यह ‘ग्राउंड रिपोर्ट’ के डेली मॉर्निंग पॉडकास्ट का 71वां एपिसोड है। शनिवार, 22 नवंबर को देश भर की पर्यावरणीय ख़बरों के साथ पॉडकास्ट में जानिए निकोबार प्रोजेक्ट को लेकर कोर्ट में क्या हुआ और मध्य प्रदेश में हैलीकॉप्टर रूट को क्यों नहीं मिली मंज़ूरी?
हेडलाइंस
बांग्लादेश में शुक्रवार सुबह 5.7 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया। इसके चलते वहां अब तक कम से कम 6 लोगों की मौत हो चुकी है। भूकंप के झटके कोलकाता में भी महसूस किए गए।
केंद्र सरकार ने शुक्रवार को सभी चार लेबर कोड नोटिफाई कर दिए हैं। इनमें गिग वर्कर्स के लिए यूनिवर्सल सोशल सिक्योरिटी कवरेज बढ़ाना, जेंडर पे पैरिटी का वादा करना, महिला वर्कर्स के लिए ज़्यादा अधिकार और सुरक्षा देना, मिनिमम वेज के लिए कानूनी सपोर्ट देना और फिक्स्ड टर्म एम्प्लॉयमेंट शुरू करना शामिल है।
झारखण्ड के पलामू में स्नेक वैनम स्मगलिंग रैकेट के 7 लोगों को गिरफ्तार किया गया। वन विभाग और वाइल्डलाइफ क्राइम कण्ट्रोल ब्यूरो ने जॉइंट ऑपरेशन में 80 करोड़ का स्नेक वेनम और 15 से 20 लाख के पेंगोलिन स्कल बरामद किए हैं।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने ग्रेट निकोबार मेगा-इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को मिली पर्यावरणीय मंज़ूरी के खिलाफ दायर याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। याचिकाकर्ता केंद्र द्वारा हाई-पावर्ड कमेटी (HPC) की रिपोर्ट गोपनीय रखने का विरोध कर रहे हैं और तटीय नियमों व पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्रों के उल्लंघन का आरोप लगा रहे हैं। केंद्र का कहना है कि रिपोर्ट पहले से ही गोपनीय थी और उसे सार्वजनिक करने की आवश्यकता नहीं है। बहस के दौरान कछुओं, कोरल और अन्य जैव विविधता पर संभावित नुकसान के मुद्दे भी उठे। NGT जल्द ही अंतरिम आवेदन और याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाएगा।
दिल्ली में ख़राब हवा के चलते सभी तरह की शारीरिक खेल प्रतियोगिताओं पर रोक लगा दी गई है। शनिवार को राजधानी का औसत AQI बेहद ख़राब श्रेणी में 359 दर्ज किया गया। हालांकि अक्षरधाम इलाके में यह 422, इंडिया गेट में 370, और बवाना में 419 AQI रहा।
मध्य प्रदेश में लगातार 15वें दिन शीत लहर का दौर रहा। 1931 के बाद ऐसा पहली बार है कि लगातार इतने दिनों तक शीत लहर चली है। शुक्रवार को प्रदेश के 7 जिलों में शीत लहर चली। प्रदेश में सबसे कम तापमान 5.8 डिग्री सेल्सियस पचमढ़ी में दर्ज किया गया। भोपाल का तापमान 9.6 डिग्री सेल्सियस रहा जो सामान्य से 4.8 डिग्री सेल्सियस कम है।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने भोपाल के पास 488 पेड़ों की कटाई पर स्वतः संज्ञान लेते हुए पूरे शहर में अगले आदेश तक पेड़ों की कटाई और ट्रांस्लोकेशन पर रोक लगा दी है। किसी भी तरह की पेड़ों की कटाई या ट्रांस्लोकेशन के लिए पहले हाईकोर्ट से अनुमति लेना ज़रूरी होगा।
मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में एक बाघ की मौत हो गई। टाइगर रिजर्व की वन विभाग की टीम इस बाघ की एक दिन पहले से मोनिटरिंग कर रही थी। हालांकि अब तक मौत के कारण का पता नहीं चला है।
विस्तृत चर्चा
एनजीटी में निकोबार प्रोजेक्ट (चंद्रप्रताप तिवारी के साथ)
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने ग्रेट निकोबार मेगा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को मिली पर्यावरणीय मंजूरी के खिलाफ दायर याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। NGT जल्द ही अंतरिम फैसला सुनाएगा, जिससे स्पष्ट होगा कि प्रोजेक्ट को हरी झंडी मिली है या नहीं।
इस मामले में एक महत्वपूर्ण मुद्दा हाई पावर्ड कमेटी (HPC) की रिपोर्ट को गोपनीय रखना है। याचिकाकर्ता आशीष कोठारी ने मांग की है कि रिपोर्ट को पब्लिक किया जाए। सरकार ने तर्क दिया है कि कॉन्फिडेंशियलिटी एक हद तक जरूरी है, और जितनी भी जानने लायक चीजें हैं, वो जजमेंट में आ जाएंगी।
यह तर्क दिया गया कि अगर रिपोर्ट (जो प्रोजेक्ट से जुड़ी समस्याओं को बताती है) सामने नहीं रखी जाएगी, तो विशेषज्ञ उसे क्रिटिसाइज या एप्रिशिएट नहीं कर पाएंगे, क्योंकि उनके पास वास्तविक डेटा और इन्वेस्टिगेशन मौजूद नहीं होगा। साथ ही, NGT का जजमेंट केवल सिलेक्टेड चीजें पेश करेगा, न कि HPC रिपोर्ट का पूरा एनेक्चर या सभी ऑब्जरवेशंस।
हाई पावर्ड कमेटी (HPC) के सदस्य: लीना नंदन, अध्यक्ष, जो पहले पर्यावरण मंत्रालय की सेक्रेटरी रह चुकी हैं। अंडमान निकोबार आइलैंड इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर, अंडमान निकोबार के प्रिंसिपल चीफ कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट, ट्राइबल वेलफेयर के सेक्रेटरी, और जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के डायरेक्टर।
पर्यावरणीय और सामाजिक चिंताएं
यह ₹81,000 करोड़ का प्रोजेक्ट कई गंभीर चिंताओं को जन्म देता है।
तटीय क्षेत्र का उल्लंघन (Coastal Zone Violation): निकोबार का वह हिस्सा जहाँ यह प्रोजेक्ट बन रहा है, आइलैंड कोस्टल रेगुलेशन जोन (ICR) 1A के अंतर्गत आता है। यह एक तरह से नो डेवलपमेंट ज़ोन है, जिसे प्राकृतिक स्वरूप में प्रिजर्व करके रखा जाना है।
बायोडायवर्सिटी पर खतरा: यह क्षेत्र बड़े लेदर बैकग टर्टल, निकोबार मेगापड, और कई एंडेमिक (स्थानिक) रेयर बर्ड्स का क्रिटिकल हैबिटेट है। इतना बड़ा और मैसिव डेवलपमेंट इनके अस्तित्व को जोखिम में डाल सकता है।
आदिवासी समुदाय (Indigenous Communities): यहां कई PVTGs (विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह) हैं, जिनमें शोम्पेन शामिल हैं। चिंता है कि ऐसे बड़े डेवलपमेंट से उनके साथ संघर्ष की स्थिति आ सकती है, क्योंकि यह उनका पारंपरिक घर है।
मप्र में हेलीकॉप्टर सेवा पर प्रतिबंध (पल्लव जैन के साथ)
मध्य प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए हेलीकॉप्टर सेवाओं को शुरू किया गया है, लेकिन कुछ रूट्स को पर्यावरणीय चिंताओं के कारण मंजूरी नहीं मिल सकी।
अनुमोदित रूट: इंदौर से उज्जैन (20 मिनट) और उज्जैन से ओंकारेश्वर (40 मिनट)। इसका एक तरफ का किराया ₹11,500 रखा गया था।
प्रतिबंधित रूट्स: भोपाल से मड़ई और भोपाल से पचमढ़ी।
प्रतिबंध का कारण: मड़ई और पचमढ़ी की सेवाओं को इसलिए मंजूरी नहीं मिली, क्योंकि वे 17 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट द्वारा जिम कॉर्बेट मामले के संदर्भ में प्रोटेक्टेड एरिया में साइलेंस ज़ोन (Silence Zone) बनाने के आदेशों का उल्लंघन कर रहे थे।
स्थानों का महत्व
मड़ई: यह नर्मदापुरम जिले में सतपुड़ा रिजर्व का महत्वपूर्ण प्रवेश द्वार है, जो जंगल सफारी और वन्य जीव पर्यटन के लिए लोकप्रिय है।
पचमढ़ी: यह नर्मदापुरम जिले में ही सतपुड़ा की पहाड़ियों में बसा एक हिल स्टेशन है।
हेलीकॉप्टर सेवा के संचालन के लिए सतपुड़ा के जंगलों के कोर एरिया के ऊपर से गुजरना पड़ता। पर्यावरणविदों ने सरकार को पत्र लिखा, जिसमें बताया गया कि प्रस्तावित हेलीपैड कोर एरिया की सीमा से मात्र 200 मीटर की दूरी पर है। यह कोर्ट द्वारा निर्धारित साइलेंस ज़ोन की शर्तों और न्यूनतम 1,000 फीट की ऊंचाई के नियम का उल्लंघन करता है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुख्य बिंदु (17 नवंबर 2023): यह फैसला चीफ जस्टिस बी आर गवई की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने दिया था। यह उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में इको-टूरिज्म के नाम पर होने वाली गतिविधियों और अवैध निर्माणों के संदर्भ में आया था।
साइलेंस ज़ोन का आदेश: राज्य सरकारों को 3 महीने के अंदर नॉइज़ पोल्यूशन रेगुलेशन एंड कंट्रोल रूल्स (2000) के आधार पर टाइगर रिजर्व का पूरा इलाका और प्रोटेक्टेड एरिया के इकोसेंसिटिव ज़ोन को साइलेंस ज़ोन के तौर पर नोटिफाई करना है।
उड़ान पर प्रतिबंध: इकोसेंसिटिव ज़ोन में फ्लाइंग ज़ोन को न्यूनतम 1,000 फीट की ऊंचाई पर ही रखा जा सकता है। कोर्ट ने जोर दिया कि टूरिज्म को बढ़ावा देना है, तो वह इको टूरिज्म होना चाहिए।
कोर्ट ने बफर जोन और कैचमेंट एरिया में कई एक्टिविटीज पर प्रतिबंध लगाने की लिस्ट बनाई, जैसे टाइगर सफारी के लिए वाहनों की संख्या रेगुलेट करना, अवैध निर्माण हटाना, और जंगल के डिग्रेडेड एरिया को रिस्टोर करना।
यह था हमारा डेली मॉर्निंग पॉडकास्ट। ग्राउंड रिपोर्ट में हम पर्यावरण से जुडी हुई महत्वपूर्ण खबरों को ग्राउंड जीरो से लेकर आते हैं। इस पॉडकास्ट, हमारी वेबसाईट और काम को लेकर आप क्या सोचते हैं यह हमें ज़रूर बताइए। आप shishiragrawl007@gmail।com पर मेल करके, या ट्विटर हैंडल @shishiragrawl पर संपर्क करके अपनी प्रतिक्रिया दे सकते हैं।



