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सिंहस्थ 2028 के लिए उज्जैन में नहीं होगी लैंड पूलिंग

यह ‘ग्राउंड रिपोर्ट’ के डेली मॉर्निंग पॉडकास्ट का 68वां एपिसोड है। मंगलवार, 18 नवंबर को देश भर की पर्यावरणीय ख़बरों के साथ पॉडकास्ट में बात होगी उज्जैन में लैंड पूलिंग वापस लेने और ओम्कारेश्वर के ममलेश्वर लोक के विरोध पर।


मुख्य सुर्खियां 

भारत अमेरिका से पहली बार 22 लाख टन LPG खरीदेगा। 12 हज़ार करोड़ रु से अधिक की इस डील के तहत 2 अमेरिकी कम्पनियां भारत की इंडियन ऑइल, हिन्दुस्तान पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम को 2026 से गैस देंगी।


वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने एनसीआर में 1,500 से अधिक प्रदूषणकारी इकाइयों को बंद करने का आदेश दिया है। बंद होने वाली इकाइयों में दिल्ली में 264, हरियाणा में 234, उत्तर प्रदेश में 637 और राजस्थान में 121 इकाइयां शामिल हैं, जिनमें टेक्सटाइल लाइन्स, स्टील और फ़ूड प्रोसेसिंग यूनिट्स, और धातु भट्टियां शामिल हैं।


दिल्ली नगर निगम ने मां आनंदमयी मेमोरियल कॉलेज (एमएएमसी) पर 5,000 से अधिक चालान जारी किए हैं और 82,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। दरअसल कॉलेज पर सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रुल 2016 का उल्लंघन करने के लिए कार्रवाई करते हुए उसे बल्क वेस्ट जनरेटर के रूप में क्लासीफाइड किया गया है। 12 नवंबर तक दिल्ली नगर निगम द्वारा सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के उल्लंघन के लिए 18 लाख 87 हज़ार 111 रूपए के कुल 4 हज़ार 614 चालान जारी किए गए हैं। इसके अलावा कचरा जलाने और बिना अनुमति निर्माण करने के लिए 51 लाख 28 हज़ार 301 रुपये की राशि के 482 चालान जारी किए गए।


सुप्रीम कोर्ट ने नॉन फारेस्ट लैंड और बफर एरिया के डीग्रेडेड फ़ॉरेस्ट में टाइगर सफारी पर प्रतिबंध लगा दिया है। साथ ही टाइगर रिज़र्व में नाईट टूरिज्म पर भी रोक लगा दी है। न्यायालय ने आदेश दिया कि एक साल के अन्दर सभी राज्य उनके सभी टाइगर रिज़र्व के इको सेंसिटिव ज़ोन अधिसूचित करें।


सुप्रीमकोर्ट ने सोमवार को जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में हुए अनधिकृत निर्माणों को हटाने सम्बन्धी एक आदेश जारी किया। चीफ जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन को बड़े स्तर पर हुए पेड़ों की कटाई और निर्माण कार्य से हुए इकोलॉजिकल हार्म की भरपाई करने के निर्देश दिए हैं।  


मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में 315 एकड़ ज़मीन पर 100 मेगावाट का सोलर प्रोजेक्ट लगेगा, सोमवार को सीएम ने इसकी मंज़ूरी दी है।  


सोमवार को भोपाल में पारा गिरकर 5.2 डिग्री पर पहुँच गया। यह नवंबर का अब तक का सबसे कम तापमान है। भोपाल पहली बार देश के पहाड़ी शहरों में 7वां सबसे ठंडा शहर रहा। मौसम विभाग ने भोपाल और राजगढ़ में तीव्र शीतलहर का अलर्ट जारी किया है। 


भोपाल में सोमवार को औसत AQI 240 रहा। वहीं शहर के टीटी नगर इलाके में सोमवार को AQI 300 के आसपास दर्ज किया गया। ठंड और उसके साथ प्रदूषण बढ़ने से भोपाल के अस्पतालों में 2 हफ्ते में 25% तक मरीज़ बढ़े हैं।

प्रमुख चर्चा 

उज्जैन सिंहस्थ ज़ोन से लैंड पूलिंग एक्ट वापस (पल्लव जैन के साथ)

सोमवार रात को भोपाल में एक बड़ा घटनाक्रम हुआ है। सिंहस्थ 2028 की तैयारियों के बीच, राज्य की मोहन यादव सरकार ने उज्जैन में लैंड पूलिंग एक्ट लागू नहीं करने का फैसला लिया है। यह फैसला तब आया जब किसान और भारतीय किसान संघ लगातार इस एक्ट का विरोध कर रहे थे।

सोमवार रात 9 बजे किसान संघ के नेताओं, बीजेपी पदाधिकारियों और उज्जैन जिला प्रशासन के लोगों के बीच मुख्यमंत्री निवास पर बातचीत हुई, जिसके बाद सरकार ने पूरी योजना वापस ले ली। यह कदम इसलिए उठाया गया क्योंकि किसान नेताओं ने चेतावनी दी थी कि 18 नवंबर से ‘डेरा डालो, घेरा डालो’ नामक एक बड़ा प्रोटेस्ट शुरू होने वाला था, जिसमें मालवा क्षेत्र के हजारों किसान राशन-पानी लेकर पूरे क्षेत्र को ब्लॉक करने की तैयारी कर रहे थे। दिल्ली के शंभू बॉर्डर और सिंघु बॉर्डर जैसे विरोध प्रदर्शन की संभावना मध्य प्रदेश में बन रही थी।

लैंड पूलिंग एक्ट क्या है?

लैंड पूलिंग एक्ट मध्य प्रदेश के अर्बन लोकल बॉडीज में लागू होता है। इसकी मुख्य भावना यह है कि सरकार को जमीन अधिग्रहण के लिए किसानों को मुआवजा न देना पड़े, जिससे प्रोजेक्ट अटके नहीं और तेजी से पूरे हों।

इस एक्ट के तहत, सरकार जमीन अधिग्रहित नहीं करती, बल्कि स्थानीय लोगों से इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए अपनी जमीन का हिस्सा देने को कहती है। सरकार उस भूमि के आधे हिस्से (50%) पर नालियां, रोड और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप करती है। बाकी का 50% विकसित (Develop) भूमि के रूप में किसानों को वापस कर दिया जाता है, जिसकी कीमत मूल कीमत से बढ़कर मिलती है।

यह कानून देश के कई राज्यों में सफल रहा है; अमरावती सिटी इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। भारत में इसकी शुरुआत सबसे पहले 1915 में बॉम्बे टाउन प्लानिंग एक्ट के तहत हुई थी।

उज्जैन में विरोध का कारण

यह कानून इंदौर सहित कई अन्य अर्बन लोकल बॉडीज में लागू है, लेकिन उज्जैन में इसका विरोध खास तौर पर हुआ।

परमानेंट सिटी का लक्ष्य: 2028 में उज्जैन में सिंहस्थ का आयोजन होना है, जिसमें अनुमान है कि करीब 30 करोड़ भक्त आएंगे। 2016 के सिंहस्थ में 361 हेक्टेयर क्षेत्र का उपयोग हुआ था, लेकिन 2028 के लिए 3,370 हेक्टेयर भूमि पर सिंहस्थ सिटी बनाने की योजना थी। सरकार चाहती थी कि इस बार स्थायी इंफ्रास्ट्रक्चर (Proper roads, सीवेज लाइन्स, अखाड़ों के लिए अच्छी भूमि) बनाया जाए, जबकि पहले अस्थायी इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया जाता था और सिंहस्थ खत्म होने के बाद जमीन किराए पर लौटा दी जाती थी।

भूमि उपयोग का विभाजन: उज्जैन के मामले में, प्रस्तावित था कि 50% भूमि किसानों के पास रहती। शेष भूमि का उपयोग इस प्रकार होना था: 25% रोड, ड्रेनेज, स्ट्रीट लाइट, इलेक्ट्रिसिटी के लिए; 5% पार्क और मनोरंजन सुविधाओं के लिए; 5% अस्पताल, स्कूल, पार्किंग जैसी आवश्यक सेवाओं के लिए; और 15% कुंभ से संबंधित गतिविधियों के लिए आरक्षित किया जाना था।

किसानों का डर: किसानों का कहना था कि कुंभ तो एक साल के लिए होता है, और इस कानून का उपयोग उनकी उपजाऊ जमीन को हथियाने के लिए किया जा रहा है। उन्हें संदेह था कि उनकी जमीन के भाव उतने बढ़ पाएंगे या नहीं।

सरकार ने लंबे आंदोलन की चेतावनी और सिंहस्थ में कम समय बचने के कारण दबाव में यह फैसला वापस ले लिया। यह फैसला केवल उज्जैन सिंहस्थ जोन में लैंड पूलिंग एक्ट लागू नहीं होने से संबंधित है, मध्य प्रदेश के अन्य अर्बन लोकल बॉडीज में यह एक्ट लागू रहेगा।


ओंकारेश्वर ममलेश्वर लोक पर विरोध

उज्जैन के महाकालेश्वर लोक (महाकाल लोक) की तरह, खंडवा जिले के एक अन्य धार्मिक स्थल ओमकारेश्वर में भी विरोध चल रहा है। सरकार चाहती है कि 2028 के सिंहस्थ में उज्जैन आने वाले भक्त ओंकारेश्वर (जहां ज्योतिर्लिंग है) भी जाएं।

ममलेश्वर लोक योजना

ओंकारेश्वर में ₹120 करोड़ की लागत से 4.6 हेक्टेयर क्षेत्र में ‘ममलेश्वर लोक’ नामक एक आध्यात्मिक अनुभूति केंद्र बनाया जाना है। इसमें ओंकारेश्वर के इतिहास, ज्योतिर्लिंग की कहानियों और लोक कथाओं का प्रदर्शन (एग्जीबिशन) होना था। इसके साथ ही रोड, सीवेज सिस्टम और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधारा जाना था।

विरोध के मुख्य बिंदु

बड़े पैमाने पर तोड़फोड़: यह निर्माण कार्य होने से 189 मकान, 184 दुकानें, 10 आश्रम, 15 गेस्ट हाउस, 9 धर्मशालाएं, और प्राचीन मंदिर मठों के चबूतरे प्रभावित हो रहे हैं।

प्राचीन बस्ती प्रभावित: ब्रह्मपुरी क्षेत्र, जो ओंकारेश्वर की सबसे पुरानी बस्तियों में से एक है (1954 से बसी हुई), सबसे अधिक प्रभावित है।

शांतिपूर्ण विरोध: स्थानीय लोगों का कहना है कि निर्माण को कहीं और शिफ्ट किया जाए। विरोध के रूप में वहां के लोगों ने तीन दिवसीय बंद रखा है। पहले दिन दुकानें, होटल और प्रसाद की दुकानें बंद रहीं, जिससे ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने आए यात्रियों को काफी असुविधा हुई।

जिस तरह उज्जैन में लैंड पूलिंग एक्ट वापस हो गया है, अब देखना होगा कि ममलेश्वर लोक के मामले में सरकार क्या फैसला लेती है। यह जरूरी है कि सरकार पर्यटन के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप करते समय लोगों की आजीविका (जैसे दुकानदारों की दुकानें) जैसी बेहद जरूरी चीजों का भी ध्यान रखे।

यह था हमारा डेली मॉर्निंग पॉडकास्ट। ग्राउंड रिपोर्ट में हम पर्यावरण से जुडी हुई महत्वपूर्ण खबरों को ग्राउंड जीरो से लेकर आते हैं। इस पॉडकास्ट, हमारी वेबसाईट और काम को लेकर आप क्या सोचते हैं यह हमें ज़रूर बताइए। आप shishiragrawl007@gmail।com पर मेल करके, या ट्विटर हैंडल @shishiragrawl पर संपर्क करके अपनी प्रतिक्रिया दे सकते हैं।

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Support Ground Report to keep independent environmental journalism alive in India

We do deep on-ground reports on environmental, and related issues from the margins of India, with a particular focus on Madhya Pradesh, to inspire relevant interventions and solutions. 

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