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क्या मुख्यमंत्री मोहन यादव हॉट एयर बैलून हादसे में बाल-बाल बचे? जानिए पूरे मामले की सच्चाई

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हाल ही में मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के गांधी सागर फॉरेस्ट रिट्रीट के दौरान एक घटना सामने आई  है। जिसमे  यह कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव एक हॉट एयर बैलून हादसे में बाल-बाल बचे। कई जगह यह भी कहा गया कि बैलून में आग लग गई और स्थिति बेहद गंभीर हो गई थी। यह घटना सोशल मीडिया में भी वायरल हुई। हालांकि प्रशासन ने इन्हे अफवाहें करार देते हुए स्पष्ट किया है कि स्थिति काबू में है। 

क्या है मामला  

दरसल शनिवार सुबह मंदसौर जिले के गांधी सागर फॉरेस्ट रिट्रीट के समीप हिंगलाज रिसोर्ट में हॉट एयर बैलून में आग लग गयी।  यह गांधी सागर फॉरेस्ट रिट्रीट के चौथे संस्करण के उद्घाटन का कार्यक्रम था। यहां  प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और मंदसौर के सांसद सुधीर गुप्ता भी मौजूद थे। 

शनिवार सुबह का मौसम अनुकूल नहीं था और हवा की गति लगभग 20 किलोमीटर प्रति घंटा थी, जिसके चलते उड़ान नहीं हो सकी। घटना तब हुई जब बैलून में हवा भरी जा रही थी, उसी समय बैलून निचे झुक गया और उसमे आग लग गयी। 

घटना के तुरंत बाद सुरक्षा में तैनात जवानों और मौके पर मौजूद कर्मचारियों ने तत्परता दिखाते हुए आग को तुरंत बुझा दिया।

प्रशासन ने क्या कहा?

मंदसौर की कलेक्टर अदिति गर्ग ने खबरों को पूरी तरह से भ्रामक बताया है। उन्होंने बयान जारी करते हुए बताया कि,

“एयर बैलून में सुरक्षा के संबंध में किसी प्रकार की कोई चूक नहीं हुई है। माननीय मुख्यमंत्री जी केवल एयर बैलून को देखने के लिए गए थे। हॉट एयर बैलून, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, गर्म हवा का गुब्बारा होता है। इसे उड़ान भरने योग्य बनाए रखने के लिए हवा को गर्म किया जाता है, जिससे गुब्बारा ऊपर उठ सके और तैरता रहे। इस पूरी प्रक्रिया में सुरक्षा के सभी मानको का पूरी तरह से पालन किया गया है।”

साथ ही उन्होंने साथ ही नागरिकों से असत्य और भ्रामक खबरों पर ध्यान न देने की अपील की है। हालांकि घटना स्थल जो वीडियो सामने आए हैं उसमें स्पष्ट देखा जा सकता है कि गुब्बारे में आग फैलती जा रही है और मुख्यमंत्री यादव भी वहीं खड़े हुए हैं। 

क्या होता है हॉट एयर बलून 

हॉट एयर बलून एक प्रकार का हवाई परिवहन साधन है, जो गर्म हवा के सिद्धांत पर आधारित होता है। बैलून कपड़े के गुब्बारे का बना होता है, जिसके नीचे एक टोकरी (बास्केट) लगी होती है। इस बास्केट में यात्री और पायलट बैठते है। गुब्बारे के नीचे एक बर्नर होता है, जो गैस की मदद से हवा को गर्म करता है। आमतौर पर इसमें प्रोपेन गैस होती है। जब गुब्बारे के अंदर की हवा बाहर की हवा से हल्की हो जाती है, तो यह ऊपर उठने लगता है। गर्म हवा वाले गुब्बारों में हादसे ज़्यादातर तीन कारणों से होते हैं, पायलट की गलती, खराब मौसम और किसी चीज़ से टकराना, खासकर बिजली की तारों से। इससे गुब्बारा गिर सकता है, आग लग सकती है या ज़ोरदार लैंडिंग हो सकती है। अध्ययनों में पाया गया है कि ज़्यादातर हादसों की वजह पायलट की गलती या उसकी अचानक तबीयत बिगड़ना होता है। वहीं, गुब्बारा किस चीज़ से टकराता है, जैसे बिजली की तारें या ज़मीन। यही तय करता है कि चोट कितनी गंभीर होगी। इसलिए सुरक्षित उड़ान के लिए अनुकूल मौसम अच्छे पायलट और सतर्कता सबसे ज़रूरी हैं।

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