यह ‘ग्राउंड रिपोर्ट’ के डेली मॉर्निंग पॉडकास्ट का एपिसोड-94 है। गुरुवार, 18 दिसंबर को देश भर की पर्यावरणीय ख़बरों के साथ आज के पॉडकास्ट में बात करेंगे मध्य प्रदेश के सतना में प्रशासन की लापरवाही से HIV संक्रमित हुए बच्चों और मध्य प्रदेश में बिना अनुमति पेड़ काटने, छांटने या हटाने पर लगे पूर्ण प्रतिबंध की खबर पर।
मुख्य सुर्खियां
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने भोपाल और राज्य के अन्य हिस्सों में बिना अनुमति कोई भी पेड़ काटने, छाँटने या हटाने पर पूरी तरह से रोक लगा दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण और ट्रैफिक जाम के बीच एमसीडी द्वारा संचालित नौ टोल बूथों को अस्थायी रूप से बंद करने पर विचार करने को कहा है।
कोहरे के कारण भारत और साउथ अफ्रीका के बीच चौथा टी-20 रद्द कर दिया गया है। मुकाबला लखनऊ के इकाना क्रिकेट स्टेडियम में शाम 7 बजे से शुरू होना था, लेकिन घने कोहरे की वजह से टॉस भी नहीं हो पाया।
मध्य प्रदेश के सतना जिले में थैलेसीमिया से पीड़ित 4 बच्चों की HIV-संक्रमण रिपोर्ट सामने आई, जहाँ उन्हें सरकारी अस्पताल में खून चढ़ाए जाने के बाद वे HIV-पॉजिटिव पाए गए थे, पर यह मामला महीनों बाद सार्वजनिक हुआ।
जबलपुर ज़िले में पराली जलाने के मामलों पर कार्रवाई करते हुए जिला प्रशासन ने सैटेलाइट निगरानी में उल्लंघन की पुष्टि के बाद 17 किसानों पर कुल 42 हज़ार रुपये का जुर्माना लगाया है। सैटेलाइट तस्वीरों में ज़िले के 2,400 से अधिक खेत जले हुए पाए गए हैं, जबकि अब तक 150 से ज़्यादा मामले दर्ज किए जा चुके हैं।
बुधवार को मध्य प्रदेश विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान वीआईटी यूनिवर्सिटी का मामला एक बार फिर उठाया गया। उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने कहा कि शीतकालीन सत्र में उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने धारा 41(2) के तहत नोटिस जारी होने के सात दिनों के भीतर वीआईटी भोपाल के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया था।
मध्य प्रदेश सरकार ने उज्जैन के सिंहस्थ लैंड पूलिंग ऑर्डर को निरस्त कर दिया, जिससे प्रस्तावित नगर विकास योजनाओं को रद्द किया गया। यह निर्णय किसानों के जारी विरोध और प्रदर्शन के बीच लिया गया, जिसके कारण किसानों ने अपनी 26 दिसंबर से होने वाली हड़ताल को रद्द कर दिया।
MP में बिना परमिशन पेड़ कटाई पर पूर्ण बैन

यह चर्चा मध्य प्रदेश में पेड़ों की अवैध कटाई और रोपण (ट्रांसप्लांटेशन) पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के एक महत्वपूर्ण आदेश पर केंद्रित है.
मुख्य बातें और न्यायालय का आदेश:
1. पेड़ों की कटाई पर पूर्ण प्रतिबंध: 25 नवंबर 2025 को, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य में बिना उचित अनुमति (प्रॉपर परमिशन) के पेड़ों को काटने या ट्रांसप्लांट करने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है.
2. उल्लंघन (Violations): कोर्ट ने यह निर्णय तब लिया जब जाँच में पता चला कि हजारों पेड़ बिना उचित आदेशों के काट दिए गए थे. रिपोर्ट्स के अनुसार, रेलवे प्रोजेक्ट्स के लिए 8000 से अधिक पेड़ काटे गए थे, और सागर जिले के कलेक्टरेट में भी 1000 पेड़ों को हटा दिया गया था.

3. सरकारी स्वीकारोक्ति और नीति का अभाव: राज्य सरकार ने खुद स्वीकार किया है कि अतीत में नियमों का उल्लंघन हुआ है, जिसे डिप्टी एडवोकेट जनरल ने इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए हुई ‘त्रुटि’ (एरर) बताया. सरकार ने यह भी माना कि मध्य प्रदेश में पेड़ों की कटाई, हटाने या रिप्लांट करने के लिए कोई ट्री प्लांटेशन पॉलिसी ही नहीं है.
4. रेलवे का पक्ष: रेलवे अथॉरिटी ने इस दावे को खारिज किया कि उन्होंने 8000 पेड़ काटे; उन्होंने कोर्ट को बताया कि रेलवे प्रोजेक्ट्स के लिए सिर्फ 435 पेड़ काटे गए थे और उन्हें इसके लिए अनुमति की आवश्यकता नहीं थी.
5. ट्रांसप्लांटेड पेड़ों की स्थिति: कोर्ट को ट्रांसप्लांट किए गए पेड़ों की तस्वीरें देखकर गहरी चिंता हुई, जिनकी हालत बहुत खराब थी.
6. सागर कलेक्टर को आदेश: कोर्ट ने सागर कलेक्टर को आदेश दिया है कि वह दो हफ्तों के अंदर एक एफिडेविट फाइल करके स्पष्ट करें कि कलेक्टरेट एरिया में वास्तव में कितने पेड़ काटे गए हैं.
7. ट्री ऑफिसर की समस्या: कोर्ट ने ट्री ऑफिसर की नियुक्ति और उनके अधिकारों के डेलीगेशन (प्रतिनिधित्व) को लेकर भी एक कानूनी समस्या उठाई. 2001 के एक कानून के तहत, राज्य सरकार सीधे ट्री ऑफिसर नियुक्त करती है, लेकिन म्युनिसिपल कमिश्नर अपने अधिकार अधीनस्थ कर्मचारियों को सौंप रहे थे. कोर्ट ने साफ आदेश दिया है कि ट्री ऑफिसर्स को अपनी ड्यूटी व्यक्तिगत रूप से निभानी होगी.
आगे की योजना और NGT की भूमिका:
कोर्ट ने राज्य सरकार को यह भी निर्देश दिया है कि वे तुरंत एक ट्री प्लांटेशन पॉलिसी बनाएं और साथ ही यह भी बताएं कि ग्रीन कवर को बहाल (रिस्टोर) करने और कटे हुए पेड़ों की जानकारी (कितने, कहाँ और कब कटे) देने की उनकी क्या योजना है.
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने मई 2025 में पहले ही इस मामले पर आदेश दिया था और एक संयुक्त समिति (जॉइंट कमेटी) बनाई थी. NGT ने यह नियम भी बनाया था कि 25 से अधिक पेड़ काटने पर हाई लेवल कमेटी की परमिशन जरूरी है, और सभी पेड़ों को ट्रैक करने के लिए उन्हें जियो-टैग करना अनिवार्य है. NGT ने यह भी स्पष्ट किया कि एक पेड़ को फिर से बड़ा होने में 70 से 100 साल लगते हैं, इसलिए रिफॉरेस्टेशन के मुआवजे पर अधिक काम किया जाना चाहिए.
सतना में HIV संक्रमित खून बच्चों को चढ़ाकर 9 महीने तक मौन बैठा रहा प्रशासन
यह पॉडकास्ट मध्य प्रदेश के सतना में हुई एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य विफलता का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करता है, जहाँ थैलेसीमिया से पीड़ित पाँच बच्चों को संक्रमित खून चढ़ा दिया गया, जिसके बाद वे एचआईवी पॉजिटिव हो गए हैं .
घटना का विवरण और बच्चों की स्थिति
• थैलेसीमिया एक ऐसी बीमारी है जिसके मरीजों को लगातार ब्लड ट्रांसफ्यूजन की जरूरत होती है, क्योंकि उनके शरीर में पर्याप्त हेल्दी रेड ब्लड सेल्स या हीमोग्लोबिन नहीं बन पाता . इसीलिए, खून चढ़ाते समय बहुत एहतियात बरतना आवश्यक होता है .
• मामला सतना का है, जहाँ पाँच थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को संक्रमित खून चढ़ाया गया .
• पाँच बच्चों में से चार बच्चों के माता-पिता एचआईवी पॉजिटिव नहीं हैं, जिसका मतलब है कि उन्हें संक्रमण ब्लड ट्रांसफ्यूजन की वजह से हुआ है .
• एक पाँचवीं बच्ची पहले से ही एचआईवी पॉजिटिव थी, जिसके माता-पिता भी एचआईवी पॉजिटिव हैं, इसलिए उसका मामला बाकी चार बच्चों से थोड़ा अलग है .
• सतना डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के अनुसार, पाँचों बच्चों का ब्लड ट्रांसफ्यूजन सरकारी जिला अस्पताल में हुआ था . साथ ही, तीन बच्चों ने प्राइवेट अस्पताल में भी ट्रांसफ्यूजन करवाया था .
मामले की टाइमलाइन और प्रशासनिक विलंब
• स्वास्थ्य विभाग को सबसे पहले 20 मार्च 2025 को थैलेसीमिया पीड़ित 15 वर्षीय बच्ची के एचआईवी पॉजिटिव होने की जानकारी मिली थी . इस बच्ची की जांच जिला अस्पताल में हुई थी .
• यह मामला सामने आने पर, अन्य बच्चों की जांच कराई गई . जांच में 26 और 28 मार्च को 9 साल के दो बच्चों में और 3 अप्रैल को 15 वर्षीय चौथे बच्चे में एचआईवी संक्रमण की पुष्टि हुई .
• संक्रमण की पुष्टि के बाद, आनन-फानन में ब्लड डोनर्स और ट्रांसफ्यूजन रिकॉर्ड की जांच शुरू की गई थी .
• बच्चों को खून देने वाले 200 डोनर्स को ट्रैक किया गया, लेकिन उनमें से केवल 10 से 12 डोनर्स को ही ट्रेस किया जा सका है . बाकी लोगों के फोन नंबर बंद हैं या उनका पता नहीं लग पा रहा है .
• सबसे बड़ा विवाद प्रशासन द्वारा मामले को दबाने को लेकर है, जो कथित तौर पर नौ महीने तक दबा रहा .
विवाद और अधिकारियों की प्रतिक्रिया
• पहला इंफेक्शन डिटेक्ट होने के नौ महीने बाद, 16 दिसंबर को सिविल सर्जन डॉ. मनोज शुक्ला ने सतना की एड्स कंट्रोल नोडल ऑफिसर पूजा गुप्ता को एक फॉर्मल नोटिस भेजा .
• डॉ. शुक्ला ने नोटिस में पूछा कि थैलेसीमिया पेशेंट्स में एचआईवी संक्रमण की रिपोर्टिंग में कहाँ गड़बड़ी हुई, और उन्हें हॉस्पिटल मैनेजमेंट को समय-समय पर फैक्चुअल जानकारी देनी चाहिए थी .
• इस आरोप का जवाब देते हुए, नोडल ऑफिसर पूजा गुप्ता ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्होंने मार्च में ही सिविल सर्जन को मौखिक रूप से जानकारी दे दी थी .
• गुप्ता ने यह तर्क दिया कि मामले की संवेदनशीलता और बच्चों की पहचान की सुरक्षा के लिए इसे लिखित रूप से नहीं दिया गया था .
जांच की वर्तमान स्थिति
• इस पूरे मामले में कहाँ गड़बड़ी हुई है, इसकी जांच के लिए राज्य और जिला स्तर पर अलग-अलग जांच टीमें गठित की गई हैं .
• इसके अलावा, एक केंद्रीय जांच टीम भी सतना पहुँच गई है .
• हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि लापरवाही किसने की . वक्ता ने कहा कि जिन लोगों ने यह लापरवाही की या जो दोषी हैं, उनका कोई पता नहीं है और दोषियों को अभी तक ढूंढा नहीं गया है . वक्ता इस मामले को फॉलो अप करने और ग्राउंड रिपोर्ट.in पर अपडेट देने का आश्वासन देते हैं .
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