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सीहोर की बदहाल अनाज मंडी, किसानों को न उचित दाम मिला न बैठने को छांव

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सीहोर की बदहाल अनाज मंडी, किसानों को न उचित दाम मिला न  बैठने को छांव
सीहोर की बदहाल अनाज मंडी, किसानों को न उचित दाम मिला न बैठने को छांव

सीहोर शहर की उपज मंडी (Sehore Mandi Soyabean) में ट्रैक्टर ट्रालियों की लंबी लाईन लगी है। सेवनिया गांव के शैलु वर्मा सुबह 10 बजे मंडी आए थे, शाम के 6 बज चुके हैं अभी तक वो अपनी सोयाबीन की फसल तुलवा पाने में कमयाब नहीं हुए हैं। उपज मंडी में पीने के पानी और पेशाब घर जैसी व्यवस्थाओं का अभाव है जिससे वो परेशान हो चुके हैं। फसल का कम भाव किसानों को और ज्यादा मायूस कर रहा है।

मध्यप्रदेश में अगस्त के महीने में मॉनसून ब्रेक की वजह से बारिश न के बराबर हुई, इस महीने में खरीफ की फसल जैसे सोयाबीन, मक्का और मूंग के लिए सिंचाई ज़रुरी होती है, क्योंकि इसी समय फूल से बीज बनता है। लेकिन बारिश की जगह पड़ी गर्मी ने सूखे जैसे हालात पैदा कर दिये। हालांकि सितंबर माह में हुई बारिश ने फसलों को हुए नुकसान को थोड़ा कम किया लेकिन फिर भी कई किसानों की सोयाबीन के दाने छोटे रह गए, जिसकी वजह से अब उन्हें मंडी में दाम कम मिल रहा है।

सीहोर अनाज मंडी में ट्रैक्टर ट्रॉलियों की लंबी लाईन (Sehore Mandi Soyabean)
सीहोर अनाज मंडी में ट्रैक्टर ट्रॉलियों की लंबी लाईन

सोयाबीन का भाव 3500 से 4500 रुपए क्विंटल

रायपुरा से (Sehore Mandi Soyabean) अपनी फसल बेचने आए मनोहर सिंह के मुताबिक उन्हें 4100 रुपए क्विंटल का भाव मिला है, पिछले साल यह 5000 था। जहां पिछले वर्ष उनकी सोयाबीन की उपज 60 क्विंटल थी तो इस बार केवल 35 क्विंटल है। मनोहर कहते हैं

“हमें फसल का कम दाम दिया जा रहा है और खाद बीज और दवाईयों का दाम बढ़ा दिया है, ऐसे में अगली फसल की बुवाई महंगी पड़ जाएगी। समझ नहीं आता कि जो पैसे मिले हैं उनसे बच्चों का लालन पालन करें या अगली फसल की तैयारी।”

सोयाबीन की फसल का ढेर लगाते मज़दूर (Sehore Mandi Soyabean)
सोयाबीन की फसल का ढेर लगाते मज़दूर

शिकारपुरा के रामकुमार शर्मा, मनोहर की बात से सहमती जताते हुए कहते हैं कि इस बार उनकी फसल चौपट हो गई, सोयाबीन का दाना थोड़ा छोटा रह गया जिसकी वजह से उन्हें 3700 रुपए प्रति क्विंटल का भाव मिला है। रामकुमार कहते हैं कि

“कम से कम 5 हज़ार का भाव मिलता तो लागत निकलती। शिवराज सरकार हमेशा किसानों के साथ खड़ी रही है, हमें उनसे कोई शिकायत नहीं है, लेकिन यह समय संकट का था, ऐसे समय में उन्हें किसान के साथ खड़ा होना चाहिए था। किसान बहुत मेहनत से अनाज उगाता है, उसके साथ ऐसा सलूक नहीं होना चाहिए।”

सोयाबीन पर मौसम की मार

आपको बता दें कि सोयाबीन एक कैश क्रॉप है, इससे किसानों को कम लागत में अच्छा मुनाफा होता आया है। सोयाबीन की खरीद सरकारी मंडियों में होती है। इसका इस्तेमाल कुकिंग ऑयल बनाने और कई तरह के खाद्य उत्पाद बनाने में होता है। पिछले कुछ सालों में बदले मौसम चक्र की मार सोयाबीन पर भी पड़ी है। असमय बारिश और सूखे की वजह से किसानों के सामने अपनी फसल बचाने के कम ही विकल्प बचे हैं।

सीहोर कृषि उपज मंडी में सोयाबीन की तुलाई होते हुए
सीहोर कृषि उपज मंडी में सोयाबीन की तुलाई होते हुए

ग्राम सेवनिया से आए आनंद सिंह मेवाड़ा के मुताबिक उनकी 50 फीसदी फसल नष्ट हुई है, लेकिन सरकार ने न तो सर्वे करवाया न मुआवज़ा दिया। फसल बीमे का भी प्रीमियम काट लिया गया लेकिन अभी तक कोई भरपाई बीमा कंपनियों ने नहीं की है। ऊपर से सीहोर की बदहाल मंडी में सुबह से शाम तक किसान ट्रैक्टर लेकर खड़ा रहता है, लेकिन देर शाम तक भी फसल की तुलाई (Sehore Mandi Soyabean) नहीं हो पाती। आनंद कहते हैं

“इससे तो आष्टा (सीहोर से 45 किलोमीटर दूर) की मंडी अच्छी है, वहां किसानों के लिए बैठने की और आराम करने की अच्छी व्यवस्था है। वहां फसल भी यहां की तुलना में जल्दी तुल जाती है।”

सीहोर की गल्ला मंडी के विकास के लिए कई योजनाएं बनाई गई हैं, लेकिन अभी तक यह बदहाल स्थिति में ही है। यहां आए किसानों को अपने ट्रैक्टर में ही बैठकर पूरा दिन गुज़ारना पड़ जाता है।

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  • Climate journalist and visual storyteller based in Sehore, Madhya Pradesh, India. He reports on critical environmental issues, including renewable energy, just transition, agriculture and biodiversity with a rural perspective.

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