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घोषणा के साल भर बाद भी 5 रु बोनस के लिए तरसते प्रदेश के दूध उत्पादक

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घोषणा के साल भर बाद भी 5 रु बोनस के लिए तरसते प्रदेश के दूध उत्पादक
घोषणा के साल भर बाद भी 5 रु बोनस के लिए तरसते प्रदेश के दूध उत्पादक

मध्य प्रदेश अपने दुग्ध उत्पादन को दोगुना करना चाहता है। अभी मध्य प्रदेश देश में तीसरा सबसे बड़ा दूध उत्पादक प्रदेश है। राष्ट्रीय दूध उत्पादन में राज्य की वर्तमान हिस्सेदारी 9% है। सरकार मवेशियों की बेहतर नस्ल, विस्तारित डेयरी सहकारी समितियों और इन्फ्रास्ट्रक्चर को और बेहतर करके इसे 20% तक बढ़ाने की योजना बना रही है। 

सरकार ने फरवरी 2024 में राज्य के दूध उत्पादक किसानों को प्रति लीटर पांच रुपए की सहायता राशि (incentive) देने की घोषणा की थी। यह घोषणा प्रदेश के दुग्धउत्पादकों के लिए एक उम्मीद की किरण की तरह देखी गई थी। फरवरी 2024 में राज्य के वित्त विभाग ने भी इस प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी थी। उस समय सरकार की गणना के अनुसार इस योजना की लागत प्रति वर्ष लगभग 200 करोड़ रुपए आंकी गई थी।

वित्त विभाग की मंजूरी के बाद किसानों को लगा था कि उनकी लंबे समय से चली आ रही मांग पूरी होने वाली है। मगर पूरे एक साल बाद भी सरकार ने अब तक कोई स्पष्ट नीति या फार्मूला नहीं बनाया है जिसके आधार पर किसानों को यह बोनस दिया जा सके। किसान लगातार इस सहायता राशि का इंतजार कर रहे हैं लेकिन सरकार की तरफ से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है।

नया समझौता और नई जिम्मेदारियां

14 अप्रैल 2024 को सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया। मध्य प्रदेश राज्य सहकारी डेयरी संघ, संबंधित डेयरी यूनियनों और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के बीच एक एमओयू हुआ। इस दौरान राजधानी में प्रदेश के मुख्य मंत्री के साथ ही केंद्रीय गृह एवं केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह भी उपस्थित थे। इस एमओयू के बाद राज्य की डेयरी संघों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों का कार्यभार राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड द्वारा नामित अधिकारियों को सौंप दिया गया।

कार्यक्रम में बोलते हुए केंद्रीय मंत्री शाह ने कहा,

“मध्य प्रदेश में 5.5 करोड़ लीटर दूध का उत्पादन होता है, लेकिन 1% से भी कम दूध डेयरी सहकारी समितियों से आता है। 3.50 करोड़ लीटर सरप्लस दूध में से केवल 2.5% सहकारी समितियों से आता है। वर्तमान में, मध्य प्रदेश के केवल 17% गांवों में दूध संग्रह की सुविधा है। एमओयू का उद्देश्य शेष 83% गांवों में डेयरी सहकारी समितियों की पहुंच का विस्तार करना है।” 

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समझौते का मुख्य उद्देश्य हर ग्राम पंचायत में संग्रह केंद्र स्थापित करना, डेयरी यूनियनों की प्रोसेसिंग कैपेसिटी और समितियों की संख्या बढ़ाना है। Photograph: (Shishir Agrawal/Ground Report)

इस समझौते का मुख्य उद्देश्य हर ग्राम पंचायत में संग्रह केंद्र स्थापित करना, डेयरी यूनियनों की प्रोसेसिंग कैपेसिटी बढ़ाना और डेयरी समितियों की संख्या का विस्तार करना है। लेकिन इन सब नई योजनाओं के बीच पांच रुपए प्रति लीटर की मूल सहायता राशि का मामला पीछे छूट गया।

सरकार की नई योजना के तहत कई महत्वपूर्ण लक्ष्य निर्धारित किए गए थे। फिलहाल राज्य में 7,000 डेयरी समितियां काम कर रही हैं जिन्हें बढ़ाकर 9,000 करने का लक्ष्य था। हर डेयरी समिति एक से तीन गांवों को कवर करती है, इसलिए 9,000 समितियों से लगभग 18,000 गांव कवर होंगे।

दैनिक दूध संग्रह में भी भारी वृद्धि का लक्ष्य रखा गया था। वर्तमान में प्रतिदिन 10.50 लाख किलोग्राम दूध का संग्रह होता है जिसे बढ़ाकर 20 लाख किलोग्राम करने की योजना है। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के माध्यम से डेयरी उत्पादक संगठनों द्वारा कवर किए जाने वाले गांवों की संख्या 1,390 से बढ़कर 2,590 होनी थी। दूध की खरीद भी 1.3 लाख लीटर से बढ़कर 3.7 लाख लीटर प्रतिदिन बढ़ाने का भी लक्ष्य था।

प्रोसेसिंग कैपेसिटी में वृद्धि और निवेश योजना

डेयरी यूनियनों की प्रोसेसिंग कैपेसिटी बढ़ाने की भी व्यापक योजना है। वर्तमान में डेयरी प्लांटों की क्षमता 18 लाख लीटर प्रतिदिन है जिसे बढ़ाकर 30 लाख लीटर प्रतिदिन करने का लक्ष्य है। इस महत्वाकांक्षी योजना के लिए अगले पांच वर्षों में अनुमानित 1,500 करोड़ रुपए का निवेश किया जाएगा।

सरकार का दावा है कि इन सभी कदमों से डेयरी उत्पादकों की कुल वार्षिक आय दोगुनी हो जाएगी। वर्तमान में यह आय 1,700 करोड़ रुपए है जिसे बढ़ाकर 3,500 करोड़ रुपए तक पहुंचाने का लक्ष्य है।

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विस्तार योजनाओं के बीच सरकार मूल वादे यानी दूध उत्पादक किसानों को प्रति लीटर पांच रुपए की सहायता राशि के बारे में चुप है। Photograph: (Shishir Agrawal/Ground Report)

इन सब विस्तार योजनाओं के बीच सरकार मूल वादे यानी दूध उत्पादक किसानों को प्रति लीटर पांच रुपए की सहायता राशि के बारे में चुप है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार राज्य के पशुपालन और डेयरी मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) लखन पटेल इस घोषणा को लागू करने की कोई निश्चित समय सीमा नहीं बता सके। उन्होंने केवल यह कहा कि सरकार की तरफ से यह सहायता राशि दी जाएगी और इसका फार्मूला तैयार किया जा रहा है।

पशुपालन और डेयरी विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का भी यही कहना है कि फार्मूला तैयार किया जा रहा है और इसे अंतिम रूप देने में कुछ समय लग सकता है। लेकिन एक साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी कोई ठोस प्रगति नहीं दिखाई दे रही है।

उत्तराखंड सरकार ने 2021 में देहरादून में ‘दूध मूल्य प्रोत्साहन योजना‘ शुरू की थी। इस योजना से उत्तराखंड के लगभग 53,000 लोगों को फायदा पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया था। राज्य सरकार ने उत्तराखंड में 500 दूध बिक्री केंद्र खोलने के लिए 444.62 करोड़ रुपए खर्च करने का लक्ष्य रखा था। यह भी एक सीधे बैंक हस्तांतरण की योजना है जिसमें पैसा सीधे लाभार्थियों के खाते में जाता है।

मध्य प्रदेश में भी इसी तरह की डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर की योजना थी लेकिन अभी तक इसे लागू नहीं किया जा सका है। किसान लगातार इंतजार कर रहे हैं लेकिन सरकार की तरफ से अभी भी कोई स्पष्ट समयसीमा नहीं दी गई है।

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  • Shishir identifies himself as a young enthusiast passionate about telling tales of unheard. He covers the rural landscape with a socio-political angle. He loves reading books, watching theater, and having long conversations.

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