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जम्मू-कश्मीर में 4 नए हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट्स, क्या हो सकते हैं परिणाम?

यह ‘ग्राउंड रिपोर्ट’ के डेली मॉर्निंग पॉडकास्ट का एपिसोड-90 है। शनिवार, 13 दिसंबर को देश भर की पर्यावरणीय ख़बरों के साथ पॉडकास्ट में जानिए जम्मू कश्मीर के नए हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट और मध्य प्रदेश में बाघ की मौत के बारे में। 

मुख्य सुर्खियां

यूनियन कैबिनेट ने शुक्रवार को Sustainable Harnessing and Advancement of Nuclear Energy for Transforming India यानि SHANTI बिल को मंज़ूरी दे दी। यह बिल न्यूक्लियर पावर सेक्टर को प्राइवेट प्लेयर्स के लिए खोलने की वकालत करता है। भारत ने 2047 तक 100 GW न्यूक्लियर पावर क्षमता विकसित करने का लक्ष्य रखा है।


ग्रीन स्टील टैक्सोनॉमी के फ्रेमवर्क के तहत, अब तक 43 स्टील यूनिट्स को ‘ग्रीन स्टील सर्टिफिकेट’ दिए जा चुके हैं। ये सभी स्टील प्लांट प्राइवेट सेक्टर के हैं। इनकी कुल प्रोडक्शन कैपेसिटी 11.6 मिलियन टन सालाना है, जिससे हर साल 7.1 मिलियन टन ग्रीन स्टील का प्रोडक्शन होता है।


मनरेगा का नाम अब पूज्य बापू ग्रामीण रोज़गार योजना होगा। केंद्रीय कैबिनेट ने शुक्रवार को इसके तहत 100 के बजाय 125 दिन का रोज़गार देने को भी मंज़ूरी दी है। योजना के तहत बीते 5 सालों में प्रत्येक परिवार को औसतन 50 दिन का रोज़गार दिया गया है।    


2024 में सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइज़ेशन (CDSCO) ने 1 लाख 16 हज़ार 323 ड्रग सैमपल्स की जांच की जिसमें से 3 हजार 104 सब स्टैण्डर्ड और 245 सैम्पल्स मिलावटी पाए गए हैं।


जम्मू और कश्मीर सरकार ने लोकल मार्केट में मिलावटी अंडे बेचे जाने की शिकायत की जांच शुरू कर दी है। राज्य के विधायक तनवीर सादिक ने कहा था कि इन अण्डों में में ज़हरीले या कैंसर पैदा करने वाले तत्व हो सकते हैं। 


वायु प्रदूषण का मुद्दा एक बार फिर संसद में उठाया गया। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा, यह राजनीतिक मुद्दा नहीं बल्कि हम सबकी ज़िम्मेदारी है जिसके नियंत्रण, समाधान और हमारे लोगों के भविष्य की रक्षा के लिए हम प्रधानमंत्री के साथ मिलकर काम करने को तैयार हैं।


जम्मू-कश्मीर में हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स

केंद्र सरकार ने लोकसभा में बताया कि नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन (NHPC) लिमिटेड 27,945 करोड़ रुपये के कुल निवेश के साथ चार बड़ी हाइड्रो परियोजनाओं पर काम कर रही है। इन परियोजनाओं का मुख्य लक्ष्य जम्मू-कश्मीर की लंबे समय से चली आ रही बिजली की दिक्कतों को कम करना है।

कुल मिलाकर, इन प्रोजेक्ट्स से 314 मेगावाट बिजली जोड़ी जाएगी। ये सभी प्रोजेक्ट्स चिनाब बेसिन में बन रहे हैं, जिसमें मुख्य रूप से किश्तवाड़ का इलाका आता है।

रतले हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट: 850 मेगावाट क्षमता और ₹5,282 करोड़ की लागत के साथ, जिसकी डेडलाइन नवंबर 2028 है।

पाकल दुल हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट: 1000 मेगावाट क्षमता और ₹12,728 करोड़ की लागत के साथ, जिसके दिसंबर 2026 तक पूरा होने की उम्मीद है।

कीरू हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट: लगभग 650 मेगावाट क्षमता और ₹5,549 करोड़ की लागत, इसकी भी डेडलाइन दिसंबर 2026 दी गई है।

क्वार हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट: 540 मेगावाट क्षमता और ₹4,526 करोड़ का निवेश।

सरकार का मत है कि ये प्रोजेक्ट्स जम्मू-कश्मीर में, विशेषकर सर्दी के मौसम में होने वाली बिजली की किल्लत को कम करेंगे, उद्योगों को सहारा देंगे, और क्लीन एनर्जी गोल्स को बढ़ावा देंगे। वर्तमान में भी जम्मू-कश्मीर में उत्पन्न हो रही बिजली अक्सर दूसरे राज्यों को बेच दी जाती है, और स्थानीय लोग अंधेरे में ही रहते हैं।

पुनर्वास और विस्थापन 

सलाल जिसे अब ‘लिथियम विलेज ऑफ़ इंडिया’ बताया जाता है—जहां 1971-80 के बीच डैम बनने पर विस्थापित हुए लोगों को मुफ्त बिजली, नौकरी और उचित ज़मीन देने के वादे पूरे नहीं किए गए।

सरकार ने यह दावा किया है कि इन नए प्रोजेक्ट्स से प्रभावित होने वाले परिवारों को काम मिलेगा, उनका पुनर्वास किया जाएगा, और छोटे व्यवसायों को बोली प्रक्रिया में हिस्सा लेने का मौका मिलेगा।

पर्यावरण और भूवैज्ञानिक सुरक्षा को लेकर भी चिंता है, क्योंकि चिनाब का इलाका (कश्मीर का क्षेत्र) पहले जोन 5 में था, लेकिन हाल ही में इसे भूकंपीय जोन 6 में शिफ्ट किया गया है, और यह क्षेत्र काफी नाजुक (fragile) है।


मध्य प्रदेश में बाघ की मृत्यु

इस चर्चा में मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले की कटंगी रेंज में अंजन बिहारी जंगल में 11 दिसंबर को हुई एक बाघ की मौत पर प्रकाश डाला गया। पोस्टमार्टम से पता चला कि बाघ की मृत्यु लगभग 36 घंटे पहले बिजली के झटके (इलेक्ट्रिकशन) से हुई थी। यह मामला असामान्य था क्योंकि बाघ के सारे महत्वपूर्ण शारीरिक अंग (जैसे पंजे, कनाइन और खाल) जस के तस थे, जिससे यह व्यावसायिक तस्करी (पोचिंग) का मामला नहीं लगता।

यह इलाका एक हॉटस्पॉट है और यह पेंच टाइगर रिजर्व और कान्हा टाइगर रिजर्व के बीच एक गलियारा (कॉरिडोर) भी है। मौत का मुख्य कारण किसानों द्वारा अपने खेतों की सुरक्षा के लिए लगाए गए इलेक्ट्रिक फेंस या तारों को माना जा रहा है।

द वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन सोसाइटी ऑफ इंडिया (WPSI) की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में दर्ज की गई 143 बाघ मृत्यु में से, 47 शिकार या ज़ब्ती के मामले ऐसे थे जिनमें तार जाल और बिजली के बाड़ों का उपयोग किया गया था। यह देश के प्रोजेक्ट टाइगर के लिए एक सकारात्मक संकेत नहीं है। आंकड़ों के अनुसार, बाघों को बिजली का झटका देकर मारने के मामले महाराष्ट्र में मध्य प्रदेश की तुलना में अधिक हैं।

मध्य प्रदेश के पेंच टाइगर रिजर्व में सोलर पावर फेंसिंग का विकल्प दिया जा रहा है, लेकिन मध्य प्रदेश में प्रदेश स्तर पर ऐसी कोई व्यवस्थित योजना नहीं है; जबकि महाराष्ट्र में प्रधानमंत्री जन वन विकास योजना के तहत सोलर फेंसेस दिए जा रहे हैं। जहाँ भी बाघों की आबादी सघन (dense) है, जैसे बालाघाट, संजय डूबरी और सीधी में, वहां इस तरह की घटनाएं देखने को मिल रही हैं।

यह था हमारा डेली मॉर्निंग पॉडकास्ट। ग्राउंड रिपोर्ट में हम पर्यावरण से जुडी हुई महत्वपूर्ण खबरों को ग्राउंड जीरो से लेकर आते हैं। इस पॉडकास्ट, हमारी वेबसाईट और काम को लेकर आप क्या सोचते हैं यह हमें ज़रूर बताइए। आप shishiragrawl007@gmail.com पर मेल करके, या ट्विटर हैंडल @shishiragrawl पर संपर्क करके अपनी प्रतिक्रिया दे सकते हैं।

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We believe climate change should be the basis of current discourse, and our stories attempt to reflect the same.

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