प्रतापगढ़ के एक स्थानीय पर्यावरण अभियान ने अब पूरे प्रदेश में नई दिशा दे दी है। युवा पर्यावरण कार्यकर्ता सुंदरम तिवारी की पहल ‘पर्यावरण ग्राम चौपाल’ की तरह ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे राज्य स्तर पर ‘हरित चौपाल’ के नाम से शुरू करने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री ने आदेश दिया है कि अब हर जिले में हर महीने के तीसरे शुक्रवार को नियमित ग्राम चौपाल के साथ हरित चौपाल भी आयोजित की जाएगी, ताकि पर्यावरण संरक्षण की चर्चा और कार्रवाई गांवों तक पहुंचे।
सुंदरम तिवारी ने प्रतापगढ़ जिले में बीस ग्राम सभाओं और बीस कॉलेजों में ‘पर्यावरण ग्राम चौपाल’ चलाकर युवाओं, शिक्षकों और ग्रामीण नेताओं को पर्यावरण संरक्षण से जोड़ा था। इस पहल की सफलता देखकर राज्य सरकार ने इसे पूरे उत्तर प्रदेश में लागू करने का निर्णय लिया। अब यह कार्यक्रम सतत विकास, वन्यजीव संरक्षण, पारंपरिक पर्यावरणीय प्रथाओं के पुनर्जीवन, पर्यावरण-मित्र जीवनशैली को बढ़ावा देने, स्थानीय जैव विविधता की रक्षा और प्राकृतिक खेती के प्रोत्साहन पर केंद्रित रहेगा।
सुंदरम तिवारी, जिन्हें स्वामी विवेकानंद राज्य युवा पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, ने कहा कि यह पहल उनके लिए गर्व का विषय है। उन्होंने कहा, “मैं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी का आभारी हूं कि उन्होंने इस मॉडल को पूरे प्रदेश में अपनाया। हरित चौपाल से हर गांव में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ेगी और ग्रामीण समाज को इसके दीर्घकालिक लाभ मिलेंगे।” उन्होंने आगे कहा कि पर्यावरण की समस्या केवल शहरों तक सीमित नहीं है, बल्कि गांवों में भी यह उतनी ही महत्वपूर्ण है। उनके अनुसार, जब सतत जीवनशैली ग्राम पंचायतों और शैक्षणिक संस्थानों तक पहुंचेगी, तो पर्यावरणीय जिम्मेदारी हर नागरिक के जीवन का हिस्सा बन जाएगी।
राज्य सरकार का मानना है कि हरित चौपाल के ज़रिए ग्रामीण स्तर पर जल संरक्षण, हरियाली बढ़ाने, प्रदूषण कम करने और टिकाऊ खेती को प्रोत्साहित करने में मदद मिलेगी। इस पहल से युवाओं में पर्यावरण नेतृत्व की भावना भी विकसित होगी। विशेषज्ञों का कहना है कि यह एक ऐसा ग्रामीण पर्यावरण मॉडल बन सकता है, जिसे अन्य राज्य भी अपना सकते हैं।
कार्यक्रम के तहत आगे चलकर गांवों में पौधारोपण और सूक्ष्म वन तैयार करने, कचरा-मुक्त गांव अभियान चलाने, तालाबों और जल स्रोतों के पुनर्जीवन, सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण पेड़ों और स्थलों की सुरक्षा, तथा नागरिकों द्वारा स्थानीय जैव विविधता के दस्तावेज़ीकरण जैसे कार्य किए जाएंगे। ग्राम चौपाल की प्रणाली के ज़रिए स्थानीय पर्यावरण समस्याओं की पहचान और समाधान के लिए एक मजबूत फीडबैक सिस्टम भी तैयार किया जाएगा।
प्रतापगढ़ के केवल बीस गांवों से शुरू हुई यह मुहिम अब उत्तर प्रदेश के 97,000 से अधिक गांवों तक पहुंचेगी। यह दिखाता है कि एक युवा की सोच और लगन कैसे पूरे राज्य की नीति बन सकती है। सुंदरम तिवारी का कहना है, “जब पर्यावरणीय शासन गांवों से जुड़ता है, तो देश की पारिस्थितिक शक्ति अपने आप मजबूत होती है। हरित चौपाल भारत के पर्यावरणीय भविष्य को जड़ों से सशक्त बनाने की क्षमता रखती है।”
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