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आंधी और बारिश आते ही क्यों कट जाती है आपके घरों की बिजली?

आंधी और बारिश आते ही क्यों कट जाती है आपके घरों की बिजली?
आंधी और बारिश आते ही क्यों कट जाती है आपके घरों की बिजली?

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आंधी-बारिश में बिजली क्यों कट जाती है?: हाल ही में मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में आंधी के साथ आई बारिश की वजह से 20 घंटे तक शहर की बिजली गुल रही। यहां तक की सीएम हाउस भी अंधकार में डूबा रहा। बिना बिजली के लोगों का बुरा हाल हो गया, सबसे ज्यादा तो लोग तब परेशान हो गए जब उनके स्मार्टफोन ने काम करना बंद कर दिया।

भोपाल के पास सीहोर शहर में लोग बिजली घर के पास शिकायत करने के लिए जमा हो गए। यहां पर पुलिस बल तैनात करना पड़ा।

इसी बीच सोशल मीडिया पर ऐसी कई तस्वीरें भी आई जिसमें बिजली विभाग के कर्मचारी बारिश के बीच बिजली के तारों को ठीक करते नज़र आए। भोपाल में आंधी की वजह से पावर लाईन्स बहुत बुरी तरह डैमैज हुई थी, इसको सुधारने के लिए बिजली विभाग को आस पास के शहर से टीमें बुलानी पड़ी।

जब पूरा शहर बिजली न होने की वजह से बिजली विभाग को कोस रहा था, ग्राउंड रिपोर्ट की टीम ने पता लगाया की आखिर बारिश और आंधी में बिजली क्यों कट जाती है, और बिजली विभाग इसे कैसे सुधारता है।

इसे समझने के लिए पहले आपको समझना होगा की-

आखिर बिजली आपके घर तक पहुंचती कैसे है?


Coal Power Plant

बिजली कोल पावर प्लांट, हाईड्रो इलेक्ट्रिक एनर्जी, सोलर एनर्जी, विंड टरबाईन्स, और न्यूक्लियर रिएकटर्स में मुख्यतः बनाई जाती है। यहां से इलेक्ट्रीसिटी को ट्रांस्फॉर्मर्स में भेजा जाता है, जो इसका वोल्टेज बढ़ा देती है। जिससे की यह ट्रांस्मिशन लाईन्स के ज़रिए लंबा डिस्टेंस ट्रैवल कर सके। इन ट्रांस्मिशन लाईन्स में 33 हज़ार वोल्ट का करंट दौड़ता है।


Sub-Station

33 केवी की लाईन्स सब-स्टेशन पहुंचती हैं, जहां लगे ट्रांस्फ़ॉर्मर्स इसे 11 हज़ार वोल्ट में बदल देते हैं। यह 11 केवी का करंट फिर पहुंचता है आपके एरिया में लगे छोटे ट्रांस्फॉरमर में, जहां करंट घटकर रह जाता है 440 वोल्ट। फिर यह 440 वोल्ट का करंट तारों के ज़रिए आपके घर पहुंचता है। फिर यह दो फेज़ में डिवाईड होता है। घरों में जो करंट हम अपने अपलायंस चलाने में इस्तेमाल करते हैं वो 220 वोल्ट होता है।

तो यह तो हो गई बिजली के हमारे घर तक पहुंचने की कहानी। लेकिन जो हमारा प्रमुख सवाल है वो यह है कि-

आंधी-बारिश में बिजली क्यों कट जाती है?

आंधी-बारिश में बिजली क्यों कट जाती है?
11 KV Power Lines

हर व्यक्ति के मन में एक सवाल होता है कि आखिर आंधी बारिश आते ही क्यों कट जाती है बिजली? दरअसल, आंधी की वजह से ट्रांस्मिशन लाईन्स टूट जाती हैं या इनपर पेड़ की डालियां गिर जाती हैं। लाईन्स में करंट के ट्रांस्मिशन में जैसे ही अवरोध आता है हाई वोल्टेज करंट जनरेट होता है जो पोल्स पर लगे जंपर और इंसूलेटर को फ्यूज कर देते हैं। ऐसे ही जब लंबे समय तक बारिश होती है तो इंसूलेशन एलीमेंट जैसे बुशिंग और स्विचेस डैमेज हो जाते हैं जिससे पावर कट हो जाता है।

अब समझते हैं कि-

बिजली विभाग इसे सुधारता कैसे है?

बिजली विभाग इसे सुधारता कैसे है?
Line Man Repairing Transmission line

बिजली विभाग के जो सब-स्टेशन होते हैं वहां एरीया वाईस फीडर लगो होते हैं जो 24 घंटे करंट सप्लाई को मॉनिटर करते हैं। जब ट्रांसमिशन लाईन डैमेज होती है तो फीडर में पता चलता है कि कितने एंपीयर करंट पास हुआ है। 40 एंपीयर से ज्यादा करंट आने पर फीडर ऑटोमैटिक पावर सप्लाई रोक देता है। इससे आपके एरिया की लाईट चली जाती है।

electricity feeders in sub stations
Feeders in Sub station

पावर कट होने पर सब स्टेशन इसकी सूचना बिजली विभाग को देता है जो लाईन मैन की टीम को ट्रांस्मिशन लाईन चेक करने के लिए भेजता है। ट्रांस्मिशन लाईन अगर डैमैज होती है तो लाईन मैन इसे सुधारकर सब स्टेशन को सूचित करता है कि वो लाईन चार्ज करदे। सब-स्टेशन से जैसे ही लाईन चार्ज होती है, आपके घरों में बिजली लौट आती है।

लाईन मैन का काम बेहद ही जोखिम भरा होता है। कई बार ये लोग करंट लगने जैसे हादसे का शिकार भी हो जाते हैं। कई बार ट्रांस्मिशन लाईन्स ऐसी जगह से डैमैज होती हैं जहां लाईन मैन की टीम को काफी मशक्कत करनी पड़ती है।

धीरे धीरे ट्रांस्मिशन लाईन्स अंडरग्राउंड की जा रही हैं। लेकिन ओपन एयर ट्रांस्मिशन लाईन की तुलना में अंडरग्राउंड लाईन्स में फॉल्ट ढूंढना बेहद मुश्किल होता है। इसमें समय और पैसा भी अधिक खर्च होता है। हालांकि इसमें डैमेज के चांस ओपन एयर लाईन्स की तुलना में कम होते हैं।

पावर कट का अभी तक कोई पूर्ण समाधान नहीं खोजा जा सका है क्योंकि प्रकृति से हम जीत नहीं सकते, इसलिए आंधी और बाऱिश में अगर लाईट जाए तो थोड़ा धैर्य बनाकर रखिए क्योंकि आपके घर बिजली पहुंचाने का काम बेहद ही जटिल होता है।

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Author

  • Climate journalist and visual storyteller based in Sehore, Madhya Pradesh, India. He reports on critical environmental issues, including renewable energy, just transition, agriculture and biodiversity with a rural perspective.

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