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वीरांगना दुर्गावती बना मध्य प्रदेश का सातवां टाईगर रिज़र्व, 52 गांव होंगे विस्थापित

वीरांगना दुर्गावती बना मध्य प्रदेश का सातवां टाईगर रिज़र्व, 52 गांव होंगे विस्थापित
वीरांगना दुर्गावती बना मध्य प्रदेश का सातवां टाईगर रिज़र्व, 52 गांव होंगे विस्थापित

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  • केन-बेतवा लिंक परियोजना से होगा पन्ना टाइगर रिजर्व को नुकसान
  • अब नया टाइगर रिजर्व बनाकर, क्षतिपूर्ति करने की तैयारी
  • प्रदेश को मिला वीरांगना दुर्गावती नाम से सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व  

मध्य प्रदेश को वीरांगना दुर्गावती के रूप में 7वां नया टाइगर रिज़र्व मिल गया है। यह टाइगर रिज़र्व नौरादेही अभयारण और प्रदेश के सबसे छोटे अभ्यारण वीरांगना रानी दुर्गावती को मिलाकर बनाया हैं। इस वजह से अब यह नया टाइगर रिज़र्व प्रदेश का सबसे बड़ा रिजर्व भी बन गया हैं, इसका क्षेत्रफल 141400 हेक्टेयर वनक्षेत्र हैं। इतना ही नहीं रिज़र्व सीमा तीन जिले सागर, दमोह और नरसिंहपुर तक फैल गई हैं। वहीं अब प्रदेश ने टाइगर स्टेट के साथ ही देश में सबसे अधिक टाइगर रिज़र्व होने का तमगा भी हासिल कर लिया है।

शिवराज सरकार ने नौरादेही रिज़र्व का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। यह नया टाइगर रिज़र्व केन-बेतवा लिंक परियोजना से पन्ना टाइगर रिज़र्व क्षेत्र को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए बनाया गया है। यह देश का 54वां टाइगर रिज़र्व है। तीन महीने पहले केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने इस रिज़र्व की एनओसी जारी की। नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अर्थारिटी यानि एनटीसीए ने भी नौरादेही और वीरांगना दुर्गावती सेंचुरी को मिलाकर टाइगर रिज़र्व को सहमति दी है।

naura dehi Tiger Reserve

कोर एरिया में भी सबसे बड़ा रिज़र्व

इस टाइगर रिज़र्व में दो कोर एरिया बनाए गए हैं, पहला कोर एरिया करीब 1390 किमी, जबकि दूसरा कोर एरिया करीब 24 कि.मी. का तय किया गया हैं। यानी 1414 वर्ग किलोमीटर का कोर क्षेत्र और 92512 वर्ग कि.मी. बफर क्षेत्र होगा। यह टाइगर रिजर्व कोर एरिया में भी सबसे बड़ा रिज़र्व होगा। बफर क्षेत्र में नौरादेही व वीरांगना दुर्गावती अभयारणों के पूर्व से अधिसूचित ईको सेंसेटिव ज़ोन व आस-पास के वनक्षेत्र शामिल हैं।

52 गांव होंगे विस्थापित 

नौरादेही अभयारण को टाइगर रिज़र्व बनाने की प्रक्रिया के दौरान से ही यहां 93 गांवों के विस्थापन का काम चला रहा है। इनमें 41 गांवों के प्रत्येक पात्र परिवार को 15-15 लाख रूपये का मुआवज़ा देकर विस्थापित किया जा चुका है। नोटिफिकेशन में कोई नया राजस्व क्षेत्र रिज़र्व की सीमा से नहीं जोड़ा गया है। इसलिए बाकी बचे 52 गांवोें का विस्थापन होना हैं, इनमें सागर के 30, दमोह के 18, नरसिंहपुर के 4 गांव विस्थापित होने हैं और इनका कुल एरिया 16722 हेक्टेयर है। 

Veerangana Durgawati Tiger Reserve

यह गांव हो चुके हैं विस्थापित

नए टाइगर रिज़र्व में पहले से जिन ग्रामों को विस्थापित कैटेगरी में शामिल किया गया है उसमें उन राजस्व और वन ग्रामों की राजस्व और निजी भूमि शामिल है। इनमें बरपानी गांव की 90.600 हेक्टेयर, तरा की 256.550, भडरा की 250.680, करनपुर की 72.680, मढ़िया की 91.800, बंधा की 95.060, बिजनी वन ग्राम की 50.02, कुसुमी लगरा की 426.880, तिंदनी की 86.90, खापा की 90.61और महका की 88.32 हेक्टेयर जमीन शामिल है। इसके अलावा सिंगपुुरी जामुन झिरी की 142.00, जामुन हटरी की 94.63, महगवां की 158.25 और आमापानी की 102.513 हेक्टेयर भूमि से विस्थापन हो चुका है। कुल 2130.593 हेक्टेयर राजस्व और वन ग्राम की भूमि विस्थापन प्रक्रिया पूरी करना बताई गई है।

ये टाइगर रिजर्व पहले से मौजूद

seven tiger reserves in Madhya Pradesh Map
स्त्रोत: MP Forest

अपर मुख्य सचिव वन जेएन कंसोटिया ने कहा कि

“मध्य प्रदेश में पहले से छह टाइगर रिजर्व हैं और नए टाइगर रिजर्व के बनने के बाद इसकी संख्या सात हो गई है। प्रदेश में पहले से कान्हा नेशनल पार्क, मंडला बांधवगढ़ नेशनल पार्क, उमरियाए पन्ना टाइगर रिजर्व, पेंच टाइगर रिजर्व, सिवनी सतपुड़ा टाइगर रिजर्व, नर्मदापुरम और संजय गांधी डुबरी नेशनल पार्क शामिल हैं। इन टाइगर रिजर्व के कारण प्रदेश में सैलानियों की संख्या में भी पिछले सालों में तेजी से इज़ाफा हुआ है।”

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  • Based in Bhopal, this independent rural journalist traverses India, immersing himself in tribal and rural communities. His reporting spans the intersections of health, climate, agriculture, and gender in rural India, offering authentic perspectives on pressing issues affecting these often-overlooked regions.

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