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गोवा क्लब आग हादसे में मौत का कारण क्या है?

Production: Himanshu Narware

यह ‘ग्राउंड रिपोर्ट’ के डेली मॉर्निंग पॉडकास्ट का 85वां एपिसोड है। सोमवार, 8 दिसंबर को देश भर की पर्यावरणीय ख़बरों के साथ पॉडकास्ट में जानिए कश्मीर में बढ़ते प्रदूषण और अवैध शिकार पर मध्य प्रदेश की कार्यवाही।


मुख्य सुर्खियां

गोवा में वीकेंड पार्टी के दौरान बीच किनारे बने एक स्थल पर आग लग गई। 25 लोगों की मौत हो गई। भगदड़ मची पर निकास रास्ते इतने तंग थे कि लोग बाहर ही नहीं निकल पाए। पंचायत ने नोटिस दिया था, लेकिन बिना पूरी सुरक्षा जांच के ही जगह को चलने दिया गया। कुछ ही मिनटों में जश्न का माहौल त्रासदी बन गया।


लगातार छठे दिन भी करीब 650 इंडिगो फ्लाइट्स कैंसल हुईं, जबकि रोज़ाना इनकी लगभग 2,300 उड़ानें होती हैं। करीब 1.65 लाख यात्रियों की दुनिया उलट-पुलट गई है। दिल्ली, मुंबई जैसे एयरपोर्ट्स पर लंबी लाइनों में फँसे रहे। DGCA ने क्रू-रोस्टर की गड़बड़ी पर 24 घंटे का नोटिस देकर कार्रवाई की बात कही। एयरलाइन कह रही है कि तीन दिन में हालात सुधर जाएंगे क्योंकि स्टाफ धीरे-धीरे वापिस ड्यूटी पर आ रहा है।


हाईवे पर करीब 110 किमी/घंटा की स्पीड में चल रही कार ने एक चीते को टक्कर मारी और उसकी मौत हो गई। दूसरा चीता करीब नौ घंटे तक उसी के पास बैठा रहा। यह पिछले 3 दिनों में दुसरे चीता शावक की मौत है।


जम्मू-कश्मीर में पिछले पाँच सालों में करीब 67,000 कैंसर केस दर्ज हुए हैं। मतलब रोज़ औसतन 38 नए मरीज। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि हर साल मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। 2020 में जहाँ लगभग 12,700 केस थे, 2024 में ये बढ़कर 14,000 से ज़्यादा हो गए हैं। डॉक्टरों का कहना है कि इस बढ़ोतरी के पीछे तंबाकू का इस्तेमाल, देर से बीमारी पकड़ में आना, बदलती लाइफस्टाइल और कुछ जगहों पर पर्यावरण से जुड़े खतरे हैं।


रिपोर्ट के मुताबिक़ भोपाल में 10,000 से ज़्यादा ई-रिक्शा चल रहे हैं, जबकि कई भीड़भाड़ वाले रास्तों पर इन पर रोक है। लेकिन ज़मीनी स्तर पर ये रोक सिर्फ़ कागज़ पर है। ये धीमी स्पीड वाले वाहन कहीं भी रुक जाते हैं, ओवरलोड चलाते हैं, उल्टी दिशा में चलकर ट्रैफिक और हादसों की वजह बनते हैं। कार्रवाई करने वालों की कमी है, इसलिए नियम लागू ही नहीं हो पा रहे।


भोपाल और गुना के पास नेवाज नदी का पानी गंदा होता जा रहा है और कई हिस्सों में कम होता दिख रहा है। एक छोटी कलवर्ट संरचना से पानी रिसता हुआ आगे निकल जाता है क्योंकि सही ढंग से गेट नहीं लगे हैं। जिस कारण पानी जमा नहीं होता, वहीं ठहरा हुआ गंदा पानी बढ़ता जा रहा है। कहीं सिर्फ़ कीचड़ मिला पानी बचा है, कहीं विसर्जन तालाबों में प्लास्टिक और कचरा भरा है। लोगों को डर है कि अगर हाल ऐसे ही रहे तो आने वाले सालों में पीने के पानी की मार झेलनी पड़ेगी।

विस्तृत चर्चा

गोवा क्लब में लगी आग से गईं 20 से अधिक जानें

गोवा के अपुरा इलाके में रोमियो लाइन के बीच नाइट क्लब में लगी आग में अब तक 25 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। शुरुआती जांच में साफ हुआ कि क्लब के इंटीरियर और स्ट्रक्चर में गंभीर खामियाँ थीं, जिन्होंने हादसे को और जानलेवा बना दिया। बेसमेंट को मुख्य क्राउड ज़ोन बनाया गया था जहाँ वेंटिलेशन लगभग न के बराबर था, इसलिए आग लगते ही धुआँ कुछ ही सेकंड में भर गया और लोगों को सांस लेने में दिक्कत होने लगी। निकास रास्ते बेहद संकरे थे और भीड़ घबराहट में एक ही दिशा में भागती रही, जिससे बाहर निकलना लगभग असंभव हो गया। क्लब में वुडन पैनलिंग, प्लास्टिक और भारी फर्नीचर जैसे ज्वलनशील मटेरियल इस्तेमाल किए गए थे, जिसने आग को तेज़ी से फैलाया। इलेक्ट्रिक वायरिंग भी स्टेज और लाइट सेट-अप के ठीक नीचे थी, यानी शॉर्ट सर्किट का खतरा पहले से मौजूद था। बिना उचित फायर NOC और सुरक्षा क्लीयरेंस के क्लब चालू था, इन सब वजहों ने मिलकर इस जगह को एक “डेथ ट्रैप” में बदल दिया। विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी क्लब या बेसमेंट स्पेस में डिज़ाइन हमेशा लाइफ-सेफ्टी को ध्यान में रखकर होना चाहिए। स्पष्ट एग्जिट रूट, स्मोक कंट्रोल, फायर अलार्म और इमरजेंसी लाइटिंग अनिवार्य हैं, वरना किसी भी चिंगारी से ऐसी ही त्रासदी दोबारा हो सकती है।


नेवाज नदी का बहाव रुका और प्रदूषण बढ़ा

कई जगहों पर बदबूदार और बेहद कम रह गया है। पहले इस नदी से स्थानीय लोगों के घरों तक पीने का पानी पहुँचता था, इसलिए इसे साफ रखने के प्रयास भी होते थे। लेकिन मोहनपुरा डैम बनने के बाद घरों को पानी डैम से मिलने लगा और नदी का प्राकृतिक बहाव लगभग खत्म हो गया। पहले जब मूर्तियों का विसर्जन होता था तो बहता पानी गंदगी को आगे ले जाता था, पर अब स्थिर पानी में कचरा और प्लास्टिक जमा होकर प्रदूषण बढ़ा रहा है। वहीं, जिन जगहों पर स्टॉप-गेट लगाने थे, वहां सिर्फ़ तिरपाल डालकर काम चलाया गया, जिससे पानी रिसता रहा और भंडारण मुश्किल हुआ। नदी के सूखने और प्रदूषित होने की वजह से लोग डर रहे हैं कि आने वाले वर्षों में यह पीने के पानी की समस्या को और बढ़ा देगी। राजगढ़ की अजनार नदी का उदाहरण सामने है, वहाँ चार नालों का पानी सीधे नदी में गिरकर उसे नाले में बदल चुका है, और एसटीपी प्लांट की फाइलें अभी भी मंजूरी का इंतज़ार कर रही हैं। विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि अगर नेवाज और अजनार दोनों को तुरंत बहाल करने और प्रदूषण रोकने के कदम नहीं उठाए गए, तो ये नदियाँ धीरे-धीरे विलुप्ति के कगार पर पहुँच सकती हैं।

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Support Ground Report to keep independent environmental journalism alive in India

We do deep on-ground reports on environmental, and related issues from the margins of India, with a particular focus on Madhya Pradesh, to inspire relevant interventions and solutions. 

We believe climate change should be the basis of current discourse, and our stories attempt to reflect the same.

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