यह ‘ग्राउंड रिपोर्ट’ के डेली मॉर्निंग पॉडकास्ट का 89वां एपिसोड है। शुक्रवार, 12 दिसंबर को देश भर की पर्यावरणीय ख़बरों के साथ पॉडकास्ट में जानिए भोपाल में प्रदूषण को लेकर एनजीटी में दायर याचिका और इन्दौर के रोको टोको अभियान के बारे में।
मुख्य सुर्खियां
केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने वाराणसी के नमो घाट पर भारत के पहले स्वदेशी हाइड्रोजन फ्यूल-सेल पैसेंजर जहाज के कमर्शियल ऑपरेशन को हरी झंडी दिखाई। यह लो टेम्परेचर प्रोटॉन एक्सचेंज मेम्ब्रेन (LT-PEM) फ्यूल सेल सिस्टम पर चलता है जो स्टोर किए गए हाइड्रोजन को बिजली में बदलता है, और बायप्रोडक्ट के तौर पर सिर्फ पानी छोड़ता है।
देश में 3 थर्मल पॉवर प्लांट वाटर स्ट्रेस्ड डिस्ट्रिक्ट्स में बन रहे हैं। इनमें से 2 जिले का भूजल ओवर एक्सप्लॉइटेड कैटेगरी में है मगर इन पॉवर प्लांट को पानी की कोई कमी नहीं हुई।
पिछले पांच सालों में भारत में हर साल लगभग 39 से 41 लाख टन प्लास्टिक का कचरा उत्पन्न हुआ है।
2019 से 2023 तक चले एक सर्वेक्षण से पता चला कि देश में लगभग 718 हिम तेंदुए पाए गए हैं।
दिल्ली में 247 मोहल्ला क्लीनिक बंद करने के बाद दिल्ली सरकार अब उन पोर्ट केबिंस को नाईट शेल्टर में बदलने पर विचार कर रही है।
NGT ने कटक के DM को बार-बार निर्देश देने के बावजूद जवाब दाखिल नहीं करने के लिए फटकार लगाई है। कलेक्टर ने बिरुपा नदी के पास गैर-कानूनी रेत माइनिंग से जुड़े एक मामले में जवाब दाखिल नहीं किया।
चर्चा
भोपाल की हवा खतरनाक स्तर पर, एक्यूआई डेटा में हेरफेर के आरोप
भोपाल में हवा की गुणवत्ता इस सीजन में गंभीर स्तर पर पहुँच गई है, जहाँ एक्यूआई 300 से 336 के बीच दर्ज हो रहा है। इसी बीच आरोप सामने आए हैं कि प्रशासनिक भवनों के आसपास बार-बार पानी छिड़काव कर प्रदूषण के आँकड़ों को कृत्रिम रूप से नीचे दिखाने की कोशिश की जा रही है। एक पिटीशन में कहा गया है कि कलेक्टर कार्यालय, टीटी नगर और एनवायरमेंट कॉम्प्लेक्स के पास रोज़ 10–15 बार पानी छिड़का जाता है, जबकि वास्तविक हवा उसी स्तर पर प्रदूषित रहती है।
शहर में प्रदूषण बढ़ने के कारण साफ़ हैं खेतों में पराली जलाना, सड़कों और मेट्रो प्रोजेक्ट की धूल, निर्माण गतिविधियों से उड़ता कणीय पदार्थ, बढ़ता वाहन धुआँ और होटलों-रेस्तराँ में तंदूरों में कोयले का लगातार उपयोग। स्वास्थ्य विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि इस स्तर का प्रदूषण हार्ट अटैक, स्ट्रोक और सांस संबंधी बीमारियों में तेज़ बढ़ोतरी कर रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार भारी प्रदूषण वाले इलाकों से 336 परिवार घर छोड़कर जा चुके हैं।
पिटीशन में आरोप लगाया गया है कि एक्यूआई के साथ छेड़छाड़ करना लोगों के “साफ हवा के अधिकार” (आर्टिकल 21) का उल्लंघन है, और ‘एयर एक्ट 1981’ तथा ‘एनवायरमेंट प्रोटेक्शन एक्ट 1986’ की अनदेखी भी है। शहर इस वक्त राज्य की दूसरी सबसे प्रदूषित सिटी बताई जा रही है। साथ ही बैंड-बाजा पटाखों, अनकंट्रोल्ड मेट्रो डस्ट और बिना PUC वाले वाहनों की बड़ी संख्या (35–40%) को भी प्रदूषण के प्रमुख कारक बताया गया है। मांग यह है कि एआईक्यू डेटा मैनिपुलेशन रोका जाए, प्रदूषण नियंत्रण के लिए सख्त मैकेनिज्म बनाया जाए और गैर-कानूनी पटाखों व धुएँ के स्रोतों पर तुरंत कार्रवाई हो।
उधर संसद में सरकार ने साफ कहा है कि वैश्विक एयर-क्वालिटी रैंकिंग “कोई आधिकारिक मानक” नहीं है और WHO के मानक केवल सलाहात्मक हैं। सरकार का तर्क है कि हर देश को अपनी परिस्थितियों के आधार पर खुद के मानक तय करने चाहिए। लेकिन सवाल जस का तस है, जब लोग हर सांस के साथ संघर्ष कर रहे हों तो रैंकिंग से ज़्यादा महत्व असल हवा की गुणवत्ता का है, जिसकी जिम्मेदारी अंततः सरकार और नगर प्रशासन पर ही आती है।
इंदौर में MP Transco ने “Roko-Toko” अभियान शुरू किया है ताकि चीनी मांझे की वजह से हाई-वोल्टेज लाइनें बार-बार खराब न हों। पिछले दो साल में 13 बार ऐसा हुआ कि नायलॉन मांझा बिजली की लाइनों में उलझा और शहर की सप्लाई बाधित हुई। इसलिए ट्रांसको टीमें लिंबोड़ी, मुसाखेड़ी, खजराना, महालक्ष्मी नगर, सुखलिया, गौरिनगर, बांगंगा, तेजाजी नगर और नेमावर रोड जैसे जोखिम वाले इलाकों में घर-घर जाकर समझा रही हैं, पोस्टर और घोषणाओं के ज़रिए लोगों को चेतावनी दे रही हैं। चीनी मांझा कॉटन की तरह बिजली को रोकता नहीं बल्कि उसे अपने अंदर से गुज़ार देता है, इसी वजह से यह करंट, आग, लाइन टूटने और पतंग उड़ाने वालों के लिए गंभीर खतरा बनता है।
इसी बीच मध्यप्रदेश हाई कोर्ट (इंदौर बेंच) ने 11 दिसंबर 2025 को एक सुओ-मोटो केस में आदेश दिए कि चीनी मांझा बनाने, बेचने, रखने और इस्तेमाल करने पर लगा राष्ट्रीय प्रतिबंध सख्ती से लागू किया जाए। यह आदेश मकर संक्रांति से पहले इसलिए जारी किए गए क्योंकि त्योहार के वक्त हादसे बढ़ जाते हैं। कोर्ट ने इंदौर पुलिस कमिश्नर, कलेक्टर और आसपास के 12 ज़िलों के अधिकारियों को बाजार की निगरानी, मीडिया से जागरूकता और नियम तोड़ने वालों पर कार्रवाई सुनिश्चित करने को कहा है। अगली सुनवाई 12 जनवरी 2026 को तय है। यह अदालत की चिंता उन बढ़ती दुर्घटनाओं से मेल खाती है जिन्हें ट्रांसको और पुलिस दोनों ने पिछले वर्षों में नोट किया है।
अब तक इंदौर में चीनी मांझे से तेजाजी नगर में 16 साल के गुलशन की नवंबर 2025 में मौत हुई है। ट्रांसको की 13 घटनाएँ सिर्फ लाइन नुकसान और बिजली बाधित होने से जुड़ी थीं, इनमें कोई मौत शामिल नहीं थी, लेकिन करंट और जलने का जोखिम साफ बताया गया था। राष्ट्रीय स्तर पर भी चीनी मांझे से हर साल कई हादसे होते हैं, इसलिए 2017 में NGT ने इस पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया था। मध्यप्रदेश में यह प्रतिबंध कलेक्टर आदेशों और BNSS 2023 की धाराओं के तहत लागू होता है, जहाँ उल्लंघन पर जुर्माना या सज़ा दोनों हो सकते हैं।
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