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जानिए कैसे काम करता है वेयरेबल एयर प्योरीफायर? 

यह ‘ग्राउंड रिपोर्ट’ के डेली मॉर्निंग पॉडकास्ट का 67वां एपिसोड है। सोमवार, 17 नवंबर को देश भर की पर्यावरणीय ख़बरों के साथ पॉडकास्ट में बात होगी वेयरेबल एयर प्योरीफायर और असम में अफ्रीकन स्वाइन फीवर पर।

मुख्य सुर्खियां 

फ्लड कंट्रोल प्रोजेक्ट में हुए करोड़ों के घोटाले के खिलाफ फिलिपीन्स में लोगों ने प्रदर्शन किया। यहां हाल ही में यह खुलासा हुआ था कि हज़ारों फ्लड डिफेन्स प्रोजेक्ट या तो सब स्टैण्डर्ड हैं, अधूरे हैं या फिर असल में एग्जिस्ट ही नहीं करते। आपको बता दें कि फिलिपीन्स दुनिया की मोस्ट टाइफून प्रोन कंट्री में से एक है।


अमेरिका के ट्रंप प्रशासन ने 200 फ़ूड प्रोडक्ट्स से टैरिफ हटाने का निर्णय लिया है। यूरोपीय यूनियन और वियतनामी सप्लायर्स पर 15-20% शुल्क लगाया जा रहा है, जबकि चाय, कॉफी, मसाले और काजू के भारतीय एक्सपोर्ट पर ट्रम्प ने टैरिफ को दोगुना कर 50% तक बढ़ा दिया है, जिसमें अगस्त के अंत से रूस से भारत की तेल खरीद पर 25% का दंडात्मक शुल्क भी शामिल है। हालिया फैसले के बाद भारतीय किसानों को फायदा मिलने की उम्मीद है।


दिल्ली में रविवार को पिछले तीन सालों में नवंबर का सबसे ठंडा दिन दर्ज किया गया, जहाँ तापमान 9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो सामान्य औसत से 4.5 डिग्री कम है। 29 नवंबर, 2022 के बाद से यह इस महीने का सबसे ठंडा दिन था, जब दिल्ली में 7.3 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया था। इस बीच, सोमवार सुबह 8 बजे राजधानी का एवरेज AQI 358 यानि ‘बेहद खराब’ श्रेणी में दर्ज किया गया। एक दिन पहले, शाम 4 बजे 24 घंटे का औसत AQI 377 था।


कर्णाटक के किट्टूर रानी चेन्नम्मा जू में बीते 4 दिनों में कम से कम 28 काले हिरणों की मौत हो चुकी है। आशंका जताई जा रही है कि यह मौत किसी संक्रामक बिमारी के चलते हुई है। हालांकि मामले में राज्य सरकार ने स्थानीय प्रशासन से विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है।  


सोनभद्र में एक पत्थर की खदान धंसने से 2 मजदूरों की मौत हो गई वहीं कम से कम 9 लोग मलबे में दब गए।


मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने रविवार को शाजापुर और उज्जैन में कई औद्योगिक परियोजनाओं का उद्घाटन किया। इस दौरान 110 एकड़ भूमि पर जैक्सन इंटीग्रेटेड की 7,104 करोड़ की अत्याधुनिक 6 गीगावॉट एकीकृत सोलर उपकरण निर्माण और जैक्सन इंजीनियरिंग लिमिटेड की 1,046 करोड़ की यूनिट स्थापना का भूमिपूजन भी किया गया।


नगरीय प्रशासन विभाग (यूएडी) के आंकड़ों के अनुसार, शहरी निकायों ने 2025 के दौरान कुल मिलाकर लगभग 36 लाख पौधे लगाए। विभाग ने मध्य प्रदेश के सभी 413 शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) को 2026 में बड़े पैमाने पर होने वाले पौधारोपण अभियान की तैयारी शुरू करने के निर्देश दिए हैं। अधिकारियों को दिसंबर 2025 तक एक व्यापक कार्य योजना को अंतिम रूप देने के निर्देश दिए गए हैं।


शहडोल के ब्यौहारी वन क्षेत्र में करंट की चपेट में आने से एक बाघ की मौत हो गई। शिकारियों ने बाघ के अंगों को एक स्थान पर दफना दिया था। इस मामले में वन विभाग ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है।


रविवार को भोपाल में 6.4 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया। देश के मैदानी इलाकों में सबसे ठन्डे शहरों में भोपाल 4थे जबकि 6 डिग्री के साथ राजगढ़ दूसरे स्थान पर रहा। 

विस्तृत चर्चा 

वेयरेबल एयर प्यूरीफायर (पल्लव जैन के साथ)

दिल्ली में वेयरेबल एयर प्यूरीफायर्स की बिक्री काफी ज्यादा बढ़ी है। यह एक कॉम्पैक्ट और पोर्टेबल डिवाइस है, जिसे लॉकेट की तरह गले में पहना जा सकता है। यह व्यक्ति के ब्रीदिंग ज़ोन (नाक और मुंह) के आसपास की हवा को साफ करता है। यह बैटरी से चलता है और चार्ज्ड आयन्स (charged ions) रिलीज़ करता है। ये आयन्स PM 2.5 पार्टिकुलेट मैटर से जुड़कर उनका द्रव्यमान (mass) बढ़ा देते हैं, जिससे ये प्रदूषण के कण नीचे की ओर सेटल हो जाते हैं, और फेस के आसपास शुद्ध हवा का एक बबल बन जाता है।

प्यूरीफायर की प्रभावकारिता और सीमाएं: आईआईटी कानपुर में नेशनल एरोसोल फैसिलिटी के प्रोफेसर सच्चिदानंद त्रिपाठी ने दिसंबर 2024 में इन प्यूरीफायर्स का इंडोर (बंद वातावरण) में परीक्षण किया था।

इंडोर परिणाम: 35 क्यूबिक फीट चैंबर में 30 मिनट के भीतर 90% तक पार्टिकल्स कम हो गए थे। छोटे 2.3 क्यूबिक फीट एरिया में 5 मिनट में ही PM 2.5 में 80% की कमी हो गई थी।

आउटडोर सीमाएं: प्रोफेसर त्रिपाठी ने बताया कि बाहर के वातावरण में, जहां एरोसोल लोड तेज़ी से बदलता है और हवा की आवाजाही तेज होती है, वहां इस एयर प्यूरीफायर को हवा साफ करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

विकल्प: विशेषज्ञों की सलाह है कि बाहर निकलने पर N95 मास्क एक बेहतर विकल्प है। ये छोटे पोर्टेबल प्यूरीफायर ऑनलाइन 1500 से 3500 रुपये तक की रेंज में उपलब्ध हैं। हालांकि, इस बात पर चिंता व्यक्त की गई कि हर कोई (जैसे गरीब या खेतों में काम करने वाले मजदूर) इतने महंगे उपकरण नहीं खरीद सकता, जिससे सुरक्षित हवा केवल उन्हीं के लिए उपलब्ध हो पाती है जो इसका खर्च उठा सकते हैं।

टू-व्हीलर एग्जॉस्ट पर अध्ययन: दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ केमिस्ट्री एंड टेक प्राग ने मिलकर एक अध्ययन किया, जिसका शीर्षक है ‘रीविजिटिंग ट्रांसपोर्ट पॉलिसी इडलिंग एग्जॉस्ट मेजरमेंट फ्रॉम टू व्हीलर्स’।

अध्ययन के निष्कर्ष: भारतीय नीतियां (जैसे स्क्रैप पॉलिसी या एमिशन चेकिंग) मुख्य रूप से वाहन की उम्र पर केंद्रित हैं। लेकिन यह अध्ययन जोर देता है कि वाहन की उम्र के साथ-साथ उसका माइलेज और कर्व जैसे कारकों पर भी विचार किया जाना चाहिए।

एमिशन कारण: जैसे-जैसे इंजन की उम्र बढ़ती है, उसकी इग्निशन क्षमता और दक्षता कम होती जाती है। कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) और हाइड्रोकार्बन तब बनते हैं जब वाहन में ईंधन का दहन (combustion) ठीक से नहीं हो रहा होता। जैसे-जैसे इंजन की दक्षता घटती है, CO और हाइड्रोकार्बन का उत्सर्जन बढ़ता जाता है। अध्ययन सुझाव देता है कि किसी भी वाहन को प्रमाणन (certification) देने से पहले इन सभी कारकों पर भी विचार किया जाना चाहिए।


असम में अफ्रीकन स्वाइन फीवर (वाहिद भट के साथ) 

असम में अफ्रीकन स्वाइन फीवर (ASF) के कुछ मामले दर्ज किए गए हैं, जिससे चिंताएं बढ़ गई हैं। राज्य सरकार ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। असम सरकार ने लाइव पिग्स (जीवित सूअरों) के अंतर-जिला आवाजाही (inter-district movement) पर रोक लगा दी है। साथ ही, सात जिलों में पिग्स की बिक्री भी पूरी तरह से रोक दी गई है।

एएसएफ क्या है?: एएसएफ एक वायरल बीमारी है जो घरेलू सूअरों (domestic pigs) या जंगली सूअरों (wild boars) को प्रभावित करती है। यह बीमारी सीधे संपर्क या दूषित भोजन और उपकरणों के माध्यम से फैलती है। यह मनुष्यों को संक्रमित नहीं करती है, लेकिन पिग्स के लिए यह बहुत घातक (deadly) होती है। वर्तमान में इसकी कोई वैक्सीन नहीं है, इसलिए रोकथाम केवल सख्त बायोसिक्योरिटी से ही संभव है। इसके लक्षणों में तेज बुखार और उल्टी शामिल हैं।

इतिहास और प्रभाव: एएसएफ पहली बार असम में 2020 में पाया गया था। तब से पिगरी सेक्टर को काफी नुकसान पहुंचा है।

इस साल (2025 में) जनवरी से अब तक 297 विभिन्न घटनाएं/मामले सामने आए हैं।

सिर्फ अक्टूबर में 84 नए मामले रिपोर्ट किए गए।

इस वर्ष कुल 14,500 पिग्स को कुल किया गया, जिसमें से 3,000 से अधिक पिग्स एएसएफ से मर चुके हैं।

पिछले 5 सालों में, लगभग 44,000 पिग्स बीमारी से मर चुके हैं, जिनमें से लगभग 35,000 अफ्रीकन स्वाइन फीवर के कारण थे।

2019 की जनगणना के अनुसार, असम में लगभग 21,000 पिग्स थे और सरकार लगातार पिग फार्मिंग को बढ़ावा दे रही थी। इसलिए एएसएफ का फैलना एक बड़ी चुनौती है, और सरकार इस सेक्टर को ज्यादा नुकसान से बचाने के लिए एहतियाती कदम उठा रही है।

यह था हमारा डेली मॉर्निंग पॉडकास्ट। ग्राउंड रिपोर्ट में हम पर्यावरण से जुडी हुई महत्वपूर्ण खबरों को ग्राउंड जीरो से लेकर आते हैं। इस पॉडकास्ट, हमारी वेबसाईट और काम को लेकर आप क्या सोचते हैं यह हमें ज़रूर बताइए। आप shishiragrawl007@gmail।com पर मेल करके, या ट्विटर हैंडल @shishiragrawl पर संपर्क करके अपनी प्रतिक्रिया दे सकते हैं।

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We do deep on-ground reports on environmental, and related issues from the margins of India, with a particular focus on Madhya Pradesh, to inspire relevant interventions and solutions. 

We believe climate change should be the basis of current discourse, and our stories attempt to reflect the same.

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