भोपाल में आठ दशकों में नवंबर की सबसे ठंडी रात दर्ज की गई। 16 नवंबर को न्यूनतम तापमान 5.2 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। यह गिरावट महीने के पहले भाग में उत्तर-पश्चिम से लगातार आ रही हवाओं के साथ आने के बाद आई।
राजगढ़ में तापमान 5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जो राज्य में सबसे कम था। पूरे क्षेत्र के मैदानी इलाकों में भी इसी तरह की गिरावट देखी गई। रविवार और सोमवार के बीच भोपाल, इंदौर, सीहोर, शाजापुर और राजगढ़ में रातें सर्द रहीं।
अन्य जिलों में भी शीतलहर का प्रकोप रहा। इनमें जबलपुर, रीवा, छतरपुर, बैतूल, बड़वानी, खंडवा, धार और शहडोल शामिल है। इंदौर, उज्जैन, चंबल और ग्वालियर संभागों में अधिकतम तापमान में 3 से 4 डिग्री की गिरावट आई। भोपाल, इंदौर और उज्जैन संभागों में न्यूनतम तापमान में 5.5 से 8.5 डिग्री की गिरावट आई।
मौसम विभाग विशेषज्ञ दिव्या सुरेंद्रन ने कहा कि उत्तर-पश्चिमी हवायें राज्य में ठंडी ला रही है। बंगाल की खाड़ी और श्रीलंका के आसपास एक कम दबाव का क्षेत्र सक्रिय है। 22 नवंबर के आसपास एक और सिस्टम बन सकता है।
मध्य प्रदेश के प्रमुख शहरों का तापमान
18 नवम्बर के आंकड़ों के अनुसार वहीं अलग अलग जिले में तापमान भी अलग रहा है l
| शहर | Maximum (ज्यादा ) | Minimum (कम ) |
| भोपाल | 25.4 | 8.2 |
| इंदौर | 26.1 | 7.7 |
| ग्वालियर | 27.5 | 10.5 |
| उज्जैन | 28.0 | 11.0 |
| जबलपुर | 25.5 | 9.0 |
सभी ज़िलों में शीत लहर की चेतावनी
मौसम विभाग ने इंदौर, भोपाल और राजगढ़ में कड़ाके की शीत लहर की चेतावनी जारी की है। शाजापुर, देवास, सीहोर, धार, बड़वानी, खरगोन, खंडवा, हरदा, बैतूल, शिवपुरी, निवाड़ी, टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना, सतना, मैहर, कटनी, उमरिया, शहडोल, जबलपुर, दमोह, सागर, विदिशा और रायसेन में भी शीत लहर की चेतावनी जारी है।
अधिकतम तापमान 20 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहा है। नर्मदापुरम में 28.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो राज्य का दिन का सबसे अधिक तापमान था। न्यूनतम तापमान में तेज़ी से गिरावट देखी गईहै।
मध्य प्रदेश भर के स्कूलों में ठंड के कारण समय में बदलाव किया जा रहा है। भोपाल के शिक्षा विभाग ने स्कूलों को निर्देश दिया है कि वे सुबह 8:30 बजे से पहले नर्सरी से आठवीं तक की कक्षाएं न लगायें ।
इंदौर में रविवार रात तापमान 7.2 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। कलेक्टर ने 18 नवंबर से स्कूलों का समय सुबह 9 बजे कर दिया। सागर ने भी इसी तरह के बदलाव के आदेश दिए। शहडोल ने सभी स्कूलों के लिए नया समय सुबह 9 बजे निर्धारित किया। खंडवा ने अपना समय सुबह 8.30 बजे कर दिया है।
भोपाल में नवंबर की अब तक की सबसे ठंडी रात दर्ज की गई। इससे पहले 30 नवंबर, 1941 को 6.1 डिग्री तापमान दर्ज किया गया था। इंदौर में 25 सालों में सबसे ठंडी रात रही। राजगढ़ में न्यूनतम तापमान 5 डिग्री दर्ज किया गया। ग्वालियर में 9.8 डिग्री, उज्जैन में 9.6 डिग्री और जबलपुर में 9.3 डिग्री तापमान दर्ज किया गया है।
कई जिलों ने अलर्ट के बावजूद समय नहीं बदला है। अभिभावकों का कहना है कि सुबह जल्दी स्कूल खुलने से बच्चों की सेहत पर असर पड़ रहा है। भोपाल प्रशासन ने कहा कि वह शिक्षा विभाग के साथ समय की समीक्षा करेगा।
इंदौर के अधिकारियों ने कहा कि अभी तक ठंडे दिन की स्थिति नहीं है। उज्जैन के शिक्षा विभाग ने भी कोई बदलाव नहीं किया है। ग्वालियर ने 1 नवंबर से कक्षाएं सुबह 8 बजे के बाद शुरू करने का फैसला किया है। छिंदवाड़ा में कक्षाएं सुबह 8.30 बजे से शुरू होंगी। देवास और झाबुआ ने भी समय में बदलाव किया है।
प्रभावित क्षेत्रों में अलर्ट व सुझाव
आईएमडी ने विशेष सुझाव दिए हैं कि ठंड की वजह से फ्लू, सर्दी, नाक बहना जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। शारीरिक थकान, कंपकँपी, या त्वचा में सुनापन आना हाइपोथर्मिया (अत्यधिक ठंड के कारण शरीर का तापमान बहुत नीचे जाना) या फ्रोस्टबाइट का संकेत हो सकता हैl ऐसे मामलों में तुरंत चिकित्सकीय सलाह लेना जरूरी है।
मौसम विभाग ने यह भी सुझाव दिया है कि इस अवधि के दौरान बाहरी गतिविधियों को कम करना चाहिए, गर्म कपड़े पहनें, सिर-गर्दन-हाथों-पैरों को अच्छी तरह ढकें, और अगर बारिश वाले क्षेत्रों (जैसे तमिलनाडु-केरल) में है l तो फसल, पशुधन व मछली पालन में विशेष सावधानी बरतें।
कृषि व अन्य असर
ठंड के साथ-साथ, कृषि क्षेत्र में भी असर देखने को मिल सकता है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान व हरियाणा के किसानों को सलाह दी गयी है कि शाम को हल्की-हल्की सिंचाई करें, तरूण पौधों को स्ट्रॉ या पॉलिथीन शीट से ढकें, ताकि मिट्टी का तापमान बनाए रखा जा सके।
आईएमडी ने बताया है कि उत्तर-पश्चिम, मध्य व पूर्व भारत में न्यूनतम तापमान में कोई बड़ा परिवर्तन नहीं होगा। इसलिए ठंड लगातार बनी रहने की संभावना है l नागरिकों, किसानों व अन्य हितधारकों को इस अवधि में आवश्यक तैयारियों के साथ सतर्क रहने की जरूरत है।
भारत में स्वतंत्र पर्यावरण पत्रकारिता को जारी रखने के लिए ग्राउंड रिपोर्ट को आर्थिक सहयोग करें।
यह भी पढ़ें
सोशल मीडिया के शिकार, दिखावे के चलते जान गंवाते स्नेक कैचर
इंदिरा सागर नहर: कुप्रबंधन और लापरवाही के बीच कीमत चुकाते किसान
ग्राउंड रिपोर्ट में हम कवर करते हैं पर्यावरण से जुड़े ऐसे मुद्दों को जो आम तौर पर नज़रअंदाज़ कर दिए जाते हैं।
पर्यावरण से जुड़ी खबरों के लिए ग्राउंड रिपोर्ट को फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर फॉलो करें। अगर आप हमारा साप्ताहिक न्यूज़लेटर अपने ईमेल पर पाना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें। रियल-टाइम अपडेट के लिए हमारी वॉट्सएप कम्युनिटी से जुड़ें; यूट्यूब पर हमारी वीडियो रिपोर्ट देखें।
आपका समर्थन अनदेखी की गई आवाज़ों को बुलंद करता है– इस आंदोलन का हिस्सा बनने के लिए आपका धन्यवाद।






