...
Skip to content

भोपाल मेट्रो में ‘लास्ट माइल कनेक्टिविटी’ के लिए कितने इंतज़ाम?

यह ‘ग्राउंड रिपोर्ट’ के डेली मॉर्निंग पॉडकास्ट का एपिसोड-91 है। सोमवार, 15 दिसंबर को देश भर की पर्यावरणीय ख़बरों के साथ पॉडकास्ट में जानिए भोपाल मेट्रो में ‘लास्ट माइल कनेक्टिविटी’ के क्या हालत हैं और क्यों ‘मौत की खबर’ छुपाता रहा अस्पताल? 


मुख्य सुर्खियां 

इंटरपोल के एक ऑपरेशन में 30 हज़ार से भी ज्यादा जिंदा जानवर पकड़े गए हैं। ये ज़ब्ती 15 सितंबर से 15 अक्टूबर, 2025 के बीच 134 देशों में चलाए गए एक कोऑर्डिनेटेड ऑपरेशन के दौरान की गई।


दिल्ल्ली में एक बार फिर AQI 461 दर्ज किया गया। वजीरपुर और रोहिणी में तो यह 500 दर्ज किया गया। दिल्ली में 13 दिसंबर को ही ग्रैप 4 लागू कर दिया गया है।


एनजीटी ने बालाघाट नगर पालिका पर 17.67 करोड़ रूपए का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना इल्लीगल वेस्ट डंपिंग और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के कारण लगाया गया है।


कोलकाता में तालाबों के ‘प्राइवेटाईजेशन’ के खिलाफ 4 सहकारी समितियों ने सरकार से अपील की है। दरअसल डिपार्टमेंट ऑफ़ लैंड एंड लैंड रिफ़ॉर्म ने एक नोटिफिकेशन जारी किया है जिसके तहत तालाबों के लिए होने वाली बिडिंग में प्राइवेट प्लेयर्स को भी शामिल होने का रास्ता दिया गया है।


जम्मू कश्मीर में ajwa नाम के एक ड्रिंकिंग वाटर ब्रांड पर बैन लगा दिया गया है। इस ब्रांड वाटर बोटेल में ई कोलाई और कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की उपस्थिति दर्ज की गई है। 


नागालैंड की इकोलॉजिकली सेंसिटिव ज़ुकोऊ वैली में लगी जंगल की आग तीसरे दिन भी जलती रही। तेज़ हवाएं आग को जाप्फू माउंटेन रेंज की ओर धकेल रही हैं। इसे देखते हुए स्थानीय प्रशासन अब हवाई फायरफाइटिंग की योजना बना रहा है।

विस्तृत चर्चा

भोपाल के एमपी नगर में मौजूद ट्रैफिक के बीच सड़क पार करते लोग। फ़ोटो: शिशिर अग्रवाल/ग्राउंड रिपोर्ट

भोपाल मेट्रो और लास्ट माइल कनेक्टिविटी

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणा के अनुसार, भोपाल मेट्रो का व्यावसायिक रन (commercial run) जल्द ही, संभवतः 21 दिसंबर को शुरू हो सकता है। हालांकि, सवाल यह उठाया गया है कि क्या केवल व्यावसायिक रन शुरू हो जाने से सभी समस्याएं हल हो जाएंगी।

लास्ट माइल कनेक्टिविटी का अभाव: चर्चा का मुख्य केंद्र ‘लास्ट माइल कनेक्टिविटी’ है। लास्ट माइल कनेक्टिविटी का अर्थ है कि यदि कोई व्यक्ति स्टेशन ए से स्टेशन बी तक पहुंचता है, तो वह स्टेशन से अपने अंतिम गंतव्य (जहां उसका काम है) तक की दूरी कैसे तय करता है। सहयोगी चंद्र प्रताप तिवारी ने यह जानकारी दी कि अगर यात्री को अंतिम दूरी तय करने के लिए भी अपने वाहन का प्रबंध स्वयं करना पड़ता है, तो यह मल्टी लेवल ट्रांसपोर्ट सिस्टम एक तरह से विफल हो जाता है। टाइम्स ऑफ इंडिया के जमाल आय्यूब की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि भोपाल मेट्रो परियोजना पहले ही देरी से चल रही है, और मल्टी-मॉडल ट्रांसपोर्ट के संदर्भ में इसमें कई समस्याएं हैं।

सार्वजनिक परिवहन में कमियां: भोपाल मेट्रो के संबंध में मल्टी-मॉडल ट्रांसपोर्ट में निम्नलिखित प्रमुख कमियां पहचान की गई हैं।

पब्लिक साइकिल/ई-बाइक्स का अभाव: मेट्रो स्टेशन के बाहर पब्लिक साइकिल्स या ई-बाइक्स उपलब्ध नहीं हैं, जो उतरने वाले यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचा सकें। ऑरेंज लाइन मेट्रो (एम्स से सुभाष नगर) के बाहर कई जगहों पर ये सुविधाएँ नहीं हैं।

ठेके का नवीनीकरण न होना: पब्लिक साइकिल्स का चार्टर्ड के साथ जो ठेका (कॉन्ट्रैक्ट) 2025 तक था, वह पिछले कई महीनों पहले ही खत्म हो चुका है। यह ठेका रिन्यू नहीं किया गया है, जबकि मेट्रो अब चालू हो रही है।

गलत स्थानों पर उपलब्धता: कई पब्लिक साइकिल्स ऐसी जगहों पर उपलब्ध हैं जहां लोग घूमने जाते हैं, जैसे बोट क्लब और प्रेमपुरा। वहीं, एमपी नगर या बोर्ड ऑफिस जैसे अधिक ट्रैफिक वाले और कार्यस्थलों के पास इनकी उपलब्धता होनी चाहिए, जिस पर ध्यान नहीं दिया गया है।

सिटी बसों की कम क्षमता: शहर की लो-फ्लो सिटी बसें जितनी आवश्यकता है, उसकी केवल 1/3 क्षमता पर ही चल रही हैं।

चर्चा के दौरान दिल्ली मेट्रो का संदर्भ दिया गया, जहां यात्री आमतौर पर ई-रिक्शा का सहारा लेते हैं, लेकिन कई रूट्स पर डीटीसी (DTC) पब्लिक बसें भी उपलब्ध होती थीं, जो छात्रों के लिए किफायती थीं।


sanjay gandhi hospital rewa fire incident
रीवा के संजय गांधी अस्पताल में आग लगने से एक नवजात की मौत हो गई। फ़ोटो: x.com/Mithileshdhar/status

रीवा संजय गांधी अस्पताल में आग लगने की घटना

पॉडकास्ट में रीवा के संजय गांधी अस्पताल में हुई एक बड़ी लापरवाही पर भी चर्चा की गई है। यह अस्पताल रीवा संभाग के सबसे बड़े सरकारी अस्पतालों में से एक है, जिस पर रीवा, सतना, मैहर और सीधी तक के लोग बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के लिए निर्भर करते हैं। दैनिक भास्कर की खबर के अनुसार, रविवार दोपहर करीब 1 बजे अस्पताल के गायनी वॉर्ड के ऑपरेशन थिएटर (OT) में आग लग गई। इस हादसे में एक नवजात बच्चा जल गया। आरोप है कि अस्पताल प्रशासन ने इस संवेदनशील घटना को दिन भर 11 घंटे तक छुपाए रखा और परिजनों को बच्चे का शव भी नहीं सौंपा गया।

अस्पताल प्रबंधन और परिजनों के अलग-अलग दावे: रात करीब 12 बजे अस्पताल प्रशासन ने नवजात के शव के जलने की पुष्टि की। अस्पताल अधीक्षक राहुल मिश्रा ने बताया कि नवजात बच्चा ऑपरेशन के दौरान मृत पैदा हुआ था। उन्होंने कहा कि ओपीडी क्षेत्र में आग लगने से पूरे अस्पताल में अफरा-तफरी मच गई। मरीजों को सुरक्षित निकालने की प्राथमिकता में ऑपरेशन थिएटर में रखा नवजात का शव वहीं छूट गया, जो आग की चपेट में आकर गंभीर रूप से झुलस गया।

परिजनों का आरोप: गोविंदगढ़ के गहरा गांव की निवासी कंचन साकेत के परिजनों का आरोप है कि अस्पताल प्रशासन ने अपनी लापरवाही छिपाने की कोशिश की और बच्चे के शव को चादर में छिपा कर ले जाया गया।

यह एक बड़ी लापरवाही है, जिसमें भविष्य में बड़े खतरे और हादसे हो सकते हैं। इस बात पर जोर दिया गया कि जिला प्रशासन को कम से कम पारदर्शिता बनाए रखनी चाहिए, जिसका इस मामले में बहुत अभाव दिखा।

डिप्टी सीएम की प्रतिक्रिया: प्रदेश के डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला को आग लगने की सूचना दी गई थी, लेकिन उन्हें नवजात के शव के जलने की जानकारी नहीं दी गई। डिप्टी सीएम ने कहा है कि पूरे मामले की जांच कराई जाएगी और जो भी जिम्मेदार होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।

यह था हमारा डेली मॉर्निंग पॉडकास्ट। ग्राउंड रिपोर्ट में हम पर्यावरण से जुडी हुई महत्वपूर्ण खबरों को ग्राउंड जीरो से लेकर आते हैं। इस पॉडकास्ट, हमारी वेबसाईट और काम को लेकर आप क्या सोचते हैं यह हमें ज़रूर बताइए। आप shishiragrawl007@gmail.com पर मेल करके, या ट्विटर हैंडल @shishiragrawl पर संपर्क करके अपनी प्रतिक्रिया दे सकते हैं।

Author

Support Ground Report to keep independent environmental journalism alive in India

We do deep on-ground reports on environmental, and related issues from the margins of India, with a particular focus on Madhya Pradesh, to inspire relevant interventions and solutions. 

We believe climate change should be the basis of current discourse, and our stories attempt to reflect the same.

Connect With Us

Send your feedback at greport2018@gmail.com

Newsletter

Subscribe our weekly free newsletter on Substack to get tailored content directly to your inbox.

When you pay, you ensure that we are able to produce on-ground underreported environmental stories and keep them free-to-read for those who can’t pay. In exchange, you get exclusive benefits.

Your support amplifies voices too often overlooked, thank you for being part of the movement.

EXPLORE MORE

LATEST

mORE GROUND REPORTS

Environment stories from the margins