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लेखन के माध्यम से वास्तविक भारत की छवि को सामने लाना

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लेखन के माध्यम से वास्तविक भारत की छवि को सामने लाना
लेखन के माध्यम से वास्तविक भारत की छवि को सामने लाना

उन्मुखीकरण कार्यक्रम (ओरिएंटेशन प्रोग्राम) – संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स- 2020

संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स 2020 के विजेताओं की घोषणा करने के तुरंत बाद ‘चरखा – द डेवलपमेंट कम्युनिकेशन नेटवर्क’ – जो एक गैर-लाभकारी संगठन है, ने 23 नवंबर, 2020 को सभी पांच विजेताओं के लिए एक ऑनलाइन उन्मुखीकरण कार्यक्रम का आयोजन किया। सत्र का उद्देश्य विजेताओं को चरखा के संस्थापक संजॉय घोष को समर्पित इस पुरस्कार के मुख्य उद्देश्यों से परिचित कराना था। ओरिएंटेशन की शुरुआत चरखा टीम द्वारा स्वागत नोट और परिचय सत्र के साथ हुई। चरखा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मारियो नोरोन्हा ने चरखा का इतिहास, इसकी कार्यप्रणाली, चरखा संस्थापक के काम और पुरस्कार के उद्देश्यों को साझा किया। 

अगले सत्र में जूरी के सम्मानित सदस्यों ने पुरस्कार विजेताओं को संबोधित किया। जूरी के सदस्य सुदीप ठाकुर (रेजिडेंट एडिटर, अमर उजाला) ने सभी पुरस्कार विजेताओं को उनके प्रस्तावों से संबंधित अपने विचारों से अवगत कराया और व्यक्तिगत रूप से फीडबैक दिया, वहीं जूरी की एक अन्य सदस्या सुश्री निधि जामवाल (उप प्रबंध संपादक, गाँव कनेक्शन) ने अच्छे पत्रकारीय लेखन की बारीकियों को साझा किया। उन्होंने विजेताओं से अपने लेखों में तथ्यों की जाँच के महत्व पर जोर दिया। जबकि जूरी की अध्यक्षा पैमला फिलिपोज़ (सार्वजनिक संपादक, द वायर) ने विषयों के साथ जुड़ते समय शोध और तथ्यों की गहराई और उसकी महत्ता को समझाया। जूरी ने सभी 5 पुरस्कार विजेताओं को पुरस्कार के उद्देश्य के अनुरूप देश के सबसे ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं की कहानियों (चुनौतियों और उपलब्धियों) को सामने लाने के प्रयासों पर ज़ोर दिया।

चरखा के ग्रामीण लेखक और वरिष्ठ पत्रकार दिलीप बिदावत को राजस्थान के अंदरूनी इलाकों में रिपोर्टिंग के तीन दशकों के अपने अनुभव को साझा करने के लिए आमंत्रित किया गया था। एक घंटे के सत्र के दौरान उन्होंने इस बात पर ध्यान केंद्रित किया कि कैसे संजॉय घोष के साथ उनकी यात्रा ने उन्हें मज़दूरों और किसानों के अधिकारों के मुद्दों पर लिखने के लिए प्रेरित किया। चरखा फीचर में उनका नियमित योगदान रहा है और उन्होंने अपने काम के लिए कई पुरस्कार भी प्राप्त किया है। यह एक संवादात्मक सत्र था जहां पुरस्कार विजेताओं ने उनसे ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने की चुनौतियों से संबंधित कई प्रश्न पूछे।

पुरस्कार विजेताओं को प्रेरित करने के लिए राजदीप सरदेसाई – वरिष्ठ पत्रकार, लेखक और चरखा के गवर्निंग बॉडी के सदस्य के साथ एक विशेष सत्र आयोजित किया गया था। उन्होंने विजेताओं से अपने आलेख में ग्रामीण क्षेत्रों में किए जाने वाले आवश्यक कार्यों के महत्व को सुनिश्चित करने के लिए कहा ताकि वंचित समुदायों की आवाज़ों को राष्ट्रीय स्तर पर सुनी जाए। उन्होंने कहा कि यह पुरस्कार ’वास्तविक भारत’ की कहानियों को आम जन मानस तक लाने का एक शानदार अवसर है। कार्यक्रम इस उम्मीद के साथ संपन्न हुआ कि अगले 5 महीने के अंत तक पुरस्कार विजेता ग्रामीण भारत की महिलाओं के समक्ष आने वाली चुनौतियों और उपलब्धियों से जुड़ी कहानियों को सामने लाने में सक्षम होंगे।

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