मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने सोयाबीन की खरीदी में एफएक्यू की शर्त खत्म की है l जानकारी के अनुसार प्रदेश में लागू सोयाबीन भावांतर भुगतान योजना (Soybean Bhavantar) के तहत किसानों के सामने आने वाली परेशानी अब कम होगी। सरकार ने इस योजना में सोयाबीन की खरीदी के लिए देरी का कारण बनने वाली एफएक्यू (औसत अच्छी गुणवत्ता) की अनिवार्यता को हटा दिया है।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि 24 अक्टूबर 2025 से किसानों की उपज चाहे जैसी भी हो, मंडियों में एफएक्यू की गुणवत्ता की शर्त के बिना खरीदी हो सकती है। उन्होंने कहा है कि किसानों को लंबी लाइनों में खड़ा नहीं होना है, धक्के-मुक्की झेलने की जरूरत नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि, गुणवत्ता के नाम पर जो समस्याएं किसानों को आती थीं अब उन्हें बर्दाश्त नहीं किया जायेगा ।
इस निर्देश के तहत, मंडी सचिवों, कलेक्टरों और अन्य संबंधित अधिकारियों को यह आदेश जारी किया गया है कि किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य दिया जाए और सरकार अंतर की भरपाई करेगी।
एफएक्यू शर्त क्या थी?
पहले शासन ने निर्देश दिया था कि भावांतर योजना के अंतर्गत सोयाबीन वही खरीदी जाए जिसकी गुणवत्ता एफएक्यू अर्थात औसत अच्छी गुणवत्ता के मानदंडों के अंतर्गत आती हो। जिसमें इन मानदंडों में नमी 12% से अधिक नहीं होनी चाहिए, टूटे-फूटे दानों की संख्या 15% से ज्यादा नहीं हो, कचरा 2% से अधिक नहीं हो और उपज साफ-सूची होना आदि शामिल किया गया था।
किसानों का मानना था कि जब MSP पर खरीदी नहीं हो रही और भावांतर के अंतर्गत भुगतान हो रहा है, तो ‘एफएक्यू’ की शर्त इस योजना को बेअसर बना देती है। जिसको देखते हुए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने किसानों के हित में इस शर्त को समाप्त करने का फैसला लिया।
इस दौरान इंदौर जिले में 46 हजार से अधिक किसान पंजीकृत हैं और खरीदी 24 अक्टूबर से शुरू हो चुकी है। इंदौर कलेक्टर शिवम वर्मा ने मंडियों का दौरा कर किसानों को शर्त हटाए जाने की जानकारी दी है और कहा है कि यह निर्णय मुख्यमंत्री के निर्देश के तहत लिया गया है।
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