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चीतों को बसाने के लिए गांधी सागर अभ्यारण से तेंदुओं को किया जाएगा बेघर

चीतों को बसाने के लिए गांधी सागर अभ्यारण से तेंदुओं को किया जाएगा बेघर
चीतों को बसाने के लिए गांधी सागर अभ्यारण से तेंदुओं को किया जाएगा बेघर

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भारत सरकार के लंबे प्रयास के बाद प्रोजेक्ट चीता (Project cheetah) के तहत नामीबिया से चीते भारत के कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) में लाए गए थे। हालांकि कुछ चीतों की मौत के बाद भी इस प्रोजेक्ट को सफल माना जा सकता है। मार्च 2024 में ही गामिनी ने 6 शावकों को जन्म दिया था। अब भारत में कुल 26 चीते हैं। इसके बाद से ही भारत सरकार ने प्रोजेक्ट चीता के दुसरे चरण की तैयारी भी शुरू कर दी है। आइये जानते हैं क्या होगा चीतों का अगला ठिकाना।

मंदसौर के गांधी सागर अभ्यारण्य में आएंगे चीते 

कूनो नेशनल पार्क के बाद अब मध्यप्रदेश के गांधीसागर अभ्यारण्य, और नौरादेही अभ्यारण्य को एक दुसरे विकल्प के तौर पर देखा गया था। लेकिन अंततः गांधीसागर अभ्यारण्य (Gandhi Sagar Wildlife Sanctuary) को चीतों का अगला घर चुना गया है। इसे लेकर गांधी सागर अभ्यारण को चीतों के लिए तैयार भी किया जा रहा है। गांधी सागर अभ्यारण में 8 क्वारंटीन बाड़े बनाए जा रहे हैं, CCTV कैमरे, और मेडिकल यूनिट तैयार की जा रही है। इसके अलावा चीतों के लिए कंज़र्वेशन ब्रीडिंग सेंटर, चीता अनुसंधान केंद्र, इंटरप्रिटेशन सेंटर, चीता मैनेजमेंट ट्रेनिंग सेंटर और चीता सफारी भी तैयार की जा रही है। ऐसा अनुमान है की ठंड के मौसम तक दक्षिण अफ्रीका से चहेतों की दूसरी खेप आ जाएगी। 

तेंदुएं हैं चीतों के लिए अड़चन 

मार्च 2024 में दक्षिण अफ्रीका से एक टीम ने गांधी सागर अभ्यराण्य में सर्वे किया था। 64 वर्ग किलोमीटर में फैले गांधी सागर अभ्यारण्य में, निरीक्षकों को लगभग 20 तेंदुए (Leopard) मिले थे। विशेषज्ञों ने कहा की गांधी सागर राष्ट्रीय उद्यान से तेंदुओं को बाहर निकालने के बाद ही चीतों को लाया जा सकता है। 

तेंदुओं के रहने से चीतों के और उनके बीच द्वन्द भी हो सकता है। चीते दिन में शिकार करते हैं और तेंदुए अमूमन रात में शिकार करते हैं। इसके अलावा इनके शिकार करने, और खाने के तरीके भी अलग हैं। शेर, तेंदुआ, लकड़बग्घा इत्यादि चीतों को शिकार के मामले में कड़ी प्रतिस्पर्धा देते हैं, और कई बार चीतों का शिकार भी कर लेते हैं। इसी कारण से तेंदुओं को बाहर निकालने की शर्त रखी गई। तेंदुओं को हाथी की मदद से या ट्रैंक्वलाइज कर के बाहर करने की योजना है।   
   
एक चीते को आम तौर पर एक वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में 20 शाकाहारी वन्य प्राणी की जरूरत लगती है। लेकिन अभी गांधी सागर अभ्यारण्य में वर्तमान में प्रति वर्ग किलोमीटर 15 ही शाकाहारी वन्यप्राणी उपलब्ध हैं। बताया जा रहा है कि, इस स्थिति को बैलेंस करने के लिए तीन अभ्यारण्य से 1250 शाकाहारी वन्यप्राणी लाए जाएंगे।

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  • Based in Bhopal, this independent rural journalist traverses India, immersing himself in tribal and rural communities. His reporting spans the intersections of health, climate, agriculture, and gender in rural India, offering authentic perspectives on pressing issues affecting these often-overlooked regions.

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