यह पॉडकास्ट एपिसोड “ग्राउंड रिपोर्ट का डेली मॉर्निंग पडकास्ट” है, जिसे शिशिर द्वारा प्रस्तुत किया गया है, और यह शनिवार, 1 नवंबर के पर्यावरण और संबंधित सामाजिक-आर्थिक मुद्दों पर केंद्रित है।
हेडलाइन्स
1. दिल्ली का वायु प्रदूषण और विवादास्पद गिरावट:
अक्टूबर AQI: इस साल अक्टूबर में दिल्ली की हवा बीते पाँच सालों में दूसरी सबसे प्रदूषित हवा थी, जिसका औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 223 था।
फार्म फायर की कमी: यह ध्यान देने योग्य है कि इस अक्टूबर में फार्म फायर्स (खेतों में आग लगने) की घटनाएँ बीते पाँच सालों में सबसे कम रहीं, जबकि इन्हें आमतौर पर दिल्ली के प्रदूषण का प्रमुख कारण माना जाता है।
AQI में नाटकीय गिरावट: दिल्ली का AQI केवल 24 घंटों में 373 (गुरुवार का आंकड़ा, जो अक्टूबर में बीते पाँच सालों का सबसे खराब AQI था) से घटकर शुक्रवार को 218 पर पहुँच गया।
सरकारी दावा और विशेषज्ञ संदेह: इस 155 अंकों की गिरावट को दिल्ली सरकार ने अपने प्रयासों का नतीजा बताया है, लेकिन विशेषज्ञ इसे शक की निगाह से देख रहे हैं।
वायरल वीडियो: यह संदेह इसलिए भी है क्योंकि हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें दिल्ली नगर निगम की गाड़ियाँ AQI मॉनिटरिंग स्टेशनों के पास लगातार पानी का छिड़काव करती नजर आ रही थीं।
2. मौसम का पूर्वानुमान और चक्रवात से नुकसान:
नवंबर में वर्षा: आईएमडी (IMD) के अनुसार, इस नवंबर देश के ज्यादातर हिस्सों में सामान्य से अधिक वर्षा (अबव नॉर्मल रेनफॉल) रहने की संभावना है।
तापमान पर असर: क्लाउडिंग और ओवरकास्ट के कारण रात का तापमान सामान्य से अधिक रहेगा।
चक्रवात से नुकसान: आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा जारी हालिया आँकड़ों के अनुसार, मोनथा चक्रवात के कारण प्रदेश सरकार को ₹524 करोड़ का नुकसान हुआ है।
3. स्वास्थ्य और प्रदूषण के आंकड़े:
इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मैट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (IHME) के अनुसार, दिल्ली में होने वाली 15% मौतों का कारण वायु प्रदूषण से संबंधित है।
4. वाराणसी में डिमोलिशन और स्थानीय विरोध:
काशी विश्वनाथ मंदिर तक सड़क चौड़ी करने के लिए ऐतिहासिक दाल मंडी में दुकानों को गिराना शुरू कर दिया गया है।
स्थानीय लोग लगातार विरोध कर रहे हैं, क्योंकि उनकी पीढ़ियाँ सालों से वहाँ दुकानदारी कर रही हैं, और डिमोलिशन से उनकी आजीविका पर सीधा असर पड़ेगा।
5. कर्नाटक में टमाटर किसानों का विरोध:
कर्नाटक के चिकमगलूर में टमाटर के दाम अचानक गिर जाने के कारण किसानों ने विरोध में अपनी ट्रॉलियों से टमाटर गिरा दिए।
पिछले लगभग 1 महीने से दक्षिण भारत के अलग-अलग राज्यों से टमाटर के भाव रिकॉर्ड स्तर पर गिरने की खबरें आ रही हैं।
6. मध्य प्रदेश स्थापना दिवस और विकास आंकड़े:
मध्य प्रदेश ने अपना 69वां स्थापना दिवस मनाया।
बच्चों की नजर: दैनिक भास्कर और एएसजीआई हॉस्पिटल के एक सर्वे के अनुसार, मध्य प्रदेश के 8% बच्चों की नजर कमजोर है। 1372 बच्चों पर किए गए सर्वे में 6.7% बच्चे मायोपिया (दूर की नजर कमजोर) से जूझ रहे हैं।
वैकल्पिक ऊर्जा: प्रदेश में बीते 10 सालों में वैकल्पिक ऊर्जा उत्पादन क्षमता चार गुना तक बढ़ी है; 2015 में 2,061 मेगावाट क्षमता थी, जो 2025 तक बढ़कर 9,147 मेगावाट हो जाएगी।
7. भोपाल बायपास पर पेड़ कटाई विवाद:
भोपाल में अयोध्या बाईपास के चौड़ीकरण के लिए 9,000 पेड़ काटे जाने थे।
NHAI ने इस परियोजना के समर्थन में ट्रैफिक में सुधार का हवाला दिया था और क्षतिपूर्ति के लिए 10 गुना पेड़ लगाने का प्रस्ताव दिया था।
हालांकि, हाल ही में हुई एक बैठक में यह तय किया गया कि पहले वन विभाग और ईपीसीओ (EPCO) द्वारा एनवायरमेंटल इंपैक्ट असेसमेंट (EIA) किया जाएगा। रिपोर्ट तैयार होने के बाद ही परियोजना को मंजूरी देने और काटे जाने वाले पेड़ों की संख्या तय की जाएगी।
चर्चा
पॉडकास्ट में दो मुख्य विषयों पर विस्तृत चर्चा की गई, दोनों ही ग्रामीण स्वास्थ्य और सामाजिक कुप्रथाओं से संबंधित हैं, खासकर मध्य प्रदेश पर ध्यान केंद्रित करते हुए:

1. हीट वेव, क्रोनिक किडनी डिजीज और ग्रामीण स्वास्थ्य ढांचे की विफलता: एक अध्ययन के अनुसार, तमिलनाडु में हर 19 में से एक फार्म वर्कर क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) से जूझ रहा है (5.31%)। रिसर्च में हीट वेव और अत्यधिक तापमान को इस बीमारी का एक बड़ा संभावित कारण माना गया है, जो खेतों में काम करने वाले (फार्म वर्कर्स) लोगों की भेद्यता को दर्शाता है।
इस संदर्भ में, मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य संकट पर भी बात की गई:
मध्य प्रदेश में पहले मेलिडोसिस (तपेदिक जैसी खतरनाक बीमारी) के मामले भी सामने आ चुके हैं, जिसके कारण ग्रामीण क्षेत्रों में मजबूत स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे की आवश्यकता पर जोर दिया गया।
सीहोर जिले के चरनाल गाँव में स्वास्थ्य विभाग द्वारा झोलाछाप डॉक्टरों (quack doctors) पर कार्रवाई करने पर ग्रामीणों ने जोरदार विरोध किया।
ग्रामीणों के विरोध का कारण यह था कि स्थानीय सरकारी स्वास्थ्य केंद्र बंद रहता है, और उन्हें कोई सुविधा (दवाएँ या डॉक्टर) नहीं मिलती, इसलिए वे पूरी तरह से इन झोलाछाप डॉक्टरों पर निर्भर हैं, क्योंकि शहर में इलाज कराना महंगा पड़ता है।
चर्चा में यह निष्कर्ष निकाला गया कि झोलाछाप डॉक्टरों का अस्तित्व ही इस बात का प्रमाण है कि स्वास्थ्य विभाग का सिस्टम बुरी तरह फेल हो चुका है, और ग्रामीण क्षेत्रों में डिग्री प्राप्त डॉक्टरों का होना अत्यंत आवश्यक है। यह विफलता मध्य प्रदेश में फर्जी नर्सिंग कॉलेज, व्यापम घोटाले और मेडिकल परीक्षाओं में होने वाले फर्जीवाड़े जैसे व्यापक घोटालों से जुड़ी हुई है।
2. राजगढ़ में बाल विवाह और कुपोषण से बच्चों की मौत: दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के हवाले से चर्चा की गई कि राजगढ़ (मध्य प्रदेश) में 6 महीने में 75 नाबालिग दुल्हनें माँ बनीं, और 52 नाबालिग दुल्हनों ने 53 कुपोषित बच्चों को जन्म दिया, जिनमें से 10 बच्चों की 30 दिन के अंदर ही मौत हो गई।

कुप्रथा और जनप्रतिनिधियों की भूमिका: यह मामला राजगढ़ में प्रचलित बाल विवाह और बाल सगाई की कुप्रथा की ओर इशारा करता है।
यह पता चला कि सत्ताधारी पार्टी (भाजपा) के जिला अध्यक्ष और महिला मोर्चा की सदस्य जैसे जनप्रतिनिधि स्वयं ऐसे आयोजनों में शामिल होते हैं, जिससे प्रशासनिक दावों की विफलता उजागर होती है।
एक भाजपा विधायक (हजारी लाल दांगी) ने खुले तौर पर स्वीकार किया कि क्षेत्र के जनप्रतिनिधि ही बाल विवाह को सबसे ज्यादा बढ़ावा देते हैं, क्योंकि जब प्रशासनिक अधिकारी कार्रवाई करने पहुँचते हैं, तो जनप्रतिनिधि फोन करके उनकी कार्रवाई में बाधा डालते हैं।
यह पॉडकास्ट स्वास्थ्य, पर्यावरण, और स्थानीय प्रशासन की विफलता जैसे गंभीर मसलों को सामने लाता है, यह दर्शाते हुए कि कैसे क्लाइमेट चेंज और प्रशासनिक लापरवाही ग्रामीण भारत के सबसे कमजोर वर्गों को सीधे प्रभावित कर रही है। यह स्थिति एक ऐसी टूटी हुई कड़ी की तरह है, जहां सरकारी सिस्टम ही बीच से गायब हो जाता है, जिससे आम जनता को मजबूरी में अप्रमाणित या गैर-कानूनी सहारा लेना पड़ता है, चाहे वह झोलाछाप डॉक्टर हो या बाल विवाह जैसी सामाजिक कुप्रथा।
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