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पराली जलाने के मामले में मध्य प्रदेश क्यों बना नंबर वन?

यह ‘ग्राउंड रिपोर्ट’ के डेली मॉर्निंग पॉडकास्ट का 66वां एपिसोड है। शनिवार, 15 नवंबर को देश भर की पर्यावरणीय ख़बरों के साथ पॉडकास्ट में बात होगी मध्य प्रदेश के पराली जालने में नंबर वन बनने और जर्मनी में मिले वाइल्ड पोलियो वायरस पर।


मुख्य सुर्खियां 

COP 30 में बेलेम एक्शन प्लान फोर हेल्थ एंड क्लाइमेट एडाप्टेशन लॉन्च किया गया। इसी दौरान 35 फिलेंथ्रोपिस्ट ने क्लाइमेट चेंज और उससे होने वाले हेल्थ इम्पैक्ट से निपटने के लिए 300 मिलियन US डॉलर देने की घोषणा की है।


गोवा स्टेट एनवायरनमेंट इम्पैक्ट असेसमेंट अथोरिटी ने मेसर्स वर्ल्डवाइड रिसॉर्ट्स एंड एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा बम्बोलिम में स्थापित विवादास्पद कॉमर्शियल प्रोजेक्ट को पर्यावरणीय मंज़ूरी (EC) प्रदान कर दी है। बिना पूर्व पर्यावरणीय मंज़ूरी के निर्माण कार्य शुरू करने के कारण गोवा की अथोरिटीज द्वारा स्टॉप वर्क ऑर्डर जारी कर प्रोजेक्ट को रोक दिया गया था।   


देश में 7 नवंबर तक रबी की बोवाई में पिछले साल की तुलना में 27% वृद्धि देखने को मिली है। यानि गेहूं का रकबा अब तक 129% तक बढ़ा है। हालांकि मूंग और सोयाबीन की फसल एमएसपी से कम में बिकी है।  


दिल्ली की हवा में थोड़ा सा सुधार आया है। शुक्रवार को राजधानी का एवरेज AQI 387 दर्ज किया गया जो एक दिन पहले 404 था।


इसी बीच लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा ने GRAP III के उल्लंघन को लेकर NGT में एक याचिका दायर की थी जिस पर ट्रिब्यूनल ने सेंट्रल पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को मौके पर जाकर जांच करने के लिए कहा है। दरअसल महुआ ने शिकायत की थी कि कस्तूर्बा मार्ग पर एक सरकारी निर्माण कार्य करवाया जा रहा है जो GRAP 3 का उल्लंघन है।  


श्रीनगर के स्थानीय लोगों ने ब्रिएन-निशात कंज़र्वेशन रिज़र्व की ज़बरवान पहाड़ियों में 1,324 कनाल वन भूमि अधिग्रहण की सीआरपीएफ की योजना के खिलाफ एनजीटी में याचिका दायर की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि सीआरपीएफ की चार बटालियनों के लिए एक कैंप बनाने के लिए 50,000 से ज़्यादा पेड़ों को काटने से दाचीगाम राष्ट्रीय उद्यान के कैचमेंट एरिया में ग्रीन बेल्ट को नुकसान होगा। इससे कश्मीरी हंगुल जैसी लुप्तप्राय प्रजातियों के लिए ख़तरा पैदा हो जाएगा।


श्रीनगर के नौगाम पुलिस थाने में जब्त 360 किलो विस्फोटक के एक हिस्से में ब्लास्ट होने से कम से कम सात लोग मारे गए और 27 अन्य घायल हो गए। 


मध्य प्रदेश में आगामी विधानसभा सत्र में फायर सेफ्टी एक्ट का ड्राफ्ट पेश हो सकता है। 2019 में केंद्र सरकार ने एक मॉडल ड्राफ्ट बनाकर सभी राज्यों को भेजा था मगर अब तक मध्य प्रदेश में कोई भी फायर सेफ्टी एक्ट नहीं है।


पांढुर्ना के 2 गांव में बैसिलस एंथ्रेक्स से मवेशियों की मौत होने के बाद 31 लोगों के ब्लड सैंपल लिए गए हैं। यह जांच की जाएगी कि कहीं इन्हें भी वो पशुओं से संक्रमण नहीं हुआ है?    


भोपाल में बीते 14 दिनों में 36 पराली जलाने के मामले सामने आए हैं। यहां पराली जलाने पर जुर्माने और FIR का नियम है मगर कोई भी प्रशसनिक अमला इसके लिए फिल्ड पर नहीं जा रहा है। 

विस्तार से चर्चा

जर्मनी में वाइल्ड पोलियो वायरस का मिलना (वाहिद भट के साथ)

जर्मनी के हैंबर्ग शहर के सीवेज सैंपल्स में वाइल्ड पोलियो वायरस (Wild Polio Virus) का पता चला है। यह यूरोप में 2010 के बाद मिला पहला केस है।

पोलियो की प्रकृति: पोलियो एक संक्रामक बीमारी है जो ज्यादातर 5 साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करती है। इसमें लकवा (पैरालिसिस) या मृत्यु का खतरा रहता है।

चिंता का कारण: जर्मनी में टीकाकरण काफी तेजी से हुआ था, इसलिए नया मामला सामने आना चिंताजनक है। हालांकि, अब तक किसी इंसान में पोलियो का कोई मामला सामने नहीं आया है।

वैश्विक परिदृश्य: वाइल्ड पोलियो अब खत्म होने की कगार पर है। वर्तमान में यह सिर्फ अफगानिस्तान और पाकिस्तान के कुछ इलाकों में पाया जाता है। 2022 में हुए वाइल्ड पोलियो के आउटब्रेक्स भी पाकिस्तान से लिंक किए गए थे।

डब्ल्यूएचओ (WHO) की भूमिका: डब्ल्यूएचओ ने इस पर बयान जारी किया है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, जर्मनी में यह डिटेक्शन एक महत्वपूर्ण संकेत है, क्योंकि वायरस यात्रा करके किसी भी क्षेत्र तक पहुंच सकता है। यह एक रिमाइंडर भी है कि पोलियो अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है।

जर्मनी में यह वायरस पाया जाना दिखाता है कि सर्विलांस (वेस्ट वाटर टेस्टिंग) सही से चल रही है, लेकिन यह इस बात की भी याद दिलाता है कि पोलियो से लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है और बच्चों में टीकाकरण के प्रोसेस को तेजी से करने की आवश्यकता है।


मध्य प्रदेश में पराली जलाने की बढ़ती घटनाएं

मध्य प्रदेश में पराली (स्टबल) जलाने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। यह लगातार दूसरा साल है जब मध्य प्रदेश पराली जलाने के मामलों में पंजाब से भी आगे निकल गया है और देश में सबसे ऊपर है।

आंकड़े और प्रभाव: 13 नवंबर तक राज्य में 5146 पाम फायर इंसिडेंट्स रिकॉर्ड किए गए हैं। सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में नर्मदापुरम (928 मामले), शिवनी और अशोकनगर शामिल हैं। भोपाल में भी पिछले 14 दिनों में 36 पराली जलाने के मामले सामने आए हैं।

सरकारी प्रयास: मध्य प्रदेश सरकार ने यह निर्णय लिया है कि पराली जलाने वाले किसानों को किसान सम्मान निधि नहीं मिलेगी और उनकी फसल एमएसपी पर नहीं खरीदी जाएगी। कई किसानों पर जुर्माना लगाया गया है और एफआईआर भी दर्ज हुई हैं। हालांकि, भोपाल में प्रशासनिक अमला नियमों के बावजूद फील्ड पर जांच के लिए नहीं जा रहा है।

मुख्य कारण: धान (पैडी) का रकबा बढ़ना: पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि का सबसे बड़ा कारण राज्य में धान की खेती का रकबा बढ़ना है। 2020-21 के बीच, धान की खेती 20 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 34 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई है।

समय की कमी: यह धान कटाई का मौसम (अक्टूबर से नवंबर) है, और किसानों को दिसंबर में रबी की बुवाई करनी होती है। स्टबल को डीकंपोज करने वाले समाधानों को काम करने में दो से तीन हफ्ते लगते हैं, और किसानों के पास बुवाई के लिए इतना समय नहीं होता है। इसलिए वे आग लगाना आसान समझते हैं।

फसल विविधीकरण (Crop Diversification) का अभाव: नर्मदापुरम, अशोकनगर और विदिशा जैसे क्षेत्रों में पहले सोयाबीन उगाया जाता था, लेकिन पिछले चार-पांच सालों में सोयाबीन की फसल प्रभावित हुई है। पर्याप्त पानी की उपलब्धता के कारण किसानों ने स्थिर फसल (स्टेबल क्रॉप) धान की तरफ रुख किया है, जिससे स्टबल बर्निंग के मामले बढ़ रहे हैं।

किसानों के मुद्दे: छोटे और सीमांत किसानों के पास इतना मार्जिन नहीं होता कि वे महंगे उपकरण (जैसे रोटोवेटर या क्रॉप सीडर) किराए पर ले सकें। श्योपुर जैसे क्षेत्रों में किसानों ने बताया कि सरकार सुपर सीडर पर तो सब्सिडी दे रही है, लेकिन यह 50 हॉर्स पावर से कम के ट्रैक्टर में काम नहीं करता, जिसके लिए उन्हें नया ट्रैक्टर खरीदना पड़ेगा जिस पर सब्सिडी नहीं मिलती।

विशेषज्ञों का सुझाव है कि खेती को नियंत्रित करने और फसल विविधीकरण की आवश्यकता है। सरकार को अन्य फसलों पर एमएसपी देनी चाहिए ताकि किसानों का रुझान धान से हटकर दूसरी फसलों की तरफ जाए। यदि धान उगाने वाले किसानों की संख्या एक क्षेत्र में केंद्रित होती रही, तो भविष्य में पंजाब और हरियाणा जैसी स्थिति मध्य प्रदेश में भी देखने को मिलेगी।

यह था हमारा डेली मॉर्निंग पॉडकास्ट। ग्राउंड रिपोर्ट में हम पर्यावरण से जुडी हुई महत्वपूर्ण खबरों को ग्राउंड जीरो से लेकर आते हैं। इस पॉडकास्ट, हमारी वेबसाईट और काम को लेकर आप क्या सोचते हैं यह हमें ज़रूर बताइए। आप shishiragrawl007@gmail।com पर मेल करके, या ट्विटर हैंडल @shishiragrawl पर संपर्क करके अपनी प्रतिक्रिया दे सकते हैं।

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Support Ground Report to keep independent environmental journalism alive in India

We do deep on-ground reports on environmental, and related issues from the margins of India, with a particular focus on Madhya Pradesh, to inspire relevant interventions and solutions. 

We believe climate change should be the basis of current discourse, and our stories attempt to reflect the same.

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