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सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कहा- उत्तराखंड में जंगल लुट रहा है और सरकार चुप है? 

यह ‘ग्राउंड रिपोर्ट’ के डेली मॉर्निंग पॉडकास्ट का एपिसोड-98 है। सोमवार, 23 दिसंबर को देश भर की पर्यावरणीय ख़बरों के साथ पॉडकास्ट में जानिए उत्तराखंड के जंगलों पर सुप्रीमकोर्ट की टिप्पणी और कश्मीर के दुर्लभ मारखोर के बारे में।


मुख्य सुर्खियां 

अरावली की नई परिभाषा के खिलाफ जयपुर सहित राजस्थान के कई जिलों में प्रदर्शन हुआ। इस दौरान जोधपुर में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठी चार्ज भी किया।


केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अरावली के केवल 0.19% हिस्से में ही खनन किया जा सकेगा, वो भी डिटेल्ड स्टडी के बाद। उन्होंने कहा कि परिभाषा में हुए बदलाव के बाद केवल 277 वर्ग किमी का हिस्सा ही खनन के लिए एलिजिबल है।  


दिल्ली में मंगलवार सुबह AQI 413 दर्ज यानि ‘खतरनाक’ श्रेणी में दर्ज किया गया। वहीं घने कोहरे के चलते 14 फ्लाइट्स कैंसल कर दी गईं और 500 के करीब लेट हैं। 


दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमिटी ने प्रदूषण फैलाने वाली 411 इंडस्ट्रियल यूनिट्स को बंद करने का आदेश दिया है। 


जम्मु-कश्मीर कैबिनेट ने बाढ़ और लैंडस्लाइड जैसी प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित लोगों के लिए 5 मरला सरकारी ज़मीन देने की पॉलिसी को मंज़ूरी दे दी। हालांकि इसके लिए इस साल अगस्त-सितंबर में हुई घटनाओं से प्रभावित लोग ही एलिजिबल होंगे।  


मध्य प्रदेश में पहली बार प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप से 4 मेडिकल कॉलेज खुलेंगे। इनकी नींव आज केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा रखेंगे।

विस्तृत चर्चा

वन भूमि अतिक्रमण पर सुप्रीम कोर्ट का कड़ा हस्तक्षेप

सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्वतः संज्ञान (Suo Motu Cognizance) ऋषिकेश में सरकारी वन भूमि पर अवैध कब्जे के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर रुख अपनाते हुए स्वतः संज्ञान लिया है। मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले में राज्य सरकार और अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई है।

ऋषिकेश वन भूमि विवाद का विवरण

यह मामला ऋषिकेश के पास स्थित लगभग 286 एकड़ वन भूमि से जुड़ा है, जिसे दशकों पहले सरकारी वन क्षेत्र घोषित किया गया था।

आरोप है कि पशु लोक सेवा समिति नामक एक संस्था को इस जमीन का एक हिस्सा लीज पर दिया गया था। बाद में, समिति ने इस सार्वजनिक संपत्ति को अपने सदस्यों के बीच बांटना शुरू कर दिया, जो कि वन संरक्षण कानून का सीधा उल्लंघन है।

अदालत ने विवादित भूमि पर किसी भी तरह के निर्माण को तत्काल प्रभाव से रोकने का आदेश दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वन भूमि पर कोई भी निजी व्यक्ति या संस्था ‘थर्ड पार्टी राइट्स’ (बिक्री या लीज) नहीं बना सकती।

मामले की गहराई से जांच के लिए मुख्य सचिव और वन संरक्षण के प्रमुख सचिव को एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाने का निर्देश दिया गया है। यह कमेटी कब्जे की प्रक्रिया और जमीन को हुए नुकसान की रिपोर्ट तैयार करेगी।

पब्लिक ट्रस्ट डॉक्ट्रिन (Public Trust Doctrine) यह मामला नीतिगत स्तर पर पब्लिक ट्रस्ट डॉक्ट्रिन को मजबूत करता है। इसका अर्थ है कि सरकार न केवल गलत काम करने के लिए, बल्कि किसी गलत कार्य को होने देने (मूकदर्शक बने रहने) के लिए भी उतनी ही जिम्मेदार है।


हिमालयन मारखोर: गुरेज घाटी में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि

गुरेज घाटी में दुर्लभ जीव की वापसी बांदीपोरा जिले की गुरेज घाटी के चकना नाले में एक अत्यंत दुर्लभ और लुप्तप्राय (endangered) जानवर देखा गया है, जिसे हिमालयन मारखोर या हिमालयन अबेक्स के नाम से जाना जाता है। उत्तरी कश्मीर के इस क्षेत्र में इसका दिखना वन्यजीव प्रेमियों के लिए बहुत ही उत्साहजनक और सुखद समाचार है।

विशेषताएं: मारखोर दुनिया की सबसे बड़ी जंगली बकरी है। इसकी सबसे विशिष्ट पहचान इसके गोल-गोल घूमने वाले (सर्पिल) सींग हैं। यह कठिन चट्टानी और ढलान वाले क्षेत्रों में चढ़ने में सक्षम है।

वैज्ञानिकों के अनुसार, इस क्षेत्र में मारखोर की उपस्थिति यह दर्शाती है कि वहाँ का पारिस्थितिकी तंत्र स्वस्थ और स्थिर है। इसे एक ‘इंडिकेटर स्पीशी’ (indicator species) माना जाता है, जिसका अर्थ है कि इसकी उपस्थिति पर्यावरण की शुद्धता का प्रमाण है।

जनसंख्या और संरक्षण का इतिहास

वैश्विक स्तर पर मारखोर की आबादी लगभग 5,000 से 6,000 है। भारत में इसकी आबादी बहुत कम, केवल 200 से 250 के बीच है, जो मुख्य रूप से जम्मू-कश्मीर के हिरपुरा वन्यजीव अभयारण्य और काजीनाग नेशनल पार्क में पाई जाती है।

रोचक बात यह है कि 1997 में मारखोर को भारत में विलुप्त घोषित कर दिया गया था। हालाँकि, 2000 के दशक के मध्य में वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया (WTI) द्वारा की गई खोजों से पता चला कि यह अभी भी मौजूद है।

मारखोर को निवास स्थान (habitat) के नुकसान और नियंत्रण रेखा (LoC) के पास संवेदनशील क्षेत्रों में रहने के कारण कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। वर्तमान में, वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया और जम्मू-कश्मीर वन्यजीव विभाग स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर इनके संरक्षण पर काम कर रहे हैं।

यह था हमारा डेली मॉर्निंग पॉडकास्ट। ग्राउंड रिपोर्ट में हम पर्यावरण से जुडी हुई महत्वपूर्ण खबरों को ग्राउंड जीरो से लेकर आते हैं। इस पॉडकास्ट, हमारी वेबसाईट और काम को लेकर आप क्या सोचते हैं यह हमें ज़रूर बताइए। आप shishiragrawl007@gmail.com पर मेल करके, या ट्विटर हैंडल @shishiragrawl पर संपर्क करके अपनी प्रतिक्रिया दे सकते हैं।

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We do deep on-ground reports on environmental, and related issues from the margins of India, with a particular focus on Madhya Pradesh, to inspire relevant interventions and solutions. 

We believe climate change should be the basis of current discourse, and our stories attempt to reflect the same.

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