...
Skip to content

बुरहानपुर: सामाजिक कार्यकर्ता माधुरी बेन पर आदिवासियो को भड़काकर जंगल में अतिक्रमण करवाने का आरोप

बुरहानपुर: सामाजिक कार्यकर्ता माधुरी बेन पर आदिवासियो को भड़काकर जंगल में अतिक्रमण करवाने का आरोप
बुरहानपुर: सामाजिक कार्यकर्ता माधुरी बेन पर आदिवासियो को भड़काकर जंगल में अतिक्रमण करवाने का आरोप

REPORTED BY

Follow our coverage on Google News

मध्यप्रदेश के बुरहानपुर ज़िले में जागृत आदिवासी दलित संगठन से जुड़ी हुई कार्यकर्त्ता माधुरी बेन (63) को नोटिस जारी करते हुए उन्हें जिला बदर करने का आदेश दिया गया है. यह कार्यवाही 15 मई को वनमंडलाधिकारी द्वारा कलेक्टर के समक्ष प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के बाद कलेक्टर न्यायालय में हुई सुनवाई के आधार पर की है. आदेश के अनुसार अगले साल 7 जुलाई तक मधुरी बेन ज़िले में दाखिल नहीं हो सकेंगी. मामले पर माधुरी बेन सहित उनके संगठन के लोगों का कहना है कि यह एक द्वेषपूर्ण कार्रवाई है जिसके खिलाफ वे हाईकोर्ट में अपील करेंगे. 

क्या है पूरा मामला?

7 जुलाई को कलेक्टर कार्यालय द्वारा जारी आदेश में यह कहा गया है कि माधुरी बेन द्वारा आदिवासियों को भड़का कर वन क्षेत्र में कटाई कर जंगल में अतिक्रमण करवाया जा रहा है. इसके साथ ही पैसे देकर आदिवासियों को अपने संगठन से जोड़ने और अशांति फैलाने संबधी आरोप लगाए गए हैं. आदेशानुसार साल 2022 से अब तक माधुरी पर 21 केस दर्ज किए हैं. इनमें माधुरी पर आदिवासियों को भड़काने और अतिक्रमण सहित अन्य वन अपराध करने के लिए दुष्प्रेरित करने के आरोप लगाए गए हैं. यह मामले भारतीय वन अधिनियम (1927) की धारा 26, 63 और 66 के अंतर्गत दर्ज किए गए हैं. आदेश में 4 एफ़आईआर के भी विवरण हैं जो साल 2004 से 2023 के बीच दर्ज की गई हैं. इनमें से 3 एफ़आईआर बड़वानी में दर्ज किए गए हैं जबकि एक साल 2023 में बुरहानपुर के अंतर्गत आने वाले नेपानगर में दर्ज की गई है.

इस पूरी कार्यवाही पर बात करते हुए बुरहानपुर कलेक्टर भव्या मित्तल ने ग्राउंड रिपोर्ट से कहा कि “मजिस्ट्रेट कोर्ट में इस मामले में सुनवाई की गई थी. उस दौरान उनके समक्ष जो गवाहियाँ और साक्ष्य पेश किए गए थे उसके आधार पर मध्य प्रदेश राज्य सुरक्षा कानून की धारा 5 (A) के तहत यह कार्यवाही की गई है.” 

संगठन द्वारा पहले कई बार दिया गया है धरना 

बुरहानपुर में जंगलों की कटाई की ख़बरें नई नहीं हैं. मीडिया रिपोर्ट्स देखने पर यह पता चलता है कि जिले के अंतर्गत आने वाले जंगलों में अतिक्रमणकारी काफी सक्रीय हैं. उनके द्वारा जंगलों में लकड़ी की कटाई लगातार की जाती रही है. दैनिक भास्कर के स्थानीय अंक में 8 जुलाई को प्रकाशित खबर के अनुसार ज़िले में साल 2018 के बाद कटाई में तेज़ी आई है. जागृत दलित आदिवासी संगठन ने भी अपने ट्वीट में यह दावा किया कि ज़िले में लगभग 15 हज़ार एकड़ जंगल काट कर साफ़ कर दिया गया है. 

वनों की इस कटाई के खिलाफ संगठन द्वारा लगातार विरोध प्रदर्शन किया जाता रहा है. बिना अनुमति धरना देने के चलते इनके कार्यकर्ताओं पर कई बार केस भी दर्ज किया जा चुका है. इसी साल 5 अप्रैल से 7 अप्रैल तक ज़िले के कलेक्ट्रेट के सामने इस संगठन के नेतृत्व में आदिवासियों ने धरना प्रदर्शन किया था. इस दौरान उन्होंने तस्करों पर कार्रवाही करने की मांग करते हुए प्रशासन और अतिक्रमणकारियों की मिली भगत के आरोप लगाए थे. प्रदर्शनकारियों द्वारा कहा गया था कि पुलिस-प्रशासन जंगल ख़ाली करवाता है मगर अपराधी वापस लौट आते हैं. 

forest cutting in burhanpur

वन चौकी पर हो चुका है हमला

मगर बुरहानपुर में स्थिति इससे भी ज़्यादा गंभीर है. बीते 3 साल में प्रशासन की ओर से अतिक्रमण हटाने गई टीम पर 15 बार हमला हो चुका है. इन घटनाओं में 17 बंदूकें और 650 कारतूस हमला करने वाले अतिक्रमणकारियों द्वारा वन चौकियों से लूटे गए हैं. इसी साल 7 अप्रैल की आधी रात को ज़िले की नेपानगर पुलिस चौकी में हमला किया गया. इस हमले में न सिर्फ पुलिस वालों से मार पीट की गई बल्कि 6 महीने की भारी मशक्कत के बाद गिरफ्तार किए गए बदमाशों को भी हमलावर छुड़ा ले गए थे. इसके पहले 2 मार्च को हुई ऐसी ही एक घटना में हमलावरों ने चौकी से अपराधियों को छुड़ा लिया था.      

forest cutting in burhanpur

7 अप्रैल की घटना के बाद सर्वदलीय पार्टी के पदाधिकारी, कार्यकर्त्ता एवं आम जन द्वारा गृह मंत्री के नाम से एक ज्ञापन दिया गया था. इस ज्ञापन में माधुरी बेन और संगठन के एक अन्य कार्यकर्त्ता नितिन वर्गिस के ख़िलाफ़ ज़िला बदर की कार्यवाही करने की माँग की गई थी. लेकिन नितिन का कहना है कि यह सभी चीज़ें एक द्वेषपूर्ण कार्यवाही का नतीजा हैं. वह कहते हैं,

“इस ज्ञापन के बारे में हमें एक महीने तक नहीं पता चला. जब हमारे पास नोटिस आया तो उसके परिशिष्ट में यह ज्ञापन लगा हुआ था.” जिला बदर के 73 पेज लम्बे आदेश में इस ज्ञापन का भी ज़िक्र किया गया है.

“यह आदिवासी समाज की जागरूकता पर हमला है”

अपने ऊपर हुई इस कार्यवाही पर प्रतिक्रिया देते हुए माधुरी बेन ने हमसे कहा,

“यह हमला मुझपर नहीं बल्कि आदिवासी समाज पर हमला है. यह उनकी जागरूकता पर हमला है. शिवराज सरकार से आदिवासियों की जागरूकता बर्दास्त नहीं हो पा रही है इसलिए वह यह कार्यवाही कर रही है.”

माधुरी का कहना है कि जंगलों की कटाई में अतिक्रमणकारियों के साथ में प्रशासन भी मिला हुआ है. उन्होंने इस बात को सबके सामने उठाया है इसलिए यह कार्यवाही की जा रही है. 

jagrit dalit adivasi sangathan burhanpur protests

जागृत दलित आदिवासी संगठन बुरहानपुर के अलावा बड़वानी में भी लगातार सक्रीय होकर काम कर रहा है. साल 2022 के फ़रवरी महीने में बड़वानी के लगभग 300 बंधुआ मज़दूरों को इस संगठन ने प्रशासन की मदद से बंधुआ मजदूरी से मुक्त करवाया था. माधुरी के अनुसार सरकार उनके संगठन के कार्यकर्ताओं पर लगातार हमला कर रही है ताकि आदिवासियों को जागरूक न किया जा सके. “शिवराज सरकार को यह समझ आ गया है कि आदिवासी लोग अब उनके दिए लालच में नहीं आने वाले हैं इसलिए चुनाव से पहले आदिवासियों को डराने के लिए कार्यवाही की जा रही हैं.”  उन्होंने बताया कि बीते कुछ महीने पहले बड़वानी के एक कार्यकर्ता को भी जिला बदर करने की कोशिश की गई थी. 

आदेश के ख़िलाफ़ हाईकोर्ट जाएँगे         

संगठन के कार्यकर्ता नितिन वर्गीश ने हमें बताया कि नोटिस मिलने के बाद हाईकोर्ट में इसके खिलाफ अपील की थी. इस अपील को शुक्रवार 7 जुलाई को ख़ारिज कर दिया गया. इस पर नितिन ने कहा,

“हमने अपील यह कहते हुए लगे थी कि हमारे खिलाफ द्वेषपूर्ण कार्यवाही की जा रही है. मगर चूँकि उस दौरान तक यह आदेश नहीं निकला था इसलिए कोर्ट ने यह कहते हुए अर्जी ख़ारिज की थी कि आदेश निकलने के बाद आप वापस कोर्ट आ सकते हैं अभी हम (कोर्ट) कुछ भी नहीं कर सकते हैं. इसलिए अब हम इस आदेश के खिलाफ वापस कोर्ट का रुख करेंगे.”  

यह भी पढ़िए

Ground Report के साथ फेसबुकट्विटर और वॉट्सएप के माध्यम से जुड़ सकते हैं और अपनी राय हमें Greport2018@Gmail.Com पर मेल कर सकते हैं।

Author

  • Shishir identifies himself as a young enthusiast passionate about telling tales of unheard. He covers the rural landscape with a socio-political angle. He loves reading books, watching theater, and having long conversations.

    View all posts

Support Ground Report to keep independent environmental journalism alive in India

We do deep on-ground reports on environmental, and related issues from the margins of India, with a particular focus on Madhya Pradesh, to inspire relevant interventions and solutions. 

We believe climate change should be the basis of current discourse, and our stories attempt to reflect the same.

Connect With Us

Send your feedback at greport2018@gmail.com

Newsletter

Subscribe our weekly free newsletter on Substack to get tailored content directly to your inbox.

When you pay, you ensure that we are able to produce on-ground underreported environmental stories and keep them free-to-read for those who can’t pay. In exchange, you get exclusive benefits.

Your support amplifies voices too often overlooked, thank you for being part of the movement.

EXPLORE MORE

LATEST

mORE GROUND REPORTS

Environment stories from the margins