...
Skip to content

Loksabha Election 2024: अधूरे पड़े विकास कार्यों के बीच किसका होगा जबलपुर

Loksabha Election 2024: अधूरे पड़े विकास कार्यों के बीच किसका होगा जबलपुर
Loksabha Election 2024: अधूरे पड़े विकास कार्यों के बीच किसका होगा जबलपुर

REPORTED BY

Follow our coverage on Google News

Loksabha Election 2024: जबलपुर मध्यप्रदेश की ऐतिहासिक धरती है। यहां गोंड राजा मदन शाह के बनाए हुए ऐतिहासिक किले हैं, और रानी दुर्गावती के बनाए हुए तालाब और उनकी अकबर से हुई जंग की गाथाए यहां के बच्चों के लिए लोक कथाओं का हिस्सा हैं।आजादी के बाद से जबलपुर लोकसभा भी ऐतिहासिक ही रही है। 1957 से 1971 तक यहां से आजादी की लड़ाई के बड़े नेता सेठ गोविन्द दास जीत कर जाते रहे हैं। इसके बाद 1974 के उपचुनाव में यहां से शरद यादव चुने गए जो बाद में जदयू के बड़े नेता बने। 

क्या है जबलपुर सीट का अब तक का इतिहास

जबलपुर में शुरुआत में 1957 से 1971 तक कांग्रेस के सेठ गोविन्द दास जीते लेकिन इसके बाद इस सीट से कांग्रेस का दबदबा लगातार कम होता गया। 1991 आखिरी चुनाव है जब यहां से कांग्रेस जीती थी। 1996 में भाजपा के दिग्गज नेता दादा बाबू राव परांजपे, और 1999 में जयश्री बनर्जी जीतीं। 


स्वतंत्रता सेनानी सेठ गोविन्द दास

2004 से 2019 तक लगातार यहां से भाजपा के राकेश सिंह जीते, उन्होंने आखिरी दो बार पूर्व एडिशनल सॉलिसिटर जनरल रहे विवेक तन्खा को हराया था। राकेश सिंह को वर्तमान लोकसभा में भाजपा का व्हिप भी बनाया गया था। हाल के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने राकेश सिंह को कांग्रेस के तरुण भनोत के विरुद्ध लड़ाया जहां उन्होंने लैंडस्लाइडिंग जीत दर्ज की। राकेश सिंह वर्तमान में मध्यप्रदेश सरकार में लोक निर्माण मंत्री हैं। 

इस बर कौन है आमने सामने 

भाजपा ने इस बार आशीष दुबे को जबलपुर से प्रत्याशी बनाया है। आशीष दुबे भाजपा के ग्रासरूट कार्यकर्त्ता हैं। वे संगठन के महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके हैं। आशीष दुबे भाजपा में 1990 से सक्रिय हैं, वे भाजपा युवा मोर्चा के जिला मंत्री और जिलाध्यक्ष रह चुके हैं। 


वरिष्ठ भाजपा नेताओं के साथ नामांकन दाखिल करते हुए आशीष दुबे

आशीष दुबे जबलपुर भाजपा के अध्यक्ष और प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य भी रह चुके हैं। आशीष दुबे 2021 भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश मंत्री हैं। इस बार आशीष दुबे अपने जीवन का पहला चुनाव लड़ने जा रहे हैं। 

आषीश दुबे के सामने कांग्रेस ने दिनेश यादव को खड़ा किया है। दिनेश यादव ने भी अपना राजनैतिक सफर 1984 से छात्र राजनीती से शुरू किया। वे पहले NSUI जिला महामंत्री बने। 1994 में दिनेश यादव पार्षद चुने गए और नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष भी रह चुके हैं।

दिनेश यादव जबलपुर कांग्रेस के जिला अध्यक्ष और मंडला जिला के प्रभारी भी रह चुके हैं। वर्तमान में दिनेश यादव प्रदेश महामंत्री की बड़ी जिम्मेदारी निर्वहन कर रहे हैं।  

क्या कहती है जबलपुर की डेमोग्राफी 

जबलपुर लोकसभा में पनागर, पाटन, सिहोरा, जबलपुर पूर्व, जबलपुर कैंट, जबलपुर उत्तर, जबलपुर पश्चिम और बरगी को मिलाकर कुल 8 विधानसभाएं है, जिनमे से 7 पर भाजपा काबिज है। 

2019 के आंकड़ों के अनुसार यहां कुल 1787309 वोटर हैं, जिनमे 7.4 फीसदी मुस्लिम और 14.4 फीसदी SC और 15 फीसद ST वोटर्स हैं। जबलपुर के 40.9 फ़ीसदी आबादी ग्रामीण है। यहां SC और ST वोटर्स की महत्वपूर्ण भूमिका है। 

क्या हैं जबलपुर की जनता के मुद्दे      

जबलपुर शहर में लम्बे अर्से से चले आ रहे निर्माण कार्यों से जूझ रहा है। जबलपुर में एलिवेटेड फ्लाईओवर लंबे समय से निर्माणाधीन है। 2020 में इसका निर्माण शुरू हुआ था लेकिन अब तक यह पूरी तरह से बन नहीं पाया है। हाल के विधानसभा चुनाव में आचार संहिता लगने से पहले आनन फानन में इसका उद्घाटन तो कर दिया गया लेकिन इस पर अभी भी काम चल रहा है। इस कारण शहर ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी रहती है और धूल से निवासियों की हालत खराब हो जाती है।


मदनमहल फ्लाईओवर

मदन महल रेलवे स्टेशन को विस्तार करने का काम भी अधर में अटका हुआ है। यहां का महल अंडर ब्रिज बरसात के दिनों में कमर से ऊपर तक पानी से भर जाता है। कई दिनों यहां के निवासियों को 5 मिनट की दूरी तय करने के लिए भी लंबा रास्ता लेना पड़ता है। 

जबलपुर में अतिक्रमण भी एक समस्या है। आए दिन पुलिस का अमला सड़कों के किनारों से ठेला हटाने के लिए बल प्रयोग करता है। कुल मिलाकर जबलपुर शहर में चारों ओर निर्माण कार्य चल रहे हैं, लेकिन यह पूरे नहीं हो पा रहे हैं। 

जबलपुर में आमतौर पर कृषि पर कोई समस्या नहीं होती है। यहां नर्मदा नदी और बरगी डैम है, जिनसे सिंचाई सुलभ हो जाती है। हालांकि पिछले महीने पश्चिमी विक्षोभ से हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से स्थानीय कृषकों को थोड़ा नुकसान जरूर हुआ है। 

अगर स्वच्छता सर्वेक्षण के 2023 के नतीजों को देखें तो जबलपुर की स्थिति में काफी सुधार हुआ है। जबलपुर 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों की श्रेणी में 22 से उछल कर 13वे स्थान पर पहुंच गया है, और एक लाख से अधिक आबादी के शहरों में जबलपुर 82 से 22वें स्थान पर आ गया गया है। 

शहरी विकास मंत्रालय द्वारता जबलपुर को कचरा मुक्त शहर की रेटिंग में थ्री स्टार मिला है। जबलपुर को खुले में शौच मुक्त (Open Defecation Free) का भी दर्जा मिला है, जो की जबलपुर नगर निगम के लिए बड़ी उपलब्धि है। इन सब के बाद भी शहर के गढ़ा, सूपाताल की गलियां अभी मलिन हैं और वहां नालियों की उचित व्यवस्था नहीं है।  

जबलपुर रेलवे ज़ोन का मुख्यालय है, यहां हाईकोर्ट और आयुध निर्माणी फैक्ट्री है। साथ ही यहां ग्वारीघाट और भेड़ाघाट जैसे घाट हैं जो यहां के लोगों के तीर्थ का दर्जा रखते हैं। जबलपुर में विधानसभा चुनाव के दौरान पूर्व सांसद राकेश सिंह ने जनसंपर्क के दौरान कहा था कि जबलपुर के ग्वारीघाट और भेड़ाघाट का विकास सरयू तट की तर्ज पर किया जाएगा।


बरसात के समय जलमग्न ग्वारीघाट

जबलपुर में मतदान पहले चरण में 19 अप्रैल को ही होगा। ये मतदान के बाद ही पता चलेगा की जनता ने किन मुद्दों को मापदंड मानकर वोट डाला है।

Sonam Wangchuck का क्लाईमेट फास्ट, क्यों उनकी मांगों पर देश का ध्यान नहीं?

Loksabha Election 2024: Indore में भाजपा के पुराने खिलाड़ी के सामने कांग्रेस के नए नवेले अक्षय

Loksabha Election 2024: क्या भोपाल में भाजपा का विजय रथ रोक पाएगी कांग्रेस?

Loksabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान, एक क्लिक में देखें पूरा शेड्यूल…

पर्यावरण से जुड़ी खबरों के लिए आप ग्राउंड रिपोर्ट को फेसबुकट्विटरइंस्टाग्रामयूट्यूब और वॉट्सएप पर फॉलो कर सकते हैं। अगर आप हमारा साप्ताहिक न्यूज़लेटर अपने ईमेल पर पाना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें।

पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी जटिल शब्दावली सरल भाषा में समझने के लिए पढ़िए हमारी क्लाईमेट ग्लॉसरी

Author

  • Journalist, focused on environmental reporting, exploring the intersections of wildlife, ecology, and social justice. Passionate about highlighting the environmental impacts on marginalized communities, including women, tribal groups, the economically vulnerable, and LGBTQ+ individuals.

    View all posts

Related

Support Ground Report to keep independent environmental journalism alive in India

We do deep on-ground reports on environmental, and related issues from the margins of India, with a particular focus on Madhya Pradesh, to inspire relevant interventions and solutions. 

We believe climate change should be the basis of current discourse, and our stories attempt to reflect the same.

Connect With Us

Send your feedback at greport2018@gmail.com

Newsletter

Subscribe our weekly free newsletter on Substack to get tailored content directly to your inbox.

When you pay, you ensure that we are able to produce on-ground underreported environmental stories and keep them free-to-read for those who can’t pay. In exchange, you get exclusive benefits.

Your support amplifies voices too often overlooked, thank you for being part of the movement.

LATEST

mORE GROUND REPORTS

Environment stories from the margins