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सीहोर के चंदेरी गांव का जल संकट “जहां पानी नहीं वहां रहकर क्या करेंगे?”

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सीहोर के चंदेरी गांव का जल संकट "जहां पानी नहीं वहां रहकर क्या करेंगे?"
सीहोर के चंदेरी गांव का जल संकट "जहां पानी नहीं वहां रहकर क्या करेंगे?"

लोकसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद वरिष्ट पत्रकार रवीश कुमार ने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो शेयर किया जिसमें कुछ लोग कुंए में कूदकर पानी निकालते हुए दिखाई देते हैं। अपने इस पोस्ट में उन्होंने पानी की समस्या पर चिंता व्यक्त करते हुए लिखा कि “उन्हें यह वीडियो मध्यप्रदेश के एमएस मेवाड़ा से प्राप्त हुआ है जो सीहोर जिले के चंदेरी गांव का है।” ग्राउंड रिपोर्ट की टीम ने जब इस गांव में जाकर पड़ताल की तो पता चला कि यह कुआं इस गांव का नहीं है और न ही यह वीडियो। 

हम सीहोर शहर से 6 किलोमीटर दूर स्थित चंदेरी गांव पहुंचते हैं तो यहां गांव के बोर्ड के नज़दीक कुछ लोग पेड़ के नीचे बैठे दिख जाते हैं। कुंए में उतरकर पानी निकाल रहे लोगों का वायरल वीडियो दिखाने पर वे लोग आपस में बातचीत करते हुए बूझने लगते हैं कि यह कुआं उनके गांव में कहां है? लंबी बातचीत के बाद वे लोग इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि जो कुआं वीडियो में दिख रहा है वैसा कुआं उन्होनें गांव में कहीं नहीं देखा है। हालांकि वो यह भी बताते हैं कि पुरानी चंदेरी में पानी की गंभीर समस्या है। 

दो चंदेरी

सीहोर शहर से भोपाल की ओर जाने वाली सड़क चंदेरी गांव को दो हिस्सों में विभाजित करती है। सड़क के एक तरफ का हिस्सा पुरानी चंदेरी कहलाता है तो दूसरी तरफ नई चंदेरी। इन दोनों गांवों को सड़क के अलावा एक और बात विभाजित करती हैं वो है पानी की उपलब्धता। 

Chanderi village

पेड़ की छांव में बैठे गब्बर सिंह बताते हैं कि पहले उनका घर पुरानी चंदेरी में ही था लेकिन वहां पानी की समस्या थी इसलिए उन्होंने अब नई चंदेरी में घर बना लिया है। 

“पुरानी चंदेरी में पता नहीं क्या समस्या है। 300-400 फीट बोरवेल लगाने पर भी पानी नहीं निकलता, सिर्फ धूल निकलती है। मार्च माह से ही पानी की समस्या शुरु हो जाती है। हमें पानी लेने 1.5 किलोमीटर चलकर यहां नई चंदेरी आना पड़ता था।” गब्बर सिंह कहते हैं। 

Chanderi village water tank being build by PHE department
पीएचई विभाग द्वारा पुरानी चंदेरी में पानी सप्लाय के लिए  वॉटर टैंक का निर्माण करवाया जा रहा है

मुख्य सड़क से लगी ग्रामीण सड़क से होते हुए जब हम पुरानी चंदेरी की तऱफ बढ़ते हैं तो रास्ते में देखते हैं कि यहां पानी की टंकी का निर्माण हो रहा है। पूछने पर गांव के लोग बताते हैं कि प्रशासन ने हाल ही में इस टंकी का निर्माण शुरु करवाया है। गांव में पिछले 4 सालों से लोग पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। गांव में लगे सभी बोरवेल में फरवरी के बाद पानी सूख जाता है। सरकारी पानी की लाईन न होने की वजह से उन्हें अपनी ज़रुरत का पानी गांव में मौजूद हैंडपंप या नई चंदेरी में लगे निजी ट्यूबवेल से लाना पड़ता है। प्रशासन अब टंकी बनवा रहा है जिससे गांव वालों को उम्मीद है कि पानी की समस्या हल हो जाएगी। 

सपना पानी की टंकी का

गांव में पीएचई (पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग विभाग) द्वारा बनाई जा रही पानी की टंकी का काम अभी शुरु ही हुआ है, सवाल है कि क्यों यह काम फरवरी माह के पहले पूरा नहीं किया गया जब पानी की समस्या शुरु होती है। 

सूरज सिंह मेवाड़ा जो पेशे से एक किसान हैं, हमें बताते हैं कि खेती के पानी की व्यवस्था तो लोग बोरवेल के पानी से कर लेते हैं, या बारिश पर निर्भर रहते हैं। खर्चे के पानी के लिए जिन लोगों के पास पैसा है वो टैंकर मंगवाते हैं। जो गरीब हैं उन्हें साईकिल से या पैदल चलकर ही नई चंदेरी से पानी लाना पड़ता है। गांव में लगे सरकारी हैंडपंप का पानी पीने योग्य नहीं है, ऐसे में लोगों के पास और कोई विकल्प भी नहीं है। 

वायरल वीडियो के संदर्भ में हमारी बातचीत गांव के सरपंच विष्णु मेवाड़ा से होती है। वो बताते हैं कि

“वीडियो वायरल होने के बाद जनपद सीओओ और पीएचई के अधिकारी गांव आए थे और उन्होंने इस मामले की जांच की है। उन्होंने भी यही पाया कि यह वीडियो फर्जी है और हमारे गांव का नहीं है।”

गांव में व्याप्त पानी के संकट को आम समस्या बताते हुए विष्णु आगे कहते हैं कि 

“गर्मियों में पानी की थोड़ी बहुत समस्या तो हर जगह होती ही है। सीहोर शहर में पानी की समस्या नहीं है क्या? इस बात में कोई सच्चाई नहीं है कि लोगों को पुरानी चंदेरी से नई चंदेरी पानी भरने आना पड़ता है। पंचायत का खुद का टैंकर है जिससे लोगों को पानी पहुंचाया जा रहा है।”

बांध टूटा 4 साल तक नहीं ली सुध

सूरज सिंह आगे बताते हैं कि 4 वर्ष पहले गांव में नदी पर बना स्टॉप डैम ध्वस्त हो गया था। जिसकी मरम्मत की सुध प्रशासन ने चार साल बाद ली है। जब यह बांध ठीक था तो गांव में भरपूर पानी रहता था। 

तकीपुर नाम का यह बांध महुआ खेड़ी गांव और पुरानी चंदेरी के बीच बहने वाली नदी के ऊपर बना है। जिसमें बारिश का पानी रोका जा सकता है। इस बांध में पानी के भराव से आसपास के तीन से चार गांव के लोगों को लाभ पहुंचता है। 

जब हम इस बांध के पास पहुंचे तो नदी में दूर-दूर तक पानी का निशान नहीं था। दो दिन पहले हुई बारिश के कारण नदी में बने एक गड्ढे में पानी भर गया था, जिसमें शंकर सिंह अपनी भैंसों को नहला रहे थे। 

Chanderi Shankar Singh

शंकर सिंह बताते हैं कि उनके गांव महुआ खेड़ी में भी पानी की समस्या है। लोगों को दूर से पानी लेकर आना पड़ता है। जो लोग आर्थिक रुप से सक्षम हैं वो निजी पाईप लाई बिछाकर अपने घरों तक पानी लेकर आ रहे हैं। लेकिन बोरवेल सूख रहे हैं, ऐसे में बांध में पानी रोकने से ही पानी की समस्या हल होगी।

सरपंच विष्णु के मुताबिक क्षेत्र के विधायक करण सिंह वर्मा ने इस बांध के लिए 45 लाख रुपए सैंक्शन करवाए हैं जिसके बाद इसकी मरम्मत का काम पूरा हुआ है। बांध की मरम्मत में हुई देरी पर विष्णु तर्क देते हैं कि

“45 लाख बड़ी राशी है इस वजह से इस काम में देरी हुई है।”

 

सूरज सिंह मेवाड़ा बताते हैं कि उन्होंने भी नई चंदेरी में घर बना लिया है और इसकी मुख्य वजह पुरानी चंदेरी में पानी का न होना ही है। वो कहते हैं 

“जहां पानी ही नहीं है वहां रहकर क्या करेंगे?”

बांध से होने वाले  फायदे पर वो कहते हैं कि “हां अब इससे पानी की समस्या हल हो जाएगी, लेकिन अब हमारा घर तो तैयार हो गया है। यह बांध पहले बन जाता तो शायद हम भी न जाते।”

सीहोर कलेक्टर प्रवीण सिंह ने चंदेरी में पानी की समस्या का लिया संज्ञान

Praveen Singh collector sehore

चंदेरी के नाम से वायरल हुए वीडियो और गांव में व्याप्त पानी की समस्या पर ग्राउंड रिपोर्ट ने सीहोर जिले के कलेक्टर प्रवीण सिंह से बात की उन्होंने बताया कि एक ट्वीट के माध्यम से यह वीडियो संज्ञान में आया था। सरपंच से बात करने और जांच के बात पता चला कि वीडियो चंदेरी का नहीं है।  जिस व्यक्ति ने यह वीडियो रवीश कुमार को भेजा उनसे भी बातचीत की गई लेकिन उन्होंने वीडियो की असल लोकेशन बताने से इंकार कर दिया है। 

चंदेरी में व्याप्ट जल संकट के सवाल पर कलेक्टर प्रवीण सिंह ने कहा कि

“जैसा आपने बताया कि चंदेरी में हैंडपंप की समस्या है जिन्हे ठीक करवाना है। तो मैं कल ही पीएचई की टीम को भेज रहा हूं तो दो या तीन हैंडपंप, या अगर कुछ मोहल्लों में वॉटर लेवल डाउन हो गया है तो पाईप बढ़ा कर गांव की सुविधा के हिसाब से हम पानी की  व्यवस्था करवा देंगे।”

पुरानी चंदेरी में गिरते भूजल स्तर पर कलेक्टर प्रवीण सिंह कहते हैं कि वो पीएचई की टेक्नीकल टीम को गांव में भेजकर सर्वे करवाएंगे और यह स्टडी करेंगे की गांव को 12 महीने कैसे पानी उपलब्ध करवाया जा सकता है।

Har Ghar jal Yojana

पुरानी चंदेरी गांव में कई घरों की दीवारों पर लिखा मिलता है “हर घर नल से जल लाना है गांव को खुशहाल बनाना है।” ग्रामीण दीवारों पर लिखे इस नारे को देखते हैं और अपने आंगन में उस नल को खोजते हैं। उन्हें मिलती है असफलता क्योंकि हकीकत में अभी तक तो नल से जल का सपना सिर्फ दीवारों और नारों पर ही अंकित है। 

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Author

  • Climate journalist and visual storyteller based in Sehore, Madhya Pradesh, India. He reports on critical environmental issues, including renewable energy, just transition, agriculture and biodiversity with a rural perspective.

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