देशभर में मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) के काम के दबाव में बीएलओ की मौत की खबरें लगातार सामने आ रही हैं। इसी दबाव की हकीकत जानने के लिए ग्राउंड रिपोर्ट की टीम 30 नवंबर को राजगढ़ ब्लॉक के धनवासकला गांव पहुंची, जहां शासकीय स्कूल में बीएलओ मांगीलाल वर्मा रविवार की छुट्टी में भी काम करते मिले। उनके साथ स्कूल के कुछ बच्चे भी थे जो अपने शिक्षक की मदद कर रहे थे।
नम आंखों से मांगीलाल बताते हैं कि उन्हें 24 घंटे में सिर्फ 3 घंटे ही सोने को मिलते हैं। 21 घंटे लगातार काम करना पड़ रहा है। उन्होंने आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और पंचायत के जिम्मेदार व्यक्तियों को बुलाने का प्रयास किया, लेकिन सभी ने रविवार की छुट्टी बताकर इनकार कर दिया। मजबूरी में उन्हें अपने स्कूल के बच्चों की मदद लेनी पड़ रही है।
मांगीलाल की ग्राम पंचायत में 3 गांव और 1400 से अधिक मतदाता हैं। नियमानुसार 1200 से अधिक मतदाताओं पर दो बीएलओ नियुक्त किए जाने चाहिए, लेकिन एक साल पहले सूचना देने के बाद भी दूसरा बीएलओ नहीं मिला। तहसीलदार ने एक दिन में 300 फॉर्म एकत्रित करने का लक्ष्य दिया है, लेकिन ग्रामीण सहयोग नहीं कर रहे। खेतों में जाने पर किसान कहते हैं कि उन्हें तनख्वाह मिल रही है, लेकिन फसल बर्बाद होने पर कौन जिम्मेदार होगा।
ऑनलाइन अपलोडिंग में भी समस्याएं हैं। कभी नेट नहीं चलता, कभी सर्वर डाउन रहता है। एक एंट्री में एक घंटा लग जाता है।
यह ग्राउंड रिपोर्ट उस भीषण दबाव को उजागर करती है जो भारत भर में बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLO) को मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन (SIR) के दौरान झेलना पड़ रहा है।
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