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गुजरात को मिला टाइगर स्टेट का दर्जा

Production: Himanshu Narware

यह ‘ग्राउंड रिपोर्ट’ के डेली मॉर्निंग पॉडकास्ट का एपिसोड-102 है। शनिवार, 27 दिसंबर को देश भर की पर्यावरणीय ख़बरों के साथ पॉडकास्ट में जानिए गुजरात को मिले टाइगर स्टेट के दर्जे और कश्मीर के फल किसानों की परेशानियों के बारे में।


मुख्य सुर्खियां

33 साल बाद गुजरात को फिर से टाइगर स्टेट का दर्जा मिला है। रत्नमहल अभयारण्य में बाघ की मौजूदगी कैमरा ट्रैप और पंजों के निशान से पक्की हुई।


अब गुजरात को राष्ट्रीय बाघ गणना में शामिल किया जाएगा। सरकार पानी, शिकार, सुरक्षा और आग से बचाव की व्यवस्था मजबूत कर रही है।


जम्मू-कश्मीर के फल किसानों का कहना है कि 2025 सबसे खराब साल रहा। करीब 2,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। हाईवे बंद रहने, खराब मौसम और महंगे भाड़े की वजह से सेब से भरे ट्रक रास्ते में ही फंस गए। फल सड़ रहे हैं, दाम गिर गए हैं और किसानों की आजीविका पर खतरा मंडरा रहा है।


वाराणसी में गंगा पर चलने वाली भारत की पहली हाइड्रोजन से चलने वाली टैक्सी नाव की एक लकड़ी की नाव से टक्कर हो गई। इससे हाइड्रोजन सेंसर को नुकसान पहुंचा और सेवा अस्थायी रूप से रोक दी गई। नाव चलाने वाले पर FIR दर्ज हुई है और जांच चल रही है कि हादसा गलती से हुआ या जानबूझकर।


इंदौर में कांग्रेस ने बिजली कंपनी के दफ्तर के बाहर प्रदर्शन किया। आरोप है कि लोगों को जबर्दस्ती प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगवाने को कहा जा रहा है और बिजली बिल भी ज़्यादा आ रहे हैं। नेताओं का कहना है कि मना करने पर चोरी का केस, कनेक्शन काटने और दोबारा जोड़ने की धमकी दी जा रही है। पार्टी ने मांग की है कि जब तक शिकायतें नहीं सुलझतीं, तब तक कनेक्शन न काटे जाएँ।


दिल्ली की प्रगति मैदान टनल में बार-बार पानी भरने की शिकायत के बाद सरकार 3.7 करोड़ रुपये खर्च कर दोबारा वाटरप्रूफिंग कराएगी। अगर अगले 10 साल में फिर रिसाव हुआ, तो ठेकेदार को पूरा पैसा लौटाना होगा और उसे ब्लैकलिस्ट भी किया जाएगा।


नए साल के आसपास दिल्ली में घनी धुंध को लेकर IMD ने येलो अलर्ट जारी किया है। दृश्यता बहुत कम हो सकती है। हवा की गुणवत्ता पहले ही ‘बहुत खराब’ स्तर पर है। इसी बीच केंद्र सरकार ने कोर्ट में कहा कि एयर प्यूरीफायर पर GST घटाना आसान नहीं, इससे कई और मांगें उठ सकती हैं।


इंडिगो की भारी अव्यवस्था पर DGCA की जांच रिपोर्ट आ गई है। रिपोर्ट कहती है कि एयरलाइन के पास पायलटों की कमी नहीं थी, बल्कि ड्यूटी प्लानिंग और शेड्यूलिंग की गड़बड़ी से संकट पैदा हुआ। छह दिनों में 5,000 से ज़्यादा फ्लाइट्स प्रभावित हुईं। अब थकान नियमों और जिम्मेदारी तय करने पर जांच हो रही है।


विस्तृत चर्चा

गुजरात को मिला टाइगर स्टेट का दर्जा

करीब 33 साल बाद गुजरात में एक बार फिर टाइगर की मौजूदगी दर्ज की गई है और इसे वन्यजीव संरक्षण के लिहाज़ से बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। इसकी वजह यह है कि गुजरात देश का पहला ऐसा राज्य बन जाएगा जहां शेर, बाघ और तेंदुआ—तीनों बड़ी बिल्लियां एक साथ मौजूद होंगी। इससे पहले आखिरी बार 1989 में गुजरात में टाइगर की मौजूदगी के संकेत मिले थे, जब वन अधिकारियों को पगमार्क्स दिखाई दिए थे, लेकिन बाघ को प्रत्यक्ष रूप से देखा नहीं जा सका था। इसके बाद 1992 में गुजरात को आधिकारिक तौर पर टाइगर स्टेट की सूची से बाहर कर दिया गया।

वर्ष 2019 में महीसागर जिले में एक टाइगर स्पॉट हुआ था, जिससे उम्मीद जगी थी कि शायद बाघ फिर से राज्य में बस रहा है, लेकिन यह उम्मीद ज्यादा दिन नहीं टिक पाई। करीब 15 दिन बाद वह टाइगर इलाके से निकल गया और दोबारा दिखाई नहीं दिया।

अब नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी ने रतनमहल वाइल्डलाइफ सेंचुरी में टाइगर की मौजूदगी की पुष्टि की है। फरवरी 2023 में यहां बाघ देखा गया था, जिसके बाद गुजरात को अगली टाइगर सेंसस सूची में शामिल कर लिया गया है और राज्य में टाइगर हैबिटेट सुधारने की प्रक्रिया भी तेज कर दी गई है। देश में टाइगरों की सबसे ज्यादा संख्या मध्य प्रदेश में है, इसके बाद कर्नाटक, उत्तराखंड, महाराष्ट्र और तमिलनाडु का स्थान आता है। फिलहाल देश में कुल 3,682 टाइगर हैं, जो 18 राज्यों में फैले हुए हैं।

2025 में परेशान कश्मीर के किसान

कश्मीर की फ्रूट इंडस्ट्री, खासकर सेब उत्पादन, साल 2025 में गंभीर संकट से गुजर रही है। यह साल अब तक का सबसे नुकसानदेह माना जा रहा है, जिसमें करीब 2,000 करोड़ रुपये का घाटा आंका गया है। अगस्त महीने से हालात बिगड़ने शुरू हुए, जब लगातार तेज बारिश के कारण पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन हुआ और श्रीनगर-जम्मू नेशनल हाईवे लगभग एक महीने तक बंद रहा।

यह वही समय था जब सेब की तुड़ाई और बाजार तक पहुंचाने का सीजन चलता है। हजारों ट्रक सेब लेकर रास्ते में फंसे रह गए और जब फल बाजार तक पहुंचे, तब तक बड़ी मात्रा में खराब हो चुके थे। किसानों को मजबूरी में अपना माल बेहद कम दामों पर बेचना पड़ा। हालांकि वैकल्पिक रास्ते के तौर पर मुगल रोड खोला गया, लेकिन उसकी हालत ऐसी है कि वहां केवल छोटे वाहन ही चल सकते हैं। इससे परिवहन लागत तीन गुना तक बढ़ गई। कई किसानों को छोटे वाहनों से राजौरी तक सेब पहुंचाने पड़े और फिर वहां से बड़े ट्रकों में लोड कर आगे भेजना पड़ा।

सेब की पैकिंग और प्रोसेसिंग पहले ही एक लंबी प्रक्रिया होती है, ऐसे में देरी ने नुकसान और बढ़ा दिया। समस्या सिर्फ सड़कों तक सीमित नहीं है। हर साल नई बीमारियां फसलों को प्रभावित कर रही हैं और जल्दी उत्पादन के दबाव में ज्यादा कीटनाशकों के इस्तेमाल से फलों की गुणवत्ता भी गिर रही है। कोल्ड स्टोरेज यूनिट्स कुछ राहत देती हैं, लेकिन कश्मीर में जहां 200 से 300 यूनिट्स की जरूरत है, वहां संख्या काफी कम है। सबसे बड़ी परेशानी यह है कि अब तक सरकार की ओर से किसी तरह का मुआवजा नहीं दिया गया है।

किसानों ने 2,000 करोड़ के राहत पैकेज, क्रॉप इंश्योरेंस, मुगल रोड को नेशनल हाईवे घोषित करने, किसान क्रेडिट कार्ड के कर्ज माफ करने और नई फ्रूट मंडियों की मांग उठाई है, खासकर साउथ कश्मीर के लिए। इन तमाम मुश्किलों के बावजूद एक दिलचस्प तथ्य यह है कि लोग खेती छोड़कर तेजी से हॉर्टिकल्चर की ओर बढ़ रहे हैं। हजारों एकड़ में नए ऑर्चर्ड लगाए जा रहे हैं और आगे भी बड़े पैमाने पर विस्तार की योजना है। कश्मीर की फ्रूट इंडस्ट्री लाखों लोगों को रोजगार देती है, लेकिन अगर जल्द ठोस कदम नहीं उठाए गए तो यह पूरी व्यवस्था गंभीर रूप से कमजोर पड़ सकती है।

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