...
Skip to content

Sherdil Review: मौतों के बाद फोटोशूट करवाने वाले नेताओं के दौर में एक ‘शेरदिल’ लीडर की कहानी

Sherdil Review: मौतों के बाद फोटोशूट करवाने वाले नेताओं के दौर में एक 'शेरदिल' लीडर की कहानी
Sherdil Review: मौतों के बाद फोटोशूट करवाने वाले नेताओं के दौर में एक 'शेरदिल' लीडर की कहानी

REPORTED BY

Follow our coverage on Google News

Sherdil: The Pilibhit Saga Movie Review | शेरदिल गांव झुंडाओ की कहानी है, जिसका सरपंच गंगाराम खुद को शेर का चारा बनाकर सरकारी मुआवज़े से अपने गांव की तकदीर बदलना चाहता है।

गंगाराम के किरदार में है पंकज त्रिपाठी जो इस पूरी फिल्म की जान हैं, दूसरा किरदार है उनकी पत्नी का जिसे निभाया है सयानी गुप्ता ने, इस फिल्म में सयानी गुप्ता ने बेहतरीन अभिनय किया है और अपने किरदार में जान डाल दी है। गंगाराम उन्हें ज्वालामुखी कहकर बुलाते हैं, वो इसलिए क्योंकि सयानी का गुस्सा हमेशा सातवे आसमान पर होता है।

Sherdil: The Pilibhit Saga Movie Review Sayani gupta acting

तीसरा मुख्य किरदार शिकारी का है जिसे नीरज काबी ने बड़े ही उम्दा ढंग से प्ले किया है।

बैकग्राउंड

शेरदिल द पीलीभीत सैगा, भारत में रिज़र्वड फॉरेस्ट के पास रहने वाले लोगों की कहानी है, जिनकी किस्मत में सरकारी सिस्टम की बेरुखी के सिवा कुछ और लिखा ही नहीं है। दरअसल झुंडाओ ऐसे ही एक टाईगर रिज़र्व फॉरेस्ट के पास का गांव है। यहां जंगली जानवर किसानों की फसलों को बर्बाद कर देते हैं, कई लोग अपने खेतों में काम करते हुए इन जंगली जानवरों का चारा बन जाते हैं। लेकिन रिज़र्वड फॉरेस्ट एरिया में इंसानों की कीमत उतनी नहीं है जितनी जंगली जानवरों की है। ये किसान कुछ नहीं कर सकते, जंगलों में बिना पर्मिशन के जा भी नहीं सकते। अपने खेतों में आग नहीं जला सकते, जानवरों को डंडे तक से भगा नहीं सकते, अगर ऐसा किया तो सरकारी सिस्टम जेल में डाल देता है। नतीजतन फसलें खराब हो जाती हैं जिसका मुआवज़ा भी नहीं मिलता।

यह कहानी (Sherdil Movie Review) हर उस इंसानी बस्ती की है, जो जंगलों के करीब है।

प्लॉट

झुंडाओ में भुखमरी और बेरोज़गारी की वजह से लोग आत्मह्त्या कर रहे हैं, हर दिन लोग मर रहे हैं और सिस्टम उनकी खैर खबर नहीं ले रहा है। गांव के लोग सरपंच गंगाराम को शहर जाकर किसी सरकारी स्कीम की खोज खबर लेने के लिए भेजते हैं, जिससे गांव का उद्धार हो सके। लेकिन गंगाराम खाली हाथ लौटते हैं, क्योंकि शहर जाकर उन्हें पता चलता है कि सिस्टम एक ऐसे अंतरजाल में व्यस्त है जिसके जाल उसके गांवों तक अभी नहीं पहुंचे हैं। यानि सिस्टम के ज़रिए गांव में विकास लाने की राह बड़ी जटिल है। लेकिन गंगाराम लौटते हुए एक पोस्टर सरकारी दफ्तर के बाहर देखते हैं जिसमें लिखा होता है कि अगर किसी किसान की खेत में जंगली जानवर के हमले से मौत होती हैं तो सरकार उसे तुरंत 10 लाख का मुआवज़ देगी। तभी गंगाराम तय करते हैं कि वो गांव की उन्नती के लिए शेर का चारा बनेंगे, मुआवज़े के पैसे से गांव का उद्धार करेंगे।

Sherdil: The Pilibhit Saga Movie Review Pankaj tripathi best acting

गंगाराम आज के दौर में उस ज़माने के लीडर के गुण लिए होते हैं जो अपने लोगों के लिए जान की बाज़ी लगाने से भी नहीं डरता। वो हज़ारों लोगों के मर जाने के बाद फोटोशूट करवाने वाले नेताओं के दौर में भगत सिंह बन जाने की चाह रखता है।

गंगाराम गांव वालों को स्कीम बताते हैं और प्लान तैयार करते हैं, जंगल जाकर शेर का शिकार होने का। यह फिल्म (Sherdil Movie Review) एक सच्ची घटना पर आधारित है, 2017 में एक गांव में सरकारी मुआवज़ा लेने के लिए गांव के बुज़ुर्ग जबरन शेर का शिकार हुए थे।

Sherdil: The Pilibhit Saga Movie Review  Neeraj Kabi Best ACting

कहानी आगे बढ़ती है गंगाराम जंगल पहुंचते हैं, जहां उन्हें मिलते हैं शिकारी (नीरज काबी)। फिल्म का काफी बड़ा हिस्सा इ्न्हीं दोनों के संवाद पर आधारित है। इनके बीच होने वाली बातों में इंसान और प्रकृति के बीच खींची गई सरकारी दीवार की परतें खुलती हैं। फिल्म में आगे क्या होता है…. उसके लिए आप फिल्म देखें तो ज्यादा बेहतर होगा, क्योंकि श्रीजीत सरकार ने एक ऐसे मुद्दे को फिल्माने का साहस किया है, जिसकी ज़रुरत आज के दौर में बेहद ज़रुरी है, जब पूंजीपतियों के लिए जंगलों के दरवाज़े खोले जा रहे हैं और जंगल-आश्रित जनों के लिए बंद।

यह फिल्म नेटफ्लिक्स पर उपलब्ध है।

वीक पॉईंट

पूरी फिल्म पंकज त्रिपाठी, सयानी और नीरज काबी के अभिनय पर टिकी है। फिल्म की स्क्रिप्ट में ज्यादा दम नहीं दिखता, फर्सट हाफ के बाद फिल्म भाषण बनकर रह जाती है। बीच में फिल्म बेहद उबाउ हो जाती है और अंत में घिसे पिटे अंदाज़ का ज्ञान देने वाला क्लाईमैक्स फिल्म को वो बनने से रोक देता है जिसकी यह कहानी हकदार है।

स्ट्रॉंग पॉईंट

एक अलग विषय, पंकज त्रिपाठी और अन्य कलाकारों के शानदार अभिनय, गुलज़ार और संत कबीर की धुनों को एक साथ सुनने के लिए फिल्म देखी जा सकती है।

(Sherdil Movie Review) फिल्म देखने के बाद आप फीडबैक भेज सकते हैं Pallavvjain@gmail.com पर

और पढ़ें-

You can connect with Ground Report on FacebookTwitterKoo AppInstagram, and Whatsapp and Subscribe to our YouTube channel. For suggestions and writeups mail us at GReport2018@gmail.com

Author

  • Climate journalist and visual storyteller based in Sehore, Madhya Pradesh, India. He reports on critical environmental issues, including renewable energy, just transition, agriculture and biodiversity with a rural perspective.

    View all posts

Support Ground Report to keep independent environmental journalism alive in India

We do deep on-ground reports on environmental, and related issues from the margins of India, with a particular focus on Madhya Pradesh, to inspire relevant interventions and solutions. 

We believe climate change should be the basis of current discourse, and our stories attempt to reflect the same.

Connect With Us

Send your feedback at greport2018@gmail.com

Newsletter

Subscribe our weekly free newsletter on Substack to get tailored content directly to your inbox.

When you pay, you ensure that we are able to produce on-ground underreported environmental stories and keep them free-to-read for those who can’t pay. In exchange, you get exclusive benefits.

Your support amplifies voices too often overlooked, thank you for being part of the movement.

EXPLORE MORE

LATEST

mORE GROUND REPORTS

Environment stories from the margins