवार के सदस्य भी उनकी मदद करते हैं। गांव के लोग भी मुंबई से आए चंद्रशेखर के काम को देखकर खुश हैं। कई लोगों को यहां रोज़गार मिला है और दूसरे किसान चंद्रशेखर से नए तरीकों से खेती करने का हुनर सीख रहे हैं।

मुंबई में 22 साल नौकरी करने के बाद गांव लौटने की वजह चंद्रशेखर का अपने गांव के प्रति लगाव था। उत्तराखंड के गांवों से लोग लगातार पलायन कर शहरों की तरफ भाग रहे हैं, लेकिन चंद्रशेखर पांडे ने शहर से गांव लौटकर एक नई मिसाल पेश की है। उनका मानना है कि हौंसला और जुनून हो तो इंसान कहीं भी रहे अपने समाज के लिए कुछ बेहतर कर ही सकता है।

बंग्ला नाम से प्रसिद्ध चंद्रशेखर के फार्म में होमस्टे और रेस्टोरेंट भी बना है, यहां लोग रुककर प्रकृति का आनंद ले सकते हैं और ऑर्गेनिक प्रोडक्ट से खुद को डिटॉक्स कर सकते हैं।

हिम नैचुरल के नाम से चंद्रशेखर के फार्म के प्रोडक्ट उपलब्ध हैं। उनको इस काम के लिए सरकार द्वारा सम्मानित भी किया गया है।

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  • Climate journalist and visual storyteller based in Sehore, Madhya Pradesh, India. He reports on critical environmental issues, including renewable energy, just transition, agriculture and biodiversity with a rural perspective.

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