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Transporter’s Strike : “जितना जुर्माना लगा रहे हैं उतनी हमारी साल भर की कमाई भी नहीं है”

Transporter's Strike : “जितना जुर्माना लगा रहे हैं उतनी हमारी साल भर की कमाई भी नहीं है”
Transporter's Strike : “जितना जुर्माना लगा रहे हैं उतनी हमारी साल भर की कमाई भी नहीं है”

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मोहम्मद नवाज़ भोपाल के नादरा बस स्टैंड पर एक बस की टेक लेकर ज़मीन पर बैठे हुए हैं. वह जिस बस की टेक लेकर बैठे हैं 31 दिसंबर तक वह उसे चलाते थे. मगर बीते 2 दिनों से चल रही देशव्यापी हड़ताल (Transporter’s strike) के बाद प्रदेश सहित देश के अधिकतर हिस्सों में पहिए रुक गए हैं. सड़कें अपेक्षाकृत खाली हैं. पेट्रोल पम्प में कतारें लम्बी हैं. लोग आवश्यकता से अधिक सामान ख़रीदकर घर ले जा रहे हैं. इसमें फल, सब्ज़ी, दूध के साथ ही पेट्रोल-डीज़ल भी शामिल है. 

Bus Strike Bhopal
बीती 1 जनवरी से मध्य प्रदेश सहित देशभर में बस और अन्य ट्रांसपोर्ट व्हीकल के ड्राइवर हड़ताल पे हैं. 

Transporter’s Strike: क्या है मामला?

हाल ही में संसद के शीत कालीन सत्र के दौरान भारतीय न्याय संहिता को हरी झण्डी दे दी गई थी. यह संहिता 163 साल पुराने भारतीय दण्ड संहिता (IPC) को स्थानांतरित करती है. इसके साथ ही कई कानूनों में भी बदलाव आया है. नये कानून के तहत लापरवाही के चलते होने वाली मौत (causing death by negligence) की स्थिति में 10 साल की सज़ा और 7 लाख का जुर्माना देना होगा. भारतीय न्याय (दूसरा) संहिता की धारा 106 (2) के तहत यदि किसी भी ड्राइवर द्वारा तेज़ रफ़्तार या लापरवाही से चलाई जा रही गाड़ी से टकराने से यदि किसी भी व्यक्ति की मौत होती है एवं वह घटना स्थल से बिना पुलिस को बताए भाग जाता है तो वह 10 साल की सज़ा और आर्थिक दण्ड (fine) का भागीदार होगा.

क्या चालकों को कोई ग़लतफ़हमी हुई है?

परिवहन विभाग के एक अधिकारी नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं,

“ड्राइवर्स को कानून को लेकर गलतफ़हमी है. यदि उनके द्वारा मौके से भागने के बजाय पुलिस को बता दिया जाएगा तो उन पर कार्यवाही नहीं होगी.”

लेकिन मोहम्मद नवाज़ कहते हैं कि हमेशा ग़लती बड़ी गाड़ी की ही मानी जाती है.

भोपाल के नादरा बस स्टैण्ड पर मौजूद एक अन्य बस ड्राइवर बताते हैं.  “एक्सीडेंट के बाद भीड़ से खुद को बचाना सबसे कठिन बात होती है. बहुत बार भीड़ हमें जान से मार देने पर आमादा होती है.”

Transporters strike Bhopal
भोपाल के रहने वाले रियाज़ुल बीते 10 सालों से कोर्ट के चक्कर काट रहे हैं

10 सालों से काट रहे कोर्ट के चक्कर

यह अगस्त साल 2013 की बात है. रियाज़ुल हसन बस से रेहटी से भोपाल की ओर आ रहे थे. रास्ते में उन्होंने अपनी बस खड़ी कर दी. इसी दौरान 2 बाइक सवार आकर उनकी बस के विपरीत दिशा से गुज़रते हुए आगे जाकर गिर गए. हसन ने इसकी सूचना नज़दीकी पुलिस थाने में देना उचित समझा. वह बस में सवार एक अन्य पुलिसकर्मी के साथ नज़दीकी थाने भी गए. मगर यहाँ उन्हें रोक लिया गया. काफी देर बैठाए रखने के बाद पुलिस ने उन पर मुक़दमा दर्ज कर दिया. 

“मुझसे कहा गया कि टीआई साब के आने तक मैं इंतज़ार करूँ बाद में उन्होंने मुझ पर ही मुक़दमा दायर कर दिया. उन्होंने मेरी गाड़ी जप्त कर ली…मुझे 2 साल की सज़ा सुनाई गई.”

हसन ने इसके बाद सेशन कोर्ट में भी अपील की. वहां उन्हें 1 साल की सज़ा सुनाई गई. वह बताते हैं कि गौहरगंज में उन्होंने 56 दिन जेल की सज़ा काटी जिसके बाद हाल ही में वह जबलपुर हाईकोर्ट से ज़मानत पर बाहर आए हैं. 

Transporters strike Bhopal
नवाज़ कहते हैं, “अगर हम 10 साल के लिए जेल चले जाएँगे तो हमारे बच्चों के लिए सड़क पर भीख माँगने की नौबत आ जाएगी.”

आर्थिक तंगी के बीच मुक़दमे की रक़म

हसन बीते 10 साल में न्यायिक प्रक्रिया में क़रीब 3 लाख रूपए खर्च कर चुके हैं. यह उनके लिए बड़ी रक़म है. “सरकार हमसे जितना मुआवज़ा वसूलना चाह रही है वह हमारे साल भर की कमी से भी ज़्यादा है.” हसन बताते हैं. वह आगे कहते हैं कि उनकी महीने की आमदनी आठ से दस हज़ार ही है. इसमें भी जिस दिन वह काम पर नहीं जाते हैं उस दिन उनकी तनख्वाह काट ली जाती है. वहीँ नवाज़ कहते हैं, “अगर हम 10 साल के लिए जेल चले जाएँगे तो हमारे बच्चों के लिए सड़क पर भीख माँगने की नौबत आ जाएगी.” वह पूछते हैं कि यदि किसी के पास इतना पैसा होता तो क्या वह बस चला रहा होता? 

Transporter’s strike: दिन भर बस खोजते रहे लोग

Transporters strike Bhopal
लखनऊ के रहने वाले सचिन (नीली शर्ट) अपने आगे के सफ़र को लेकर असंजस में हैं.

बस और तमाम ट्रांसपोर्ट सर्विस के ड्राइवरों की इस हड़ताल ने आम आदमियों को ख़ासा प्रभावित किया है. लखनऊ के रहने वाले सचिन सिंह अपने शहर से भोपाल ट्रेन के ज़रिए तो पहुँच गए मगर अब उन्हें इंदौर जाने के लिए कोई भी साधन नज़र नहीं आ रहा है. वह बीते 3 घंटे से भोपाल के इंटर स्टेट बस टर्मिनस (ISBT) पर खड़े होकर इंतज़ार कर रहे हैं. वहीँ आईएसबीटी के अन्दर एक कुर्सी पर बैठे शुभम राजस्थान से हैदराबाद जा रहे थे. भोपाल में उनका मिड पॉइंट स्टॉप था. मगर अब आगे का सफ़र अनिश्चित बन गया है.

“ड्राइवर ने कहा है कि वह 4 बजे बताएगा कि वह हमें हैदराबाद लेकर जाएगा या नहीं. यदि वह आगे जाने के लिए मना करता है तो मुझे किसी भी साधन से वापस राजस्थान जाना पड़ेगा.” 26 वर्षीय शुभम कहते हैं।

ट्रांस्पोर्टर्स की इस हड़ताल (Transporter’s strike) का असर भोपाल में व्यापक तौर पर दिखाई दिया, सभी यात्री बस और मालवाहक सेवाएं यहां बाधित रही, लोग सड़कों पर परेशान दिखे। ऑटो और ई रिक्शा चालकों ने मौके का फायदा उठाकर यात्रियों से मुंह मांगी कीमतें वसूलीं। बसों के बंद रहने की वजह से ट्रेन में यात्रियों की संख्या अधिक रही।

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  • Shishir identifies himself as a young enthusiast passionate about telling tales of unheard. He covers the rural landscape with a socio-political angle. He loves reading books, watching theater, and having long conversations.

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