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2032 के बाद नए थर्मल पावर प्रोजेक्ट्स घाटे का सौदा होंगे?

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यह ‘ग्राउंड रिपोर्ट’ का डेली मॉर्निंग पॉडकास्ट का 51वां एपिसोड है। बुधवार, 29 अक्टूबर को देश भर की पर्यावरणीय ख़बरों के साथ पॉडकास्ट में बात हुई देश में थर्मल पॉवर प्रोजेक्ट्स के नफे-नुकसान और जमैका (कैरेबियन आइलैंड) में आए भीषण तूफान हरिकेन मेलिसा पर।


मुख्य सुर्खियां 

चक्रवात मोन्था आंध्र प्रदेश के काकीनाडा से ​​​​​​गुजरकर बुधवार सुबह ओडिशा के गंजम में गोपालपुर बीच पर पहुंच गया है। गंजम के समुद्र में ऊंची-ऊंची लहरें उठ रही हैं और 80-100kmph की रफ्तार से हवा चल रही है। IMD के मुताबिक लैंडफॉल के बावजूद अगले 6 घंटों तक इसका असर रहेगा। ओडिशा सरकार ने अब तक 11 हजार लोगों को प्रभावित स्थानों से बाहर निकाला है। 30 हजार लोगों को सुरक्षित जगह पर पहुंचाने की तैयारी है। ODRF की 30 टीम और NDRF की 5 टीमों को तैनात किया गया है। इससे पहले मंगलवार रात में चक्रवात आंध्र प्रदेश के मछलीपट्टनम तट से टकराया था। मंगलवार शाम 7.30 बजे से देर रात लगभग 1 बजे तक लगभग 5.30 घंटे लैंडफॉल चला। इस दौरान 90-100kmph की रफ्तार से हवा चली थी, जो कि 110kmph पहुंच गई।


मंगलवार को दिल्ली में आर्टिफिशियल रेन के लिए क्लाउड सीडिंग का प्रयोग किया गया। राज्य के पर्यावरण मंत्री मनजीत सिंह सिरसा ने कहा कि इसके बाद नॉएडा और ग्रेटर नॉएडा में 0.1 और 0.2 मिमी की हल्की बारिश हुई। 


दिल्ली की वायु गुणवत्ता बुधवार सुबह मुख्यतः “बेहद खराब” और “खराब” श्रेणी में रही। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने GRAP II उपायों को लागू किया है और 1 नवंबर से गैर-BS-VI अनुपालन वाले comercial वाहनों के राजधानी में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बताया कि बुधवार सुबह 7:00 बजे आरके पुरम में वायु गुणवत्ता सूचकांक 308 और आनंद विहार में 307 दर्ज किया गया, जो “बेहद खराब” श्रेणी में है। दिल्ली के कई अन्य इलाकों में वायु गुणवत्ता का स्तर चिंताजनक रहा। अशोक विहार और बवाना में क्रमशः 302 और 322 AQI रीडिंग दर्ज की गई, जो “बेहद खराब” श्रेणी में आती है।


केंद्र सरकार ने 2025-26 के रबी सीजन के लिए फोस्फोरस और सल्फर उर्वरकों पर सब्सिडी बढ़ा दी है। सरकार द्वारा कुल 37 हज़ार 952 करोड़ की सब्सिडी आवंटित की गई है जो पिछले साल से 14000 करोड़ रूपए अधिक है।


महाराष्ट्र के नागपुर में किसानों ने एक बड़ा प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में विदर्भ के किसानों का ‘महा एल्गार’ ट्रैक्टर मोर्चा नेतृत्व कर रहा था। किसान सम्पूर्ण क़र्ज़मुक्ति को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे।


राजस्थान के पुष्कर में प्रसिद्द मेले का आगाज़ 30 तारिख से शुरू होने वाला है। इस मेले में कई जानवर जैसे ऊंट, भैंस और घोड़े बेचे जाते हैं। इंडियन एक्सप्रेस की पारुल कुलश्रेष्ठ की रिपोर्ट के अनुसार इस साल मेले में ऊंट 90 हज़ार रूपए तक मिल सकते हैं। इसका कारण राजस्थान के वह नियम हैं जिनके अनुसार ऊंट को बिना अनुमति के कोई भी खरीददार राजस्थान से बाहर नहीं ले जा सकता।


मंगलवार को मध्य प्रदेश सरकार की कैबिनेट की बैठक हुई. इस बैठक में निर्णय लिया गया कि अगर अब कोई भी व्यक्ति अपना अंग दान करता है तो विश्राम घाट में उसे गार्ड ऑफ़ ओनर दिया जाएगा। 


वहीं वित्तीय संकट में फंसे नगरीय निकायों को उबारने के लिए 1500 करोड़ की वित्तीय सहायता दी जाएगी। मध्य प्रदेश के 413 निकायों में से अधिकांश वित्तीय संकट में हैं, और लगभग 25% निकाय इतनी खराब वित्तीय स्थिति में हैं कि कर्मचारियों को दो से सात महीनों के अंतराल में वेतन मिल पाता है।


चर्चा

थर्मल पावर प्रोजेक्ट्स का भविष्य और नवीकरणीय ऊर्जा

पॉडकास्ट में पर्यावरण से जुड़े सरकारी प्रोजेक्ट्स, विशेष रूप से थर्मल पावर प्रोजेक्ट्स पर चर्चा की गई है, जहां यह निष्कर्ष निकाला गया है कि 2032 के बाद नए थर्मल पावर प्रोजेक्ट्स घाटे का सौदा होंगे और नवीकरणीय ऊर्जा ही भरोसेमंद विकल्प हो सकता है।

यह चर्चा एनर्जी थिंक टैंक एबर (Ember) की नई रिपोर्ट पर आधारित है, जिसका शीर्षक है ‘Coal’s Diminishing Role in India’s Electricity Transition’। इसे नेशन रगेज, दत्तात्रेय दास और मैटवन ने तैयार किया है।


रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष:

कोयले की जरूरत में कमी: यदि भारत अपने नेशनल इलेक्ट्रिसिटी प्लान 2032 के सौर, पवन और स्टोरेज के लक्ष्यों को पूरा कर लेता है, तो भरोसेमंद बिजली या पीक डिमांड के लिए नई कोयला क्षमता जोड़ने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। अप्रयुक्त क्षमता: रिपोर्ट के अनुसार, 2024-25 में बनने वाली नई कोयला यूनिट्स में से 10% यूनिट्स 2032 तक पूरी तरह बेकार हो जाएंगी, और करीब 25% यूनिट्स आधी क्षमता पर चलेंगी। महंगी बिजली: 2032 तक, कोयले से मिलने वाली बिजली 25% महंगी हो जाएगी क्योंकि फिक्स्ड कॉस्ट (Fixed Cost) और अक्षम संचालन (Inefficient Operation) दोनों बढ़ जाएंगे। हाल के टैरिफ में, कोयला खदानों के करीब होने के बावजूद बिहार में यह ₹6 प्रति यूनिट और मध्य प्रदेश में ₹5.85 प्रति यूनिट तक पहुंच चुका है। इसमें ₹4 प्रति यूनिट से ज्यादा हिस्सा सिर्फ फिक्स्ड कॉस्ट का है, जो प्लांट चलने या न चलने पर भी चुकानी पड़ती है।

CCEA clears revised SHAKTI policy for coal allocation
Photo credit: Ground Report

यदि प्लांट का लोड फैक्टर 55% तक गिर जाता है, तो कोयले से बनी बिजली की लागत ₹7.25 प्रति यूनिट तक पहुंच जाएगी। इससे बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम्स) पर बोझ बढ़ेगा। नवीकरणीय ऊर्जा की श्रेष्ठता: सौर या पवन के साथ बैटरी स्टोरेज (Firm and Dispatchable Renewable Energy) बिजली का सबसे भरोसेमंद और लचीला व्हीकल बन चुका है। इन प्रोजेक्ट्स के टैरिफ अब ₹2.3 से ₹2.8 प्रति यूनिट के बीच हैं और ये लगातार 24/7 उपलब्ध रहने के मानकों को पूरा करते हैं। उदाहरण के लिए, मध्य प्रदेश के 600 मेगावाट के मोरेना सोलर प्लस स्टोरेज प्रोजेक्ट में ₹2.7 प्रति किलोवाट आवर की दर से बिजली प्राप्त हुई थी, जो देश में एक कीर्तिमान है। बैटरी तकनीक का विकास: भारत में बैटरी तकनीक तेजी से आगे बढ़ रही है। नई सोडियम आयन बैटरीज बिना किसी क्रिटिकल मिनरल के बनती हैं और उनकी उम्र कई दशकों तक चलती है। सोडियम आयन लिथियम आयन बैटरीज का एक बड़ा विकल्प हो सकता है, जो महंगे होने के साथ-साथ पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाते हैं (जैसे लिथियम माइनिंग)। भारत सोलर मैन्युफैक्चरिंग की तरह बैटरी मैन्युफैक्चरिंग में भी आत्मनिर्भर बन सकता है।


नीतिगत सुझाव और विश्वसनीयता:

एबर एक ग्लोबल नॉन-प्रॉफिट थिंक टैंक है जो एनर्जी पॉलिसी पर काम करता है, और इसका मुख्यालय वेल्स, इंग्लैंड में रजिस्टर्ड है। इसके मैनेजिंग डायरेक्टर फिल मैकडोनाल्ड को 2024 में टाइम्स मैगजीन ने 100 सबसे प्रभावशाली क्लाइमेट लीडर में चुना था। रिपोर्ट का सुझाव है कि भारत को कोल पावर प्लांट्स की रेट्रोफिटिंग करनी चाहिए, ताकि उन्हें लचीला बनाया जा सके (रिन्यूएबल + कोल का संयोजन) और एमिशन कम हो। यह रिपोर्ट भारत सरकार के ही नेशनल इलेक्ट्रिसिटी प्लान 2032 के लक्ष्यों पर आधारित है और बताती है कि कैसे हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं। हालांकि, यह भी उल्लेख किया गया कि मध्य प्रदेश सरकार द्वारा नए थर्मल पावर प्लांट्स को मंजूरी दिए जाने जैसे ऑनगोइंग प्रोजेक्ट्स पर तुरंत बदलाव आने की संभावना कम है।

पॉडकास्ट में जमैका (कैरेबियन आइलैंड) में आए भीषण तूफान हरिकेन मेलिसा पर सहयोगी वाहिद भट्ट से चर्चा की गई। तूफान की गंभीरता और नुकसान: सबसे शक्तिशाली तूफान: मेलिसा को 2025 का सबसे पावरफुल तूफान बताया जा रहा है। इसने जमैका को तबाह कर दिया है, जहां लोग कह रहे हैं कि उन्होंने अपनी जिंदगी में ऐसा तूफान पहली बार देखा है।

लैंडफॉल और तीव्रता: मंगलवार दोपहर को जमैका के साउथ वेस्ट हिस्से में मेलिसा ने लैंडफॉल किया और यह कैटेगरी फाइव की दिशा में बन गया। इसकी हवाएं 295 कि.मी./घंटे तक पहुंच गई थीं। नुकसान: तूफान से लगभग 15 लाख लोग प्रभावित हुए हैं। सड़कों पर पानी भरा है, इमारतें गिर गई हैं, और खासतौर पर अस्पतालों की छतें उड़ गई हैं। जमैका के प्रधानमंत्री एंड्री होलस ने इसे काफी महत्वपूर्ण (significant) डिजास्टर बताया है। हताहत और बचाव कार्य: मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अब तक सात लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, और यह संख्या बढ़ सकती है क्योंकि रेस्क्यू ऑपरेशन अभी जारी है। इवैकुएशन: 7 लाख से ज्यादा लोगों को इवैक्यूएट किया गया है। जमैका में 15,000 शेल्टर्स बनाए गए हैं जहां लोगों को आश्रय दिया जा रहा है।

तूफान की दिशा: मेलिसा अब जमैका से निकलकर क्यूबा की तरफ बढ़ रहा है। यूएन नेशनल हरिकेन सेंटर के मुताबिक, यह कैटेगरी थ्री बन सकता है, जिसमें हवाएं अब भी 200 कि.मी. प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती हैं।


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी इस स्थिति पर नजर बनाए रखने की बात कही है। यूएन एजेंसियां और एनजीओ जमैका और क्यूबा में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए काम कर रहे हैं।यह था हमारा डेली मॉर्निंग पॉडकास्ट। ग्राउंड रिपोर्ट में हम पर्यावरण से जुडी हुई महत्वपूर्ण खबरों को ग्राउंड जीरो से लेकर आते हैं। इस पॉडकास्ट, हमारी वेबसाईट और काम को लेकर आप क्या सोचते हैं यह हमें ज़रूर बताइए। आप shishiragrawl007@gmail.com पर मेल करके, या ट्विटर हैंडल @shishiragrawl पर संपर्क करके अपनी प्रतिक्रिया दे सकते हैं।


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