मध्य प्रदेश सरकार ने भावांतर भुगतान योजना 2025 के तहत सोयाबीन बेचने वाले किसानों के लिए 10 नवंबर को 4,036 रु प्रति क्विंटल का मॉडल रेट जारी किया है। यह मॉडल रेट केवल उन किसानों पर लागू होगा जिन्होंने अपनी उपज को अधिकृत मंडी प्रांगणों में विक्रय किया है। इसी दर के आधार पर भावांतर राशि की गणना कर किसानों के खातों में भुगतान किया जाएगा।
मध्य प्रदेश के जनसंपर्क विभाग से मिली जानकारी के अनुसार सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष जारी मॉडल रेट में पिछले तीन दिनों से लगातार वृद्धि दर्ज की गई है। पहला मॉडल रेट 7 नवंबर को 4,020 रु प्रति क्विंटल तय हुआ। अगले ही दिन 8 नवंबर को यह बढ़कर 4,033 रु पहुंचा। फिर 9 नवंबर को मॉडल रेट 4,036 रु हो गया और 10 नवंबर को भी इसी दर को बनाए रखते हुए अधिसूचना जारी की गई।
क्या है भावांतर योजना ?
भावांतर योजना किसानों को आर्थिक सुरक्षा देने वाली एक सरकारी पहल है, जो विशेष रूप से सोयाबीन के लिए लागू होती है जिनमें बाजार भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम रहता है। इस योजना के अंतर्गत, यदि किसान अपनी फसल जैसे सोयाबीन को मंडी में बेचते है और विक्रय मूल्य MSP से कम होता है, तो सरकार दोनों के बीच का अंतर राशि सीधे किसान के बैंक खाते में जमा करती है।
यह योजना मूलतः 16 अक्टूबर 2017 को मध्यप्रदेश में शुरू की गई थी, जिसमें शुरुआत में आठ खरीफ फसलों को शामिल किया गया था। बाद में इसे विस्तार देकर 13 फसलों तक पहुंचा दिया गया। हालांकि इस योजना के पहले चरण में कई प्रशासनिक व क्रियान्वयन-सम्बन्धी समस्याएं सामने आईं — जैसे दस्तावेजों में गड़बड़ी, व्यापारी-किसानों के बीच विवाद और योजना की धीमी गति से प्रक्रिया।
इसके फलस्वरूप योजना कुछ समय के लिए ठप हो गई थी। लेकिन 2025 में इसे पुनः सक्रिय किया गया है। भावांतर योजना किसानों को फसल के सही दाम न मिलने की स्थिति में राहत प्रदान करती है और उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य स्तर की गारंटी देती है ।
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