...
Skip to content

बाघ भ्रमण क्षेत्र में अवैध गतिविधियों के आरोप, केरवा जंगल कैंप पर उठे सवाल

Image
With 'Urban Tigers', human-animal conflicts become frequent in Bhopal

REPORTED BY:

मध्य प्रदेश के अति संवेदनशील बाघ भ्रमण क्षेत्र में स्थित केरवा जंगल कैंप में पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण से जुड़े नियमों के उल्लंघन की शिकायत सामने आई है। स्थानीय निवासी और पर्यावरण-प्रेमी राशिद नूर खान ने 26 और 27 अक्टूबर 2025 को परिसर का निरीक्षण करने के बाद 28 अक्टूबर को प्रमुख मुख्य वन संरक्षक, वन विभाग मध्य प्रदेश को ई-मेल के माध्यम से शिकायत दर्ज कराई है।

राशिद नूर खान का कहना है कि यह क्षेत्र बाघों के प्राकृतिक आवास में आता है, लेकिन यहां बड़ी संख्या में पर्यटक और युवा शराब तथा अन्य मादक पदार्थों का सेवन करते देखे गए। उनके अनुसार, जंगल कैंप परिसर में कई स्थानों पर समूहों द्वारा खुलेआम शराब का सेवन और पार्टियों का आयोजन किया जा रहा था। उन्होंने दावा किया कि यह कोई एक बार की घटना नहीं, बल्कि नियमित रूप से संचालित गतिविधियों का हिस्सा प्रतीत होती है।

बाघ भ्रमण क्षेत्र लोगों की मौजूदगी और जलते हुए चूल्हे। चित्र- राशिद नूर खान

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कुछ वन विभाग कर्मी या परिसर से जुड़े लोग टिकट जारी कर पर्यटकों को जंगल के भीतर गहराई तक प्रवेश की अनुमति दे रहे थे। स्थानीय सूत्रों के हवाले से उन्होंने बताया कि इसके बदले में कथित रूप से छोटी रकम ली जा रही थी। राशिद के अनुसार, इस तरह की गतिविधियां न केवल अवैध हैं, बल्कि इससे मानव-वन्यजीव टकराव की संभावना भी बढ़ सकती है।

शिकायत में यह भी उल्लेख किया गया है कि जंगल क्षेत्र में खुले चूल्हे और आग के निशान दिखाई दिए, जिससे आग फैलने का खतरा था। साथ ही, परिसर के विभिन्न हिस्सों में प्लास्टिक, शराब की खाली बोतलें और अन्य ठोस अपशिष्ट पड़े मिले। शिकायत में यह भी कहा गया कि क्षेत्र में पर्याप्त सुरक्षा कर्मी या निगरानी तंत्र मौजूद नहीं था।

केरवा डैम के समीप, बाघ भ्रमण क्षेत्र में पड़ी शराब की बोतल। चित्र- राशिद नूर खान

वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972, भारतीय वन अधिनियम, 1927, और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत संरक्षित क्षेत्रों में इस तरह की गतिविधियां दंडनीय अपराध की श्रेणी में आती हैं। इसके अतिरिक्त, राज्य आबकारी कानूनों के तहत भी अवैध शराब बिक्री और आयोजन पर कार्रवाई की जा सकती है।

राशिद नूर खान ने अपनी शिकायत में केरवा इको-टूरिज्म परिसर और आसपास के बाघ भ्रमण मार्गों में पेट्रोलिंग बढ़ाने, परिसर प्रबंधकों और संबंधित वनकर्मियों की जांच करने तथा अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने जंगल में फैले कचरे की सफाई के लिए क्लीन-अप अभियान चलाने और अवैध शराब/मादक पदार्थों के कारोबार पर आबकारी एवं पुलिस विभाग के समन्वय से कार्रवाई की मांग भी की है।

भारत में स्वतंत्र पर्यावरण पत्रकारिता को जारी रखने के लिए ग्राउंड रिपोर्ट को आर्थिक सहयोग करें।

यह भी पढ़ें

भावांतर योजना: 2017 से 2025, योजना के आने, जाने और वापस लागू होने की कहानी

नुकसान के बाद भी मुआवजे की लिस्ट से बाहर राजगढ़ के किसान


ग्राउंड रिपोर्ट में हम कवर करते हैं पर्यावरण से जुड़े ऐसे मुद्दों को जो आम तौर पर नज़रअंदाज़ कर दिए जाते हैं।

पर्यावरण से जुड़ी खबरों के लिए ग्राउंड रिपोर्ट को फेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर फॉलो करें। अगर आप हमारा साप्ताहिक न्यूज़लेटर अपने ईमेल पर पाना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें। रियल-टाइम अपडेट के लिए हमारी वॉट्सएप कम्युनिटी से जुड़ें; यूट्यूब  पर हमारी वीडियो रिपोर्ट देखें।


आपका समर्थन अनदेखी की गई आवाज़ों को बुलंद करता है– इस आंदोलन का हिस्सा बनने के लिए आपका धन्यवाद।

Author

Support Ground Report to keep independent environmental journalism alive in India

We do deep on-ground reports on environmental, and related issues from the margins of India, with a particular focus on Madhya Pradesh, to inspire relevant interventions and solutions. 

We believe climate change should be the basis of current discourse, and our stories attempt to reflect the same.

Connect With Us

Send your feedback at greport2018@gmail.com

Newsletter

Subscribe our weekly free newsletter on Substack to get tailored content directly to your inbox.

When you pay, you ensure that we are able to produce on-ground underreported environmental stories and keep them free-to-read for those who can’t pay. In exchange, you get exclusive benefits.

Your support amplifies voices too often overlooked, thank you for being part of the movement.

EXPLORE MORE

LATEST

mORE GROUND REPORTS

Environment stories from the margins