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Book Review: आनंद नीलकंठन की ‘वानर’

Book Review: आनंद नीलकंठन की 'वानर'
Book Review: आनंद नीलकंठन की 'वानर'

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Book Review (Anand Neelkanthan’s Vanara) | आनंद नीलकंठन एस एस राजमौली की फिल्म श्रंखला बाहुबली के लेखक हैं। इस श्रंखला की पहली पुस्तक ‘द राईज़ ऑफ शिवगामी’ 2017 में प्रकाशित हुई थी, यह लंबे समय तक बेस्टसेलर बनी रही। आनंद नीलकंठन ने ‘असुर-टेल ऑफ द वैंक्विश्ड’ भी लिखी जिसमें रामायण को रावण के दृष्टीकोण के साथ लिखा गया है।

वानर में बाली, सुग्रीव और तारा के त्रिकोणीय प्रेम का संसार रचा गया है। रामायण के इस हिस्से को अभी तक बेहद ही सतही स्तर तक हमने जाना था, लेकिन आनंद नीलकंठन (Anand Neelkanthan’s Vanara) ने ‘वानर’ में बाली और सुग्रीव के जन्म से लेकर उनके जीवन के हर एक हिस्से को बेहद ही शानदार तरीके से कागज़ों पर उतारा है।

यह किताब सिर्फ एक प्रेम कथा न रहकर हिंदू मायथोलॉजी के उन पात्रों को दुनिया के सामने लाती है जिन्होंने राम की लंका विजय में अहम भूमिका निभाई लेकिन एक महाकाव्य के कुछ पन्नों तक ही सिमट कर रह गए। यह वानर प्रजाति जो वनों में रहती थी और जिन्हें वन नर कहा गया, उनके साथ हुए अत्याचार और भेदभाव की कहानी है, यह असुर और देवों के बीच फंसे वानरों की कहानी है।

आनंद नीलकंठन के लेखन की खास बात यह है कि वो मायथोलॉजी के कैरेक्टर्स को बेहद ही सादे अँदाज़ में पेश करते हैं, वो उसमें से चमत्कार और अंधविश्वास को खत्म कर एक विश्वास किये जा सकने वाले रंग में रंग देते हैं। जब वो अहिल्या की बात करते हैं तो उसे ‘श्राप से शिला बन जाना’ न लिख कर ‘शिला से जंजीर में जकड़ा हुआ’ लिखते हैं। वो यह बताते हैं कि किस तरह भाटों ( जिन्हें हम साहित्यकार या कम्यूनिकेटर भी कह सकते हैं) ने इन साधारण किरदारों को अपने अतिश्योक्ति से महिमामंडित कर चमत्कारी बना दिया।

जब आप वानर पढ़ते हैं तो लेखक आपको बीच-बीच में यह बात याद दिलाते हैं कि जिन किरदारों को हम चमत्कारी और शक्तियों से लैस समझते हैं वो और कुछ नहीं हमारी तरह साधारण इंसान ही थे, उन्हें केवल कलम की जादूगरी ने इंसान से भगवान बना दिया है।

अब बात करते हैं वानर की कहानी के बारे में-

वानर (Anand Neelkanthan’s Vanara) की शुरुवात होती है, सुग्रीव और बाली के जन्म से, जिसकी कहानी भी काफी रोचक है और अविश्वस्नीय है। दोनों अनाथ बालकों के साथ अन्य जाति के लोग भेदभाव करते हैं और बाली इस भेदभाव को खत्म कर देना चाहता है। बाली अपने छोटे भाई सुग्रीव से बेहद प्रेम करता है क्योंकि उसके सिवाए उसका इस दुनिया में दूसरा कोई नहीं होता। बाली अपने लोगों को इस अत्याचार से मुक्ति दिलाने के लिए एक ऐसे नगर का निर्माण करना चाहता है, जहां सभी वानर सम्मान के साथ बाकि जातियों की तरह ही अपना जीवन बिता सकें। इस दौरान उनकी ज़िंदगी में तारा की एंट्री होती है जिसपर दोनों ही भाई का दिल आ जाता है।

आनंद नीलकंठन (Anand Neelkanthan’s Vanara) तारा के किरदार को बेहद ही मज़बूत बनाते हैं, इस कहानी में तारा केवल सुग्रीव और बाली की प्रेमिका बनकर नहीं रह जाती बल्कि वो इस कहानी की नायिका बन जाती है।

वानरों के लिए नगर के निर्माण उसके शासन और वर्षों से दासता में लिप्त एक प्रजाति को स्वाधीनता का रास्ता दिखाने का काम बाली करता है, तारा इस सपने में बाली का साथ देती है, एक वैद्य की साधारण बेटी किश्किंधा की रानी बन जाती है। तारा का संघर्ष भारत की हर महिला का संघर्ष प्रतीत होता है, वानरों का जीवन दलितों और आदिवासियों की तरह दिखता है जो आज भी उन्ही अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। वानर रामायण युग की कथा न रहकर आज की कथा बन जाती है।

अगर आप हमारे देश के जातीय विभाजन के उदय को समझना चाहते हैं तो वानर से अच्छी किताब आपको नहीं मिलेगी। इसे पढ़िए और हमें बताईये की आपको यह (Anand Neelkanthan’s Vanara) किताब क्यों अच्छी लगी। आप अपने कमेंट्स हमें हमारी ईमेल आईडी पर भेज सकते हैं। वानर की कहानी काफी हद तक जानी पहचानी है क्योंकि हमने रामायण में बाली और सुग्रीव की कहानी पढ़ी है, लेकिन वानर आपको उस हिस्से के विस्तृत संसार की सैर करवाती है।

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  • Climate journalist and visual storyteller based in Sehore, Madhya Pradesh, India. He reports on critical environmental issues, including renewable energy, just transition, agriculture and biodiversity with a rural perspective.

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