मध्यप्रदेश में सर्दी ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। पिछले 24 घंटों के दौरान पूरे राज्य में मौसम शुष्क बना रहा, लेकिन ठंडी हवाओं के कारण कई जिलों में ठिठुरन बढ़ गई है।
राज्य के सीहोर, शाजापुर, रीवा, शहडोल, जबलपुर और शिवपुरी जिलों में शीतलहर का प्रभाव दर्ज किया गया, जबकि भोपाल, राजगढ़ और इंदौर में तीव्र शीतलहर (Severe Cold Wave) की स्थिति रही।
मौसम विभाग के अनुसार, अधिकतम तापमान में बीते 24 घंटों के दौरान कोई विशेष परिवर्तन नहीं हुआ। इंदौर, उज्जैन, चंबल, रीवा, जबलपुर और शहडोल संभागों के जिलों में अधिकतम तापमान सामान्य से 1.7 से 2.7 डिग्री सेल्सियस तक कम दर्ज किया गया, जबकि अन्य संभागों में तापमान सामान्य रहा है ।
न्यूनतम तापमान में भी कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ, लेकिन प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में तापमान सामान्य से नीचे बना रहा। मौसम विभाग के अनुसार, राज्य में पिछले 24 घंटों में शहडोल जिले के कल्याणपुर में न्यूनतम तापमान 6.7 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया, जो राज्य में सबसे कम रहा है ।
भोपाल और इंदौर संभागों में न्यूनतम तापमान सामान्य से 5.1 से 7.0 डिग्री सेल्सियस तक नीचे देखा गया है। उज्जैन, रीवा, जबलपुर और सागर संभागों में यह 3.1 से 4.4 डिग्री सेल्सियस तक नीचे, जबकि नर्मदापुरम, ग्वालियर, चंबल और शहडोल संभागों में 1.7 से 2.6 डिग्री सेल्सियस तक नीचे रहा है ।
मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले दिनों में ठंड का असर और बढ़ सकता है तथा राज्य के कई हिस्सों में शीतलहर की स्थिति बनी रह सकती है।
मध्य प्रदेश के प्रमुख शहरों का तापमान
13 नवम्बर को प्रदेश में शीत लहर रही है l वहीं अलग अलग जिले में तापमान भी अलग रहा है l
| शहर | Maximum (ज्यादा ) | Minimum (कम ) |
| भोपाल | 28.2 | 8.2 |
| इंदौर | 28.8 | 7.6 |
| ग्वालियर | 29.2 | 11.4 |
| उज्जैन | 29.2 | 10.7 |
| जबलपुर | 27.5 | 9.9 |
प्रभावित क्षेत्रों में अलर्ट व सुझाव, किसानों के लिए विशेष सलाह
मध्यप्रदेश में अगले कुछ दिनों तक शीतलहर और कड़कड़ाती ठंड का दौर जारी रहने की चेतावनी के बीच मौसम विभाग ने किसानों के लिए विशेष एडवाइजरी जारी की है। तापमान में लगातार गिरावट का सबसे अधिक प्रभाव रबी सीजन की फसलों, नर्सरी और पशुधन पर पड़ सकता है। ऐसे में किसानों को अपनी फसलों व पशुओं की सुरक्षा के लिए समय पर उपाय करने की अपील की गई है।
खेतों में करें हल्की सिंचाई
शीतलहर आने से पहले खेत में हल्की सिंचाई करना बेहद जरूरी है। इससे मिट्टी का तापमान स्थिर रहता है और पौधों की जड़ों को ठंड से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है। रात के समय खेत के किनारों पर सूखी पत्तियां या भूसा जलाकर धुआं करने से आसपास का तापमान बढ़ता है और फसलों को ठण्ड से राहत मिलती है।
नाजुक फसलों पर करें ढकाव
ठंड का सबसे अधिक असर आलू, टमाटर, मिर्च, फूलगोभी, सरसों जैसी संवेदनशील फसलों पर होता है। इनके आसपास पुआल, घास या प्लास्टिक शीट से ढकाव करने की सलाह दी गई है। इससे फसलों को कम तापमान और तेज हवाओं से सुरक्षा मिलती है और उपज पर असर नहीं पड़ता है।
नर्सरी को रखें सुरक्षित
सब्जियों और नर्सरी को रात के समय पॉलीथीन शीट या घास से ढककर रखना चाहिए। नर्सरी पर पड़ी ठण्ड से पौधे झुलस सकते हैं और उनकी बढ़वार रुक सकती है, इसलिए इनकी विशेष देखभाल जरूरी है।
पशुधन की सुरक्षा सबसे जरूरी
ठंड का असर पशुओं पर तेजी से पड़ता है, खासकर नवजात बछड़ों और दुग्ध देने वाले पशुओं पर। पशुओं को ठंडी हवा से बचाने के लिए उन्हें बंद या आंशिक बंद गोठ में रखना चाहिए। पीने के लिए गुनगुना पानी देना चाहिए, क्योंकि ठंडा पानी पाचन तंत्र पर बुरा असर डाल सकता है। पशुपालकों को सलाह है कि पशुओं के लिए सूखी बिछावन जैसे पुआल या भूसा बिछाकर रखें और उन्हें ऊर्जा-समृद्ध चारा जैसे गुड़, तेलखली, दाना आदि उपलब्ध कराएं ताकि पशुओं की शारीरिक गर्मी बनी रहे।
किसान अपनी सुरक्षा भी सुनिश्चित करें
मौसम विभाग ने किसानों को सलाह दी है कि अपनी सुरक्षा को नजरअंदाज न करें। खेतों में काम करने के दौरान ऊनी कपड़े, टोपी, दस्ताने और जूते अवश्य पहनें। बहुत अधिक ठंड के समय खेतों में लंबे समय तक काम करने से बचें, ताकि ठंड से होने वाली बीमारियों से बचाव संभव हो सके।
मौसम विभाग की सलाह
तीव्र शीतलहर और शीत लहर से बचने के लिए मौसम विभाग ने सलाह दी है l शीतलहर के कारण हाथ-पैर की उंगलियाँ, कान या नाक की ऊपरी सतह में झुनझुनी, सुन्नपन या सफेद पड़ने जैसे लक्षण आ सकते है, समय रहते सावधानी रखें।
ऐसे समय में सिर, गर्दन, हाथ-पैर को अच्छी तरह ढक कर रखें। टोपी, मफलर, ऊनी स्वेटर व जूते पहनना लाभदायक होगा। अगर सुबह-शाम बाहर जाना है, तो गर्म कपड़े अवश्य पहनें और छोटे बच्चों व बुजुर्गों की देखभाल विशेष रूप से करें।
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