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चंदनपुरा: बाघों से बचने के चक्कर में दुर्घटनाग्रस्त हुई स्कार्पियो

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चंदनपुरा: बाघों से बचने के चक्कर में दुर्घटनाग्रस्त हुई स्कार्पियो
चंदनपुरा: बाघों से बचने के चक्कर में दुर्घटनाग्रस्त हुई स्कार्पियो

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल का चंदनपुरा क्षेत्र एक बाघ विचरण क्षेत्र है। यहां बाघों का मूवमेंट एक आम घटना है। बताया जा रहा है कि इस क्षेत्र में लगभग 22 बाघों की हलचल रहती है। लेकिन ऐसे संवेदन शील क्षेत्र में लाइट इत्यादि का लगाया जाना और भारी वाहनों का गुजरना शेर की स्थिति को बाधित भी कर सकता है, साथ ही उनकी जान पर खतरा भी उत्पन्न कर सकता है। 

आज ऐसा ही एक वाकया चंदनपुरा क्षेत्र में देखने को मिला जहां पर मॉर्निंग वॉक करने आए लोगों ने देखा 2 बाघों के सामने आने से एक स्कार्पियो गाडी अनियंत्रित हो गई और दुर्घटना का शिकार हुई। बाद में वह बाघ लौटा और उसने एक बछिया का शिकार भी किया। 

इस पूरे मामले के प्रत्यक्षदर्शी रहे राजेश जैन भी मॉर्निंग वॉक करने आए थे। राजेश बताते हैं कि,
 
सुबह के 6:30 बजे की बात है जब दो बाघ ने सड़क पार की। इनमें से एक बच्चा  था और एक बड़ा बाघ था। ठीक इसी वक्त सामने से एक काली स्कार्पियो गाड़ी आई। स्कार्पियो चालक बाघ को देख कर घबराया और अनियंत्रित होकर दुर्घटना का शिकार हो गया। 

चंदनपुरा बाघ विचरण क्षेत्र के विषय पर एनजीटी में याचिका लगाने वाले पर्यावरण कार्यकर्ता राशिद नूर खान ने भी प्रशाशन के समक्ष कई प्रश्न खड़े किये हैं। राशिद नूर कहते हैं,

इस घटना के बाद मैंने तुरंत DFO और वन विभाग को फोन कर सूचना देने का प्रयास किया गया, लेकिन उनका फोन रिसीव नहीं हुआ। इसी दौरान चंदनपुरा सड़क से सटे राजधानी परियोजना क्षेत्र में बाघ ने एक गाय का शिकार भी किया। मौके पर जाकर मेरा द्वारा घटना की तस्वीरें खींची गईं और पंजों के निशान भी दर्ज किए गए।

Cow attacked by Tiger in Bhopal
Cow attacked by Tiger in Bhopal

 

बाघ भ्रमण क्षेत्र में मानव गतिविधियां को बढ़ना बाघ के जीवन के लिए खतरा पैदा कर सकता है साथ ही मानव-वन्यजीव संघर्ष को भी बढ़ा सकता है। राशिद नूर कहते हैं कि, यह क्षेत्र चंदनपुरा बाघ भ्रमण क्षेत्र के अंतर्गत आता है, जहां 22 से अधिक बाघों का नियमित मूवमेंट होता है। इसके बावजूद, नगर निगम द्वारा इस क्षेत्र में लाइटें लगाई गई हैं और प्रतिदिन 400 से अधिक डंपर यहां से गुजरते हैं। उन्होंने आगे कहा,

मेरा द्वारा कई बार शिकायत दर्ज कराने के बावजूद यहां गैर-वन गतिविधियों पर रोक नहीं लगाई जा रही है। ऐसे में यहां बाघ-मानव टकराव की संभावना बढ़ रही है, जिससे किसी बड़ी घटना के होने का खतरा मंडरा रहा है। वन विभाग और संबंधित प्रशासन से अनुरोध है कि इस विषय पर तुरंत ध्यान दें और आवश्यक कदम उठाएं।

गौरतलब है की चंदनपुरा वन क्षेत्र हाल ही में प्रोजेक्ट टाइगर में शामिल हुए रातापानी अभ्यारण्य से सिर्फ 10 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है। यह क्षेत्र बाघों के लिए एक कॉरिडोर को काम करता है। यहां से कई बार बाघों की मूवमेंट सोशल मीडिया में वायरल हुई है, साथ ही इस क्षेत्र में बाघों ब्रीडिंग भी करते हैं।

ऐसी स्थिति में इस तरह की घटनाएं की जाहिर तौर बाघ और मानव जीवन दोनों के लिए चिंता का विषय है। ऐसे में जरूरत हैं बाघ विचरण क्षेत्र में कम से कम मानवीय दखल की, ताकि बाघ अपने क्षेत्र में निर्बाध घूम सके, और मानव भी उनके टकराव से दूर रह सके। 

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  • Journalist, focused on environmental reporting, exploring the intersections of wildlife, ecology, and social justice. Passionate about highlighting the environmental impacts on marginalized communities, including women, tribal groups, the economically vulnerable, and LGBTQ+ individuals.

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