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कागज़ पर परोसा मिड-डे मील, समूह का अनुबंध निरस्त

Indian schoolchildren eat a simple mid-day meal of rice, lentils, and vegetables in a classroom, reflecting everyday nutrition challenges.

सरकारी स्कूल के बच्चों को कागज़ पर मिड-डे मील परोसने का मामला सामने आया है। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो के अनुसार मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले के एक शासकीय माध्यमिक विद्यालय में बच्चों को थाली के बजाए कागज़ पर मिड-डे मील परोस दिया गया। विजयपुर विकासखंड के हुल्लपुर गांव के विद्यालय का यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही प्रशासन हरकत में आ गया। स्कूल के प्राचार्य को निलंबित किया गया और स्वसहायता समूह का अनुबंध निरस्त कर दिया गया है।

घटना कब और कैसे सामने आई

यह घटना 4 नवंबर 2025 की है। उसी दिन किसी ग्रामीण ने विद्यालय में बच्चों को अखबार पर भोजन करते हुए देखा और उसका वीडियो बना लिया। वीडियो सोशल मीडिया पर आते ही वायरल हो गया और अगले ही दिन यह मामला प्रशासनिक हलकों से लेकर राजनीतिक गलियारों तक गूंज गया।

कहां और किस स्कूल में हुआ मामला

यह मामला श्योपुर जिले के विजयपुर ब्लॉक के हुल्लपुर गांव के सरकारी माध्यमिक विद्यालय का है। यहां प्रतिदिन करीब 100 से अधिक बच्चे मिड-डे मील योजना के तहत भोजन करते हैं। वीडियो में यह स्पष्ट दिखा कि बच्चों को प्लेट की बजाय पुराने अखबार और कागजों पर खाना दिया जा रहा है।

जांच में क्या सामने आया

बीईओ हरिशंकर गर्ग द्वारा की गई प्रारंभिक जांच में खुलासा हुआ कि विद्यालय में भोजन तैयार करने वाले स्वसहायता समूह की दो महिलाएं सात दिनों से अनुपस्थित थीं। समूह के सदस्यों ने अधिकारियों के समक्ष सफाई देते हुए कहा, “हमने बर्तन धुलने की झंझट से बचने के लिए बच्चों को कागज पर खाना दे दिया।” दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, यह स्थिति केवल एक दिन की नहीं थी। बल्कि लगातार सात दिनों तक बच्चों को इसी तरह कागज में भोजन दिया गया।

प्रशासनिक कार्रवाई

जिला शिक्षा अधिकारी एम.एल. गर्ग ने तत्काल कार्रवाई करते हुए विद्यालय के प्रभारी भोगीराम धाकड़ को निलंबित किया। वहीं विजयपुर एसडीएम अभिषेक मिश्रा ने स्वसहायता समूह का अनुबंध रद्द कर दिया और नए समूह को भोजन व्यवस्था की जिम्मेदारी सौंपी।

श्योपुर कलेक्टर अर्पित वर्मा ने पूरे जिले के लिए सख्त निर्देश जारी किए —“मध्यान्ह भोजन योजना में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। दोषी पाए जाने पर त्वरित और कठोर कार्रवाई की जाएगी।”

राजनीति ने पकड़ा तूल

घटना के बाद राजनीति भी गर्मा गई। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने ‘X’ (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा —“दिल टूट गया यह देखकर कि बच्चों को अखबार पर खाना परोसा जा रहा है। ये वही मासूम बच्चे हैं जिनके सपनों पर देश का भविष्य टिका है, और उन्हें इज़्ज़त की थाली तक नसीब नहीं।”

उन्होंने आगे लिखा —“20 साल की BJP सरकार और बच्चों की थाली तक चुरा ली गई। शर्म आनी चाहिए ऐसे मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को जो देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।”

बच्चों के साथ भोजन कर जांच की गई

राहुल गांधी के बयान के बाद पूर्व वन मंत्री रामनिवास रावत और एसडीएम अभिषेक मिश्रा खुद विद्यालय पहुंचे। दोनों अधिकारियों ने बच्चों के साथ बैठकर भोजन किया और गुणवत्ता की जांच की। इस दौरान उन्होंने शिक्षकों और समूहों को निर्देश दिया कि बच्चों को स्वच्छ, पौष्टिक और गरिमापूर्ण वातावरण में भोजन कराया जाए।

भविष्य के लिए दिशा-निर्देश

कलेक्टर ने सभी ब्लॉक अधिकारियों को निर्देशित किया है कि मिड-डे मील योजना की साप्ताहिक निगरानी रिपोर्ट तैयार करें। स्कूल स्तर पर निरीक्षण समिति सक्रिय की जाए। किसी भी विद्यालय में बच्चों को भोजन परोसे जाने की प्रक्रिया में मानव गरिमा का उल्लंघन न हो।

श्योपुर का यह मामला मिड-डे मील योजना की जमीनी हकीकत उजागर करता है। यह केवल एक प्रशासनिक लापरवाही नहीं बल्कि गरीब बच्चों की गरिमा, समानता और अधिकारों से जुड़ा गंभीर मुद्दा है। 7 दिनों तक बच्चों को इसी तरह भोजन परोसे जाने से यह सन्देश मिलता है कि यदि यह वीडियो वायरल न होता तो संभवतः यह मामला दबा रह जाता। याद रखना होगा कि गरीब के सम्मान की थाली भी सरकार की जवाबदेही से जुड़ी है।

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Author

  • Abdul Wasim Ansari is an independent journalist based in Rajgarh, Madhya Pradesh, bringing nearly a decade of experience in journalism since 2014. His work focuses on reporting from the grassroots level in the region.

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